- फिल्म एक्टर नाना पाटेकर के कुक को परिजनों ने मृत बता कर दी तेरहवीं

- जमीन हड़पने के लिये रचा नाटक, खुद को जीवित साबित करने के लिये 13 साल से कर रहा संघर्ष

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW : इंसान लालच में किस हद तक नीचे गिर सकता है, इसे समझना हो तो फिल्म एक्टर नाना पाटेकर के कुक रहे वाराणसी निवासी संतोष मूरत सिंह की आपबीती सुन लीजिए। संतोष के हिस्से की जमीन हड़पने के लिये रिश्तेदारों ने उन्हें मृत बता न सिर्फ उनका दसवां कर सिर मुंडाया बल्कि, उनकी तेरहवीं भी कर डाली। खुद की तेरहवी की भनक लगने पर संतोष नौकरी छोड़ गांव पहुंचा लेकिन, तब तक सरकारी दस्तावेजों में वह मृत साबित हो चुका था और उसकी जमीन चचेरे भाइयों के नाम हो चुकी थी। तमाम अधिकारियों की चौखट पर खुद सशरीर पहुंचकर संतोष ने खुद को जिंदा साबित करने की कोशिश की लेकिन, आंखों के सामने देखने के बावजूद किसी भी अधिकारी ने उसे जिंदा मानने का 'रिस्क' नहीं उठाया। बुधवार को संतोष ने डीजीपी कार्यालय पहुंचकर इंसाफ की गुहार लगाई।

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में बता दिया मृतक

पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के ग्राम छितौनी निवासी संतोष मूरत सिंह मुंबई में फिल्म एक्टर नाना पाटेकर के घर कुक की नौकरी करता था। वर्ष 2003 में मुंबई में ट्रेन में ब्लास्ट हुआ। गांव में रह रहे चचेरे भाइयों अजय सिंह व नारायण सिंह ने उसकी साढ़े 12 एकड़ जमीन हड़पने के लिये रिश्तेदारों के साथ मिलकर संतोष को ब्लास्ट में मारे जाने की बात प्रचारित कर दी। संतोष के मुताबिक, इसके बाद उन लोगों ने बाकायदा दसवां कर सिर मुंडाया और तेरहवीं तक कर डाली। कुछ दिनों बाद जब संतोष गांव पहुंचा तो पता चला उसके भाइयों ने उसे मरा साबित कर अधिकारियों को हलफनामा देकर उसके हिस्से की जमीन अपने नाम करा ली।

किसी ने नहीं माना जिंदा है

संतोष के मुताबिक, भाइयों के इस फर्जीवाड़े के खिलाफ उसने तमाम प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के समक्ष खुद हाजिर होकर अपने जिंदा होने का प्रमाण दिया और जमीन को फिर से अपने नाम कराने की गुजारिश की। लेकिन, कोई फायदा न हुआ। किसी भी अधिकारी ने संतोष को जिंदा मानने का 'जोखिम' नहीं उठाया। नौ साल तक अधिकारियों की चौखट पर दस्तक दे-देकर थक चुके संतोष ने 2012 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देना शुरू किया। लगातार पांच साल तक धरना देने का भी कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार, हाल ही में एनजीटी के आदेश पर जंतर-मंतर से सभी धरना-प्रदर्शन करने वालों को हटा दिया गया। जिसके बाद हताश संतोष तीन दिन पहले राजधानी पहुंचे और बुधवार को डीजीपी कार्यालय पहुंचकर प्रार्थनापत्र देकर खुद को जीवित होने का प्रमाण पत्र देने की गुहार लगाई है।

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चुनाव भी लड़ा लेकिन, नहीं माना 'जिंदा'

संतोष ने बताया कि 13 साल तक खुद को जिंदा साबित करने में नाकाम रहने पर उसे युक्ति सूझी। उसने 2017 विधानसभा चुनाव में वाराणसी की 386, शिवपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय नामांकन कर दिया। उसे चुनाव चिन्ह बेबी वॉकर मिला। चुनाव में उसकी जमानत जब्त हो गई लेकिन, सरकारी कागजों में यह बात साबित हुई कि संतोष मूरत सिंह जिंदा है। पर, बावजूद इसके अब भी अधिकारी उसे जिंदा मानने को तैयार नहीं हैं।

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नाम में जोड़ लिया 'मैं जिंदा हूं'

धरती पर अपने अस्तित्व को साबित करने में जुटे संतोष को जब सफलता न मिल सकी तो उन्होंने अपना नाम संतोष मूरत सिंह 'मैं जिंदा हूं' कर लिया। हालांकि, उनके नाम बदलने का भी कोई लाभ होता नहीं दिख रहा।

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पूर्व सीएम के आदेश पर हुई थी एफआईआर

संतोष ने बताया कि उसने वर्ष 2012 में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के जनता दर्शन कार्यक्रम में मुलाकात कर अपने संग हुए फर्जीवाड़े की शिकायत की। उनके आदेश पर हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन, उसके बाद पुलिस ने मामले में कोई रुचि नहीं ली और मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई।