ढेरों स्टूडेंट्स जमा थे

फ्राइडे को आईआईटी के उस लेक्चर हॉल में नए रोबोट को देखने के लिए ढेरों स्टूडेंट्स जमा थे। जिसमें बहुत कुछ खास था। इस रोबोट को बनाने वाले दिल्ली निवासी 21 साल के दिल्ली के छात्र दिवाकर के लिए तो उसका ये ह्यूमेनॉइड रोबोट और भी खास था, क्योंकि अभी तक केवल उछल-कूद और भांगड़ा कर सकने वाला ये ह्यूमेनॉइड जल्द ही इंसान की भावनाओं को समझने जो लगेगा। केवल एक सेंसर लगाने भर की देर है। ये सोचकर तो सभी स्टूडेंट्स ज्यादा उत्साहित थे कि वो रोबोट इंसान का सबसे अच्छा दोस्त बन सकेगा।

बस एक सेंसर लगाने की देर है

आईआईटी कानपुर में दिल्ली की संस्था ए-सेट ने नया रोबोट डिस्प्ले किया था। संस्था की साक्षी वैश्य ने बताया कि ह्यूमेनॉइड बनाने वाले छात्र दिवाकर ने चार तरह के रोबोट बनाए हैं। आज डिस्प्ले हुआ रोबोट करोल बाग स्थित लैबोरेट्री में विकसित किया जा रहा है। दिवाकर ने बताया कि ये रोबोट पूरी तरह उसके द्वारा प्रोग्राम किया गया है। बिल्कुल इंसानों की फुटबॉल तक खेल सकने वाले इस रोबोट में ऑलरेडी विकसित किए जा चुके माइंड सेंसर का फिट कर दिया जाएगा। फिर ये रोबोट वही करेगा, जो आप सोचेंगे। लेकिन सामने वाले को भी अपने सिर पर एक वैसा ही सेंसर पहनना होगा, जिससे कि ह्यूमेनॉइड और इंसान के बीच विचारों का आदान-प्रदान हो सकेगा। दिवाकर ने आईआईटी के स्टूडेंट्स को लेक्चर दिया और उनसे इंटरएक्शन भी किया।

मकड़ी की तरह दीवार पर चढ़ेगा

ए-सेट की कोआर्डिनेटर साक्षी ने ये भी बताया कि लैंड सर्विलांस रोबोट भी ऑलमोस्ट डेवलप हो चुका है, जो डिफेंस के क्षेत्र में भी काम आ सकेगा। एक और रोबोट दिवाकर ने ही डेवलप किया है, जिसे वर्सेटाइल नाम दिया है। ये रोबोट सिचुएशन के हिसाब सेे अपना आकार और प्राकर परिवर्तित कर सकेगा। यानि किखुद को तीन गुना तक ऊंचा, लंबा या छोटा कर सकेगा। ये खुद को सिकोड़ कर मकड़ी की तरह दीवार पर रेंग भी सकेगा। संस्था युवाओं को रोबोटिक्स में ट्रेंड करके इस काम को बढ़ावा देना चाहती है।