इनके आगे डर भी  झुका

सिविल लाइंस की रीतिका हो या मुट्ठीगंज के अमरनाथ या फिर सोरांव के मनोज। इन सभी के साथ बदमाशों ने लूट और छिनैती की कोशिश की। बदमाश अपने कारनामों को अंजाम देकर निकल भी गए। लेकिन खुद के साथ घटना होने के बाद न तो रीतिका डर से चिल्लाने लगी और न ही मनोज यह सोच कर शांत हो गए कि चेन तो लुट चुकी है अब क्या कर सकते हैं। इन सभी ने बदमाशों का पीछा तो किया ही सामने आ गए तो मुकाबले से भी नहीं हिचके। इन लोगों ने व्यक्तिगत प्रयास से अपना तो सामान बचा ही लिया पब्लिक ने बदमाशों को ऐसा सबक सिखाया जो शायद ही वह भूल सकें। और हां, पुलिस की कामयाबी का ग्राफ भी बढ़ गया। बदमाश जेल पहुंच चुके हैं।

रोज होती है शहर में snatching

सिर्फ इन चारों की कहानी हम इसलिए बता रहे हैं क्योंकि  ये घटनाएं पिछले एक पखवारे के भीतर की हैं। तीन घटनाएं तो दो दिनों के भीतर की हैं। ये घटनाएं इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि सिटी का शायद ही कोई ऐसा मोहल्ला हो जो स्नैचर्स से अछूता हो। पॉश एरिया सिविल लाइंस, जार्जटाउन और कर्नलगंज में तो डेली ही बदमाश स्नेचिंग और बाइक लिफ्टिंग करते हैं। ज्यादातर यही होता है कि घटना का शिकार बनने वाला पुलिस के पास पहुंचकर शिकायत दर्ज करा देता है। वह अपने लेवल पर रिस्क लेने से बचता है। सरेआम महिला के साथ स्नेचिंग होती है। वह शोर मचाती है फिर भी वहां से गुजरने वाले अंजान बने रह जाते हैं। कोई बदमाशों का पीछा करने की जरूरत नहीं समझता।

कोई एक गैंग नहीं

ऐसा नहीं है कि पुलिस इन बदमाशों को नहीं पकड़ती। दरअसल प्राब्लम यह है कि वर्षों पहले की तरह अब कोई एक दो गैंग लूट या स्नेचिंग नहीं करता। अब तो शहर में पचासों ऐसे नॉन प्रोफेशनल और प्रोफेशनल क्रिमिनल हैं जो फ्रेंड्स के साथ पार्टी करने के लिए भी एक स्नेचिंग करके निकल जाते हैं। ज्यादातर स्टूडेंट के इस काम में शामिल होने के बाद उन्हें ट्रेस करना पुलिस के लिए मुश्किल हो जाता है। जिस व्यक्ति या युवती के साथ स्नेचिंग होती है, वह भी ठीक से बदमाशों का हुलिया नहीं पाते। पुलिस भी पब्लिक से हर बार मदद की अपेक्षा रखती है। इससे ऐसे मामलों में पुलिस की कामयाबी का ग्राफ कमजोर ही होता है।