जूठन से खाद
गोरखपुर जेल के जेलर नवमी लाल ने बताया कि बंदियों के लिए खाने में रोज तीन क्विंटल से अधिक सब्जी यूज होती है। इसे मार्केट से खरीदने पर लाखों रुपए का एक्स्ट्रा बजट चाहिए होता है। मगर शासन की ओर से इतना बजट न मिलने से यह मुमकिन नहीं है। इसलिए जेल में अपने गुनाह की सजा काट रहे बंदी हरी सब्जी के लिए जेल परिसर में ही खेती कर रहे हंै। इस फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए खाद का यूज जरूरी है। खाद भी काफी महंगी होती है। खाद के खर्च को बचाने और बर्बाद हो रहे अन्न का यूज करने के लिए जेल परिसर में केमिकल का यूज कर खाद बनाई जा रही है। इस खाद के यूज से फसल की पैदावार दोगुनी हो जाती है। जेल में हमेशा एक हजार से अधिक बंदी बंद रहते है।

लागत कम, पैदावार अधिक
गोबर की खाद काफी महंगी है। चार ट्राली खाद की कीमत 6 हजार रुपए से अधिक है। मगर इस खाद में कम खर्च लगता है। जेलर ने बताया कि जूठन जेल का रहता है और केमिकल अपराध निरोधक कमेटी के सौजन्य से मिलता है। जिससे केमिकल खाद तैयार हो जाती है। जिसका यूज फसल पर किया जाता है और इससे पैदावार बढ़ जाती है।

नगर निगम ने ढक कर रखी है नाक
सिटी को ग्रीन सिटी बनाने वाला नगर निगम पब्लिक की प्रॉब्लम से अनजान है। सिटी के अधिकांश होटल और रेस्त्रां दिन भर का बचा खाना कूड़े के बाक्स में डाल देते हैं। फिर अनाज सड़ने से आसपास एरिया में बदबू फैलने लगती है। इस बदबू से आसपास खड़े होना तो दूर वहां से निकलना भी मुश्किल पड़ता है। मगर नगर निगम इससे अनजान बना रहता है। सिटी के ऐसे कई पॉश इलाके है, जहां इस प्रॉब्लम से पब्लिक का बुरा हाल है।

डेली जेल में सैकड़ों लोगों का खाना बनता है। इससे जूठन भी काफी निकलती है। इसे फेंकने के बजाए खाद बनाने में यूज किया जाता है। इससे अनाज की बर्बादी नहीं होती है और साथ ही वह खाद तैयार होती है, जिसका यूज खेत में कर फसल को बढ़ाने में किया जाता है।
नवमी लाल, जेलर

जेल में कमेटी कई योजनाएं चला रही है। इसी के तहत वहां केमिकल खाद बनाई जा रही है, जिसमें यूज होने वाला केमिकल कमेटी देती है। इससे अनाज की बर्बादी नहीं होती है। साथ ही तैयार खाद फसल को बढ़ाने में यूज होती है।
कनकहरि अग्रवाल, मेंबर अपराध निरोधक कमेटी

क्या है वेस्ट मैनेजमेंट
वेस्ट मैनेजमेंट कचरे के इस्तेमाल का एक तरीका है। इसमें इसे रिसाइकिल किया जाता है। हालांकि इंडिया में अभी वेस्ट मैनेजमेंट की पर्याप्त तकनीक नहीं है और न ही इसे लेकर जागरूकता है, लेकिन  कचरा पैदा करने में इंडिया अव्वल है। इसलिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि यहां पर वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर अवेयरनेस फैलाई जाए। कचरा बढ़ने की प्रमुख वजह पॉपुलेशन बढ़ना है। वेस्ट मैनेजमेंट तीन तरह से होता है। पहले में जमीन में गड्ढा खोदकर कचरे को गाड़ना। दूसरा तरीका कचरे को एक जगह इक_ा कर उसे जलाना और तीसरे में रिसाईकिल कर कचरे का दोबारा यूज। यह तरीका सबसे कारगर है। इसमें हम काम में लाई जाने वाली दूसरी चीजें बना सकते हैं।

अभी काफी पीछे है इंडिया
इंडिया में 2000 से पहले कचरे को रिसाइकिल करने की कोई नीति नहींथी। इसके बाद इस पर काम शुरू किया गया औ इसे अप्रैल 2004 से लागू किया गया, हालांकि इसको लेकर अभी काफी काम अवेयरनेस और काम बाकी है। अलग-अलग देशों में वेस्ट मैनेजमेंट के अलग-अलग तरीके हैं। ऑस्ट्रेलिया में कचरा इक_ा करने के लिए म्युनिसिपैलिटी हर एक मकान मालिक को तीन तरह की डस्टबिन देती है, जिनमें रिसाईकिल होने वाला कचरा, साधारण कचरा और बगीचे का कचरा अलग-अलग डाला जाता है। कनाडा में सारे शहर का कूड़ा एक जगह इक_ा कर उसे रिसाईकिल करते हैं, यहां गांवों में ट्रांसफर स्टेशन बनाकर कचरा रिसाईकिल केंद्रों को भेजते हैं।

Types of waste management
Organic waste: kitchen waste, vegetables, flowers, leaves, fruits।
Toxic waste: old medicines, paints, chemicals, bulbs, spray cans, fertilizer and pesticide containers, batteries, shoe polish।
Recyclable: paper, glass, metals, plastics।
Soiled: hospital waste such as cloth soiled with blood and other body fluids।

 

report by : kumar.abhishek@inext.co.in