क्या है पूरा मामला

मामला कुमाऊं के हल्द्वानी से जुड़ा हुआ है। हल्द्वानी की एक लेडी ने वहां के एसपी सिटी परमेंद्र डोभाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। डीजीपी और घरेलू हिंसा सुरक्षा अधिकारी को सौंपी अपनी शिकायत में लेडी ने कहा है कि एसपी सिटी ने उसके साथ लंबे समय तक रेप किया। जब उसने इस अधिकारी की शिकायत दर्ज करवानी चाही तो उसे धमकी मिली। लोकल पुलिस से सहायता न मिलने के कारण वह राजधानी आई और डीजीपी से गुहार लगाई।

क्यों खामोश रहे डीजीपी

लेडी ने उत्तराखंड पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते पुलिस विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। लेडी ने बताया कि पांच अप्रैल को वह डीजीपी से मिली थी। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसने अपनी रिटेन कंप्लेन डीजीपी को सौंपी थी। बावजूद इसके कुछ नहीं हुआ। एक बार फिर वह 25 अप्रैल को डीजीपी से मिलने पहुंची। यहां से उसे आईजी लॉ एंड ऑर्डर रामसिंह मीणा के पास भेजा गया। वहां भी उसने अपने साथ हुई पूरी घटना के बारे में बताया।

सुरक्षा अधिकारी के पास शिकायत

25 अप्रैल को ही लेडी ने घरेलू हिंसा सुरक्षा अधिकारी के पास भी अपनी शिकायत पहुंचाई। वहां से भी उसे जांच का आश्वासन मिला है। लेडी ने अपनी शिकायत पत्र में स्पष्ट तौर पर से इस बात का उल्लेख किया है कि एसपी सिटी ने उसके साथ पिछले सात आठ महीने से संबंध बनाए। लेडी ने कहा है कि उसके पास एसपी सिटी के खिलाफ तमाम सबूत मौजूद हैं। बावजूद इसके एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है।

 

यह है मेरी आपबीती

मेरा नाम है। मैं हल्द्वानी की रहने वाली हूं। वहीं मेरी मुलाकात एसपी सिटी परमेंद्र डोभाल के साथ हुई। करीब सात-आठ महीने पहले मैं उनके संपर्क में आई थी। हम दोनों के काफी करीबी संबंध बन गए। एसपी सिटी ने मुझे शादी का झांसा दिया और मेरे साथ कई महीने तक शारीरिक संबंध बनाए। मुझे हाल ही में जब इस बात का पता चला कि वे पहले से ही मैरिड हैं, तो मैं शॉक्ड हो गई। मैंने इस पुलिस अधिकारी को सबक सीखाने की ठानी। जब मैंने परमेंद्र डोभाल से बात की तो उन्होंने मुझपर समझौता का दबाव बनाया। रुपयों का लालच दिया, लेकिन मैंने समझौता नहीं किया। लोकल पुलिस से मुझे कोई सपोर्ट नहीं मिला। इसके बाद मैंने प्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी सत्यव्रत बंसल से मुलाकात कर पूरी कहानी बताई। मैंने अपनी लिखित शिकायत उन्हें सौंपी। इसके साथ ही मैंने कई सारे सबूत भी उन्हें सौंपे। बावजूद इसके आजतक मेरी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। थक हार कर मैं एक बार फिर 25 अप्रैल को डीजीपी से मिली। वहां से मुझे आईजी लॉ एंड ऑर्डर के पास भेज दिया गया। वहां भी मैंने अपने साथ हुई घटना के सारे सबूत सौंप दिए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया है कि मेरे साथ न्याय होगा। जैसा की उन्होंने बताया है कि मेरे केस की जांच कुमाऊं के डीआईजी को सौंप दी गई है। मैंने अपनी शिकायत घरेलू हिंसा सुरक्षा अधिकारी रमिंद्री मंदरवाल के पास भी दी है। मैं हर हाल में इस पुलिस अधिकारी को सबक सीखाना चाहती हूं। जब तक मेरी एफआईआर दर्ज नहीं होती और उस अधिकारी को सजा नहीं होती मैं संघर्ष करती रहूंगी।

(यह सारी बातें रेप विक्टिम ने ऑन रिकॉर्ड कही है। सभी सबूत आई-नेक्स्ट के पास मौजूद है.)

क्या कहता है कानून

1. राजस्थान के भंवरी देवी केस के बाद सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग आई थी कि अगर रेप विक्टिम खुद सामने आकर कहती है कि उसके साथ रेप हुआ है तो तत्काल एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। इसके साथ ही सीआरपीसी की धारा 161 से लेकर 173 तक के सारे प्रोसेस को तुरंत फॉलो किया जाना चाहिए। अगर पारिस्थितिक जनक साक्ष्य भी मिलते हैं तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।

2. सीआरपीसी की धारा 376 के ए,बी,सी,डी के अलावा पुलिस एक्ट में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर किसी मैन इन यूनिफॉर्म यानि वर्दी वाले अधिकारी या कर्मचारी पर रेप जैसे गंभीर आरोप लगते हैं तो मामले में बिना विलंब के कर्रवाई होनी चाहिए। यह कार्रवाई दो तरह से होगी। पहली विभागीय कार्रवाई और दूसरी पुलिस कार्रवाई।  

सीयूजी नंबर का किया उपयोग

आई-नेक्स्ट को मिली जानकारी के अनुसार एसपी सिटी हल्द्वानी ने लेडी को अपने सीयूजी नंबर से हजारों कॉल किए। इतना ही नहीं अपने ऑफिशियल नंबर से उसे कई एसएमएस भी किए। इनमें से कई एसएमएस काफी आपत्तिजनक हैं। सूत्रों के अनुसार लेडी ने अपने सबूतों में इन सारे एसएमएस को भी सबूत के तौर पर पेश किया है।

क्यों लेट सौंपी जांच?

इस मामले में पुलिस मुख्यालय स्तर पर भी जानबूझकर विलंब करने के आरोप लग रहे हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि मामला चूंकि पुलिस अधिकारी से जुड़ा है इसलिए पुलिस मुख्यालय भी हर कदम संभल कर रख रहा है। सूत्रों के अनुसार पुलिस मुख्यालय ने गुपचुप तरीके से पहले एसपी सिटी के सीयूजी नंबर की जांच करवाई है। यहां से संकेत मिलने के बाद ही कुमाऊं डीआईजी को जांच की बागडोर सौंपी गई है।

'हां यह सही है कि हल्द्वानी के एसपी सिटी परमेंद्र डोभाल पर युवति ने गंभीर आरोप लगाए हैं। मामले की जांच कुमाऊं डीआईजी को सौंप दी गई है। उनकी रिपोर्ट के बाद ही किसी कार्रवाई की बात कही जा सकती है.'

-राम सिंह मीणा, आईजी लॉ एंड ऑर्डर

'मामला बेहद गंभीर है, लेकिन हमारे ज्यूडिक्शन में यह मामला नहीं आता है। हालांकि हमने लेडी की कंप्लेन ले ली है। इस मामले को हमारे द्वारा संबंधित जिले के अधिकारियों को फॉरवर्ड कर दिया जाएगा। साथ ही महिला आयोग को भी केस की जानकारी जरूर दी जाएगी। ताकि उस लेडी को न्याय मिल सके। उसने तमाम सबूत भी सौंपे हैं.'

-रामिंद्री मंदरवाल, घरेलू हिंसा सुरक्षा अधिकारी

इस संबंध में आई-नेक्स्ट ने हल्द्वानी के सिटी एसपी प्रमेंद्र डोभाल से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनका फोन लगातार बंद मिला।