सालों की तपस्या
पंजाब और हिमाचल की सीमा पर बसा जिला रोपड़ का गांव खेड़ा कलमोट की पहाडियों पर एक छोटा सा मंदिर बना हुआ है। इसी मंदिर में पिछले 13 सालों से विश्व शांति के लिए लगातार खड़े रहकर साधू रौशन मुनि जी (बोरी वाले बाबा) तपस्या कर रहे हैं। उनके पैर गलने शुरू हो गए है लेकिन फिर भी वो लगन के साथ आज भी खड़े रहकर तपस्या कर रहें हैं। तपस्या के कारण मुनि जी के पैर सूज कर पत्थर बन गए हैं और कई जगह से घायल भी हो गए हैं।
मंदिर भी किया स्थापित
श्रद्धालुओं ने बताया कि जिस मंदिर में साधू रौशन मुनि जी (बोरी वाले बाबा) इतने सालों से तपस्या कर रहे हैं वो भी उनके द्वारा ही स्थापित किया गया है। पहाड़ी की चोटी पर बना ये सुन्दर मंदिर जंगल में से गुजरने वाले लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है।
इसलिए कहते है बोरी वाले बाबा
सर्दी हो या गर्मी हर मौसम में रौशन मुनि जी बोरी के बने कपड़े ही पहनते है जिसकी वजह से लोग उनको बोरी वाले बाबा कहते हैं। वहां पर रह रहे लोगों ने बताया कि उन्होंने कभी भी बाबा को बैठे या लेटे नहीं देखा। उन्होंने बताया की रात में भी वो खड़े-खड़े ही सोते है। मंदिर में एक विशेष थड़ा बना हुआ है जिसपर सिर टिकाकर वो सो जाते हैं।
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