LUCKNOW: रंगमंच में कभी महिलाओं का किरदार भी पुरुष ही निभाते थे, लेकिन समय बदला और बदली रंगमंच में किरदार निभाने वाली पुरुषवादी सोच। वर्तमान समय में रंगमंच में महिलाओं की भागीदारी बढ़ गई है। अपने परिवार से लड़कर उनका विरोध झेलकर अपने रंगमंच के जुनून को आगे बढ़ाया और आज शहर के रंगमंच में अपना नाम रोशन कर रही है।

महिलाओं को मिला सपोर्ट

शालिनी विजय जो रंगमंच से पिछले 12 साल से जुड़ी हुई हैं। अब तक उन्होंने लगभग तीस प्ले में अभिनय किया है। जिसमें शहर के जाने माने नाटककारों जैसे स्वर्गीय जुगल किशोर, चित्रा मोहन , सूर्यमोहन आदि के निर्देशन में भी काम कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि शादी के बाद से रंगमंच से जुड़ी। महिलाओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा रंगमंच पर महिलाओं को ज्यादा सपोर्ट मिलता है। जिसकी वजह से अब लड़कियां ज्यादा आ रही है। मगर उनमें काम करने का क्रेज कम और शोहरत पाने का ज्यादा है जिसके चलते वो ज्यादा देर तक रुक नहीं पाती।

महिला सशक्तिकरण के मुद्दे प्रमुख

रंगकर्मी सीमा मोदी पिछले 6 साल से रंगमंच से जुड़ी हैं और वो नाटक के जरिये महिला सशक्तिकरण के मुददे को उठाती है। अब तक लगभग 15 नाटकों में काम कर चुकी हैं और महोत्सव में उनके द्वारा निर्देशित नाटक 'तुम्हें छू लू जरा' को बहुत ही पसंद किया गया। उन्होंने कहा कि जहां तक रंगमंच में सपोर्ट की बात है तो मुझे परिवार से बहुत ही सपोर्ट मिला। रिहर्सल और परिवार के बीच सामंजस्य बैठाना बहुत ही मुश्किल होता है।

आज तो काफी असानी

सीनियर रंगकर्मी अचला बोस ने अब तक सौ से ज्यादा प्ले किये हैं। उनको रंगमंच से जुड़े हुए तीस साल हो गये। उन्होंने बताया कि शुरू में बहुत दिक्कत आती थी रिहर्सल शाम को होती थी। इसलिए घर से जल्दी परमिशन नहीं मिलती थी आज के समय में लड़किया ज्यादा बोल्ड हो गई है फिर भी परिवार की ओर से ऐसी दिक्कत का होना स्वाभाविक है। इसलिए मैंने तो जो लड़किया थियेटर से जुड़ना चाहती है उनके घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी उठाई प्ले के रिहर्सल के बाद उनको घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी उठाई है जिसके चलते परिवार से ज्यादा दिक्कत नहीं होती है।

पति का मिला पूरा सपोर्ट

रंगमंच से जुड़ने की ख्वाहिश बहुत पहले से थी मगर परिवार के विरोध के चलते कभी ज्वाइन नहीं कर पाई फिर शादी के बाद पति से अपनी इच्छा बताई तो उन्होने हां कर दी और मेरा हर कदम पर सपोर्ट किया। ये कहना है नाज खान का जो रंगमंच से दो साल पहले हरी जुड़ी हैं और अब तक 15 नाटकों में काम कर चुकी हैं और दो नाटकों का निर्देशन भी कर चुकी हैं। इसके अलावा कई फिल्मों में छोटे रोल भी कर चुकी हैं। रंगमंच पर महिलाओं के जुड़ने की बात पर उन्होंने कहा कि रंगमंच में लड़कियों के लिए काफी स्कोप है बशर्ते वो रंगमंच के प्रति समर्पण का भाव रखें।