भोपाल प्रशासन से मिली सीख

कोर्ट के आदेश के बाद कैंट के सबसे विवादित बंगले बी-210 से अवैध निर्माण हटाने के रास्ते खुल गए हैं। बोर्ड ने बंगले से सबसे बड़े निर्माण कमर्शियल कांप्लेक्स को गिराने का तरीका भी निकाल लिया है। मेरठ कैंट बोर्ड भोपाल के अधिकारियों की तरह केमिकल बम का यूज करेंगे। ताकि आसपास के निर्माण को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे और निर्माण को गिराने में ज्यादा समय न लगे। गौरतलब है कि करीब ढाई साल पहले भोपाल में एक कमर्शियल बिल्डिंग को ढहाने के लिए वहां के प्रशासन ने इसी तरह की तरकीब को अपनाया था।

मची हुई हलचल

जब से कोर्ट का ऑर्डर आया है तब से 210 में रहने वाले लोगों में काफी हलचल मची हुई है। रोजाना लोगों के जुबां पर इस बंगले के भविष्य के बारे में चर्चा बनी हुई है। यह हालत सिर्फ कैंट या बंगला नंबर 210 बी के लोगों में नहीं बल्कि सिटी के लोगों में भी काफी चर्चा का विषय बन गया है। शास्त्री नगर निवासी सतीश शर्मा स्पेशली इसी बंगले को देखने के लिए आए थे। उन्होंने कहा कि इस बंगले के बारे में 15 सालों से सुन रहा हूं। इस दौरान अखबारों में इसे पढ़ा तो देखने चला आया।

डबल बेंच और सुप्रीम कोर्ट ऑप्शन

कंटैंप्ट के इस केस में अभी लोगों के पास डबल बेंच और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला हुआ है। स्थानीय निवासी राजीव गुप्ता ने बताया कि हमने डबल बेंच में जाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। दो या तीन दिनों में हम डबल बेंच में अपील कर देंगे। हम अपनी अपील में सुप्रीम कोर्ट के उस जजमेंट का हवाला देंगे जो हाल में सुप्रीम कोर्ट ने दी है। स्थानीय लोगों को भरोसा है कि अगर डबल बेंच में उन्हें राहत न भी मिली तो सुप्रीम कोर्ट में उन्हें जरूर राहत मिल जाएगी।

96 अवैध निर्माण

बी-210 बंगले में कुल 96 अवैध निर्माण हैं। जिसमें से 35 घर बने हुए हैं। जहां सैकड़ों लोग रहते हैं। इसके अलावा एक बड़ा कमर्शियल कांप्लेक्स और छोटी बड़ी कई दुकाने हैं। बोर्ड रिकॉर्ड में मात्र 2 हजार वर्ग फीट का निर्माण ही वैध है। जबकि बंगले का टोटल एरिया साढ़े 9 एकड़ है। जिस पर सभी अवैध निर्माण हैं।

'कोर्ट ने अपोजिट पार्टी को दो महीने का समय दिया है। हम उनके समय पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। हम अपने लेवल जो करेंगे उसके बारे में मैं खुलकर नहीं कह सकता हूं.'

- डॉ। डीएन, सीईओ, कैंट बोर्ड

पिलर में भरा जाता है केमिकल

करीब ढाई वर्ष पहले भोपाल प्रशासन ने अवैध कमर्शियल बिल्डिंग को ढहाने के लिए केमिकल बम का यूज किया था। अब मेरठ कैंट बोर्ड इसी तकनीक का प्रयोग करने जा रहा है। जानकारों के मुताबिक बिल्डिंग की हाइट के मुताबिक उसके पिलर में होल कर केमिकल भरा जाता है। उसके बाद उसे टाइमर से जोड़कर विस्फोट किया जाता है। इसके लिए एक्सप्लोसिव डिपार्टमेंट और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन से पहले परमीशन लेनी पड़ती है।