फूटपाथ पर रात गुजारने वालों के पास नहीं है वोटर कार्ड
 सिटी में ऐसे भी कई लोग हैं जो इलेक्शन में अपने वोटिंग अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। इसका कारण यह है कि वयस्क होने के बावजूद इनके पास वोटर आई डी कार्ड नहीं है। इनमें से ही एक हैं खुशबू जो आम बागान में बचपन से रहती आ रही हैं। ये बेघर हैं। इन्हें इलेक्शन के बारे में कुछ नहीं पता। इनके पास लाल कार्ड, अंत्योदय कार्ड भी नहीं हैं। सबसे अहम बात यह है कि इनके पास अपनी आईडेंटिटी तक नहीं है।

आम बागान में ही बड़ी हुई
खुशबू भुइयां (45) बचपन से आम बागान में रहती आ रही है। उसने बताया कि जब वह बच्ची थी तो मैदान के एक कोने में उसकी झोपड़ी हुआ करती थी। बाद में उसे तोड़ दिया गया। सभी रोड पर आ गए। उसने कहा कि हम तो रोड पर ही पैदा हुए और यहीं मां भी बन गई। उसके 5 बच्चे हैं- 3 लडक़ी और 2 लडक़ा। उसका पति रामजाने भुइयां अब उससे अलग हो गया है। बेटा इधर-उधर कुछ काम करता है तो घर में दो पैसा आता है। मां किष्टोमनी भुइयां की पिछले 26 जनवरी को डेथ हो गई, तो इधर-उधर से मांगकर उसका श्राद्ध किया।

खुले आसमान के नीचे सोना
साकची स्थित आम बगान मैदान के बीचोबीच नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्टेच्यू बनी है। इस स्टेट्यू के सिर पर छत भी है। इन लोगों ने इस मैदान को अपना आशियाना बना लिया है और रात में नेताजी के सिर पर बनी छत के नीचे सोते हैं। आश्चर्य है कि जहां स्टेच्यू के लिए छत है, वहां कुछ लोगों के लिए यह भी नसीब नहीं।  

नहीं है वोटर कार्ड
इलेक्शन हो रहा है, इसकी उसे कोई जानकारी है। यह पूछे जाने पर वह मुंह ताकने लग जाती है। उसने बताया कि उसे कुछ नहीं पता। एमपी या एमएलए के बारे में पूछने पर भी वह कुछ जवाब नहीं दे पाती। यह पूछने पर कि कभी वोट दिया है, तो उसका जवाब ना में था। जब हमने उससे वोटर आईडी कार्ड के बारे में पूछा तो इस बारे में भी उसका जवाब ना में ही था। उसने कहा कि उसे तो पता भी नहीं कि कब वोटर कार्ड बनता है। उसके पास किसी भी तरह का कार्ड बनाने के लिए कभी कोई नहीं आया।

परिचित के पास भी द्बस्र नहीं  
खुशबू ने बताया कि साकची और इसके आस-पास के एरिया में उसके लगभग 40 से ज्यादा परिचित हैं। ये लोग भी इनकी तरह ही बेघर हैं। ये लोग साकची गोलचक्कर के पास, बसंत टाकीज के पास और अन्य इलाके में रहते हैं। उनमें से किसी के पास भी वोटर कार्ड नहीं है। हालांकि खुशबू इस बात से खुश थी कि शायद पेपर में फोटो छपने के बाद उसकी स्थिति में कुछ सुधार हो जाए.

इनके पास नहीं है voter ID
पूरी कंट्री में लोकतंत्र के पर्व की धूम मची है। लीडर्स इलेक्शन कैम्पेनिंग में लगे हैं, लेकिन इन बेघर लोगों के पास अभी तक कोई भी नेता नहीं पहुंचा है। अगर लीडर्स इनके पास पहुंचते भी हैं और अपने पक्ष में वोट देने की अपील करते हैं तो भी ये वोट नहीं डाल पाएंगे। इसका कारण यह है कि अब तक इनका वोटर आईडी कार्ड ही नहीं बना है। ऐसे कई लोग हैं जिनके पास लाल कार्ड या अंत्योदय कार्ड तो छोडि़ए वोटर आईडी तक नहीं है।
हर 4 साल पर होने वाले इंटेंसिव ड्राइव में ऐसा होता था। अब ऐसा नहीं है। अब बूथ तक आने वाले हर व्यक्ति का वोटर कार्ड बनाया जा रहा है। अगर वे लोग बूथ तक पहुंचे होंगे तो उनका कार्ड जरूर बना होगा। ऐसा अलग से कोई डाटा नहीं है।
गीता चौबे, डिप्टी इलेक्शन ऑफिसर

होमलेस पीपुल का अलग से कोई ऐसा डाटा नहीं है, जिससे पता चल सके कि उनके पास वोटर आईडी कार्ड है या नहीं।
पीके जाजोरिया, इलेक्शन कमिश्नर, झारखंड

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