-दिव्याकांड में सीबीसीआईडी के जुटाए सबूतों से मिली पीयूष को सजा, एक गलती से शक के घेरे में आया था आरोपी

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने हर 'सबूत' रखे आपके सामने, इंसाफ के लिए छेड़ी बड़ी मुहिम, लाखों लोग जुड़े मुहिम से

KANPUR:

कानपुर ही नहीं पूरे देश में चर्चित 'दिव्या' कांड में तीन गुनाहगारों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई। इन तीनों गुनाहगारों को पुलिस ने पहले क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के एक के बाद एक खुलासे से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में पुलिस बैक हुई और आपके अखबार की 'मुहिम' की वजह से जांच सीबीसीआईडी को दी गई। सीबीसीआईडी ने उन '7 सबूतों' को जुटाया, जिनको आपके अखबार ने उठाया था। इन सबूतों के आधार पर तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। सीबीसीआईडी के जुटाए सबूतों के आधार पर ही तीनों गुनाहगार दोषी पाए गए। अभियोजन पक्ष के वकील के मुताबिक परिस्थिति जन्य साक्ष्य और डीएनए रिपोर्ट से पीयूष का गुनाह सिद्ध हुआ। 7 सबूतों से पीयूष 'घिरता' चला गया और उसके बचने का 'रास्ता बंद' हो गया।

27 सितंबर 2010 को हुआ कांड

रावतपुर के ज्ञान स्थली स्कूल में 27 सितंबर 2010 को यह कांड हुआ था। जिसमें पहले पुलिस और फिर सीबीसीआईडी ने जांच की चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीसीआईडी ने स्कूल प्रबंधक चंद्रपाल वर्मा, उनके बेटे मुकेश, पीयूष और कर्मचारी संतोष को आरोपी बनाया था। जिसमें पीयूष को मुख्य आरोपी बनाया था। इस मुकदमे की सुनवाई आठ साल चली। जिसमें बचाव पक्ष ने आरोपियों को बचाने के लिए कई कानूनी दांवपेंच का सहारा लिया, लेकिन सबूतों के आगे उनकी चल नहीं पाई। इसमें कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। फिर भी अभियोजन पक्ष आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाब रहा। अभियोजन पक्ष का कहना है कि घटना के बाद पीयूष ने फरार होकर खुद ही अपने गुनाह का सबूत छोड़ दिया था। जिसे सीबीसीआईडी ने ढूंढ निकाला था। जिसकी वजह से पीयूष को सजा दिलाने में कामयाबी मिली।

कड़ी से कड़ी जुड़ती गई

अभियोजन पक्ष से अधिवक्ता अजय सिंह भदौरिया ने भी बहस की थी। वह दिव्या का केस नि:शुल्क लड़ रहे थे। उन्होंने बताया कि पीयूष ने घटना के बाद फरार होकर खुद गुनाहगार होने का सबूत छोड़ दिया था। फोरेंसिक टीम स्कूल जांच करने पहुंची तो उनको बाथरूम, वॉश बेसिन और क्लास रूम से खून के निशान मिले थे। इसके बाद फोरेंसिक टीम ने वेंजाडायिन टेस्ट कराया तो कई जगह खून साफ किए जाने का सबूत मिल गया। इससे सीबीसीआईडी को शक हुआ कि दिव्या से हैवानियत करने वाला स्कूल से जुड़ा शख्स है। तभी उसने पानी से खून के धब्बे साफ करवा दिए। सीबीसीआईडी ने शक के घेरे में आए स्कूल प्रबंधक के बेटे पीयूष की मोबाइल लोकेशन ट्रेस की तो उसकी लोकेशन स्कूल के आसपास ही थी। इस तरह कड़ी से कड़ी जुड़ती गई। अधिवक्ता अजय सिंह भदौरिया का कहना है कि इसके बाद डीएनए रिपोर्ट ने ताबूत में आखिरी कील का काम किया और पीयूष का गुनाह सामने आ गया।

------

ये हैं वो 7 सबूत

--------

1- घटना के बाद स्कूल मैनेजर के बेटे पीयूष का अचानक फरार हो जाना।

2- पीयूष की मोबाइल लोकेशन स्कूल और घर के पास थी।

3- बाथरूम, वॉशबेसिन और क्लास में मिले खून के निशान और फिंगरप्रिंट।

4-स्कूल से मिटाए गए खून के धब्बे भी लैब टेस्टिंग में पीयूष से मिले।

4- परिस्थितिजन्य साक्ष्य ने पीयूष द्वारा घटना को अंजाम देने का इशारा किया।

5- पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दिव्या के साथ 'हैवानियत' की पुष्टि होना और स्पर्म मिलना।

6- डीएनए टेस्ट की जांच रिपोर्ट में भी पीयूष की संलिप्तता का खुलासा हुआ।

7- अनुष्का के पेरेंट्स और डॉक्टर की गवाही भी एक बड़ा सबूत बनकर समाने आई।