ATM बन रहे निशाना
 टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर लोगों के पैसे उड़ाने वाले हाईटेक अपराधियों के लिए एटीएम सबसे सॉफ्ट टारगेट है। साइबर डिफेंस रिसर्च सेंटर, झारखंड के चीफ टेक्निकल ऑफिसर विनीत कुमार ने बताया कि पिछले दस-पंद्रह दिनों में स्टेट में एटीएम फ्रॉड के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि एटीएम को टैैंपर कर पैसे निकाले जाने के काफी मामले आते हैं। हाल ही में जमशेदपुर में एटीएम में पिन लगाकर पैसे निकाले जाने की घटना के बारे में उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में लोग एटीएम को हैैंग कर ट्रांजैक्शन कर लेते हैं।

Vulnerable है ATM security
एटीएम ऐसा प्लेस है जहां किसी की आवाजाही पर रोक नहीं होता। ऐसे में एटीएम की सुरक्षा को लेकर सतर्कता काफी जरूरी हो जाती है, लेकिन सिटी में इसकी सुरक्षा को लेकर काफी लापरवाही नजर आती है। विनीत कुमार ने कहा कि जमशेदपुर में एटीएम सिक्यूरिटी को लेकर किए गए ऑडिट में सिक्यूरिटी स्टेटस काफी वल्नरेबल पाया गया। कई एटीएम में सीसीटीवी की व्यवस्था तक नहीं है। जहां सीसीटीवी लगे हैं वहां भी प्रोपर फंक्शन नहीं करते।

आराम फरमाते हैं guard साहब
हमने सिटी के कुछ एटीएम की सिक्योरिटी का जायजा लिया। इस दौरान साकची के एक बड़े बैंक के एटीएम में तैनात गार्ड ड्यूटी की बजाय बूथ के अंदर सोते पाए गए। सिटी के कई एटीएम में सुरक्षा का ये नजारा दिखता है। विनीत कुमार ने बताया कि सिटी में जांच के दौरान एक एटीएम में गार्ड की जगह उसका भाई गार्ड की वर्दी पहन सुरक्षा पर तैनात पाया गया। उन्होंने यह भी बताया कि सिक्युरिटी गाड्र्स को एटीएम के संबंध में टेक्निकल जानकारी की भी काफी कमी होती है।

आए दिन आते हैं मामले
स्टेट में इंटरनेट बैंककिंग से जुड़े फ्रॉड के मामले भी बढ़ रहे हैं। विनीत कुमार ने बताया कि हर महीने इस तरह के 5 से 7 मामले आते हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के मामलों की सबसे बड़ी वजह अन सेक्योर इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल है। कई लोग साइबर कैफे के जरिए इंटरनेट बैंककिंग का इस्तेमाल करते हंै। ऐसी जगहों पर हैकिंग के चांसेज रहते हैं।

सुविधा बनी खतरा
इंटरनेट बैंककिंग जैसी फैसिलिटीज ने सुविधा तो बढ़ाई है, साथ ही कई खतरे भी पैदा किए हैं। आरबीआई के अनुसार पिछले तीन सालों में कंट्री में डिफरेंट बैंक्स में साइबर फ्रॉड के 32 हजार से ज्यादा रिपोर्ट दर्ज किए गए। जिनमें करीब 130 करोड़ रुपए का चूना लगा। 2012 में ही कंट्री में इस तरह के 8322 मामले रिपोर्ट किए गए। जिनमें 5266 लाख रुपए का फ्रॉड हुआ.  इन फाइनेंशियल सर्विसेज की सेफ्टी में बैंक्स और इस काम से जुड़ी दूसरे आर्गेनाइजेशन की नाकामी कंज्यूमर्स के लिए बड़े खतरे पैदा कर रही है। पिछले कुछ सालों में स्टेट में भी इस तरह के मामलों में काफी बढ़ोतरी  हुई है।

'स्टेट में एटीएम की सिक्योरिटी काफी वल्नरेबल है। इंटरनेट बैंककिंग से जुड़े फ्रॉड के काफी मामले आते हैं। सुरक्षा में चूक तो हो ही रही है। इसके  लिए कारगर कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलने वाला लोगों को इसके प्रति कंशस रहना होगा.' 
-विनीत कुमार सीटीओ, सीडीआरसी

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in