पुलिस थी परेशान

थर्सडे को डीआईजी की प्रेस कांफ्रेंस में जब पुलिस ने पांच फुट के एक युवक को पेश किया तो ये अनुमान लगा पाना मुश्किल था कि वो शातिर बदमाश है। मूल रूप से शामली, मुजफ्फरनगर का रहने वाले संजीव ने नेहरू कालोनी पुलिस की नाक में दम कर रखा था। हालात इस कदर बिगड़ चुके थे कि इन वारदात को वर्क आउट करने के लिए स्वयं डीआईजी संजय गुंज्याल को सिटी पुलिस की क्लास लेनी पड़ी, तब जाकर ये पता लग पाया कि कौन दे रहा था ताबड़तोड़ घटनाओं को अंजाम। संजीव ने 15 अक्टूबर 2011 से लेकर 14 फरवरी 2012 तक पांच वारदात को अंजाम दिया।

भरपाई के लिए लूट

संजीव जुए का शौकीन था, लेकिन बीते कुछ समय से वह इस गेम में लगातार हार रहा था। कमाई का जरिया न होने के कारण हार की भरपाई करना उसके वश में नहीं था। जिसके लिए उसने क्राइम का रास्ता चुन लिया और उन लोगों को निशाना बनाने लगा जो अकेले होते। सभी वारदात के दौरान लेडीज अकेले थीं, जिनसे सोने की चेन और अन्य ज्वेलरी लूटी गई। लूट के गहने वो धर्मपुर और कांवली रोड स्थित ज्वेलर्स को बेचता था, जिनसे पुलिस पूछताछ कर रही है।

फिर एक्शन की बात

पुलिस द्वारा हर बार ये दावा किया जाता रहा है कि लूट का माल खरीदने वाले ज्वेलर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन किन्हीं विशेष कारणों के चलते मित्र पुलिस आज तक किसी ज्वेलरी शॉप मालिक के खिलाफ एक्शन नहीं ले पाई है। संजीव धर्मुपुर के अशोक ज्वेलर्स को 26 और 16 हजार के लूट का माल बेच चुका है, जबकि कांवली रोड स्थित रघुवीर ज्वेलर्स भी उससे 20 व 16 हजार का माल खरीद चुका है। संजीव इस रकम को जुए में लगाता था, जहां हार मिलने के बाद वो एक नए वारदात को अंजाम देता था। डीआईजी की मानें तो ज्वेलर्स से पूछताछ की जा रही है, भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

मुश्किल से आया हाथ

पुलिस के लिए संजीव को पकड़ पाना आसान नहीं था, लेकिन एसओजी प्रभारी मणि भूषण श्रीवास्तव और नेहरू कॉलोनी थाना इंचार्ज राकेश गुंसाई ने हाल में घटी सभी घटनाओं का आंकलन करने बाद पाया कि क्रिमिनल इसी एरिया का रहने वाला है। जिसके बाद पुलिस ने कुल एक दर्जन लोगों को टारगेट किया। जिसके बाद पता लगा कि सुमन नगर खाला का रहने वाला संजीव कुछ दिनों से लापता है। जिसे वेडनसडे को पकड़ लिया गया। लंबी चली पूछताछ के बाद उसने अपना गुनाह कबूल लिया।