ये पाए गए दोषी

फर्जी डिग्री मामले में डिप्टी रजिस्ट्रार प्रभात रंजन ने फ्राइडे को जांच रिपोर्ट वीसी को सौंपी। जिनमें परीक्षा विभाग बीकॉम के सेक्शन प्रभारी सुरेश मोहन माथुर, बीए डिपार्टमेंट के संजीव अस्थाना और एमए डिपार्टमेंट के अनिल शर्मा दोषी पाए गए। वीसी के आदेश के बाद रजिस्ट्रार वीके पांडेय ने तीनों कर्मचारियों को निलंबन पत्र थमा दिए।

डिग्री पर मिले दो कर्मचारियों के सिग्नेचर

जांच में क मेटी को डिग्री पर दो कर्मचारियों के हस्ताक्षर मिले। इस मामले में केए कॉलेज कासगंज की डिग्रियों पर सुरेश मोहन माथुर और अनिल शर्मा के हस्ताक्षर थे। वहीं संदीप अस्थाना को चार्ट में गड़बड़ी करने के आरोप में दोषी पाया गया।

कार्यसमिति की बैठक में डिसीजन

फ्राइडे सुबह हुई कार्यसमिति की बैठक में डिप्टी रजिस्ट्रार प्रभात रंजन ने अपनी जांच रिपोर्ट वीसी मोहम्मद मुजम्मिल को सौंपी थी।

 शासन से था दबाव

यूनिवर्सिटी में हुए फर्जी डिग्री मामले के खुलासे के लिए वीसी और विवि अधिकारियों पर पिछले कई दिनों से दबाव था। इस मामले पर राजभवन से भी कार्रवाई की बात कही जा रही थी।

ये था मामला

यूनिवर्सिटी कॉकस ने बीएससी और बीकॉम के वर्ष 2007 से 2010 तक के चार्टों में फर्जी रोल नंबर जनरेट कर डिग्रियां बना दीं थीं। कानपुर में जब इन डिग्रियों की जांच की गई तो, मामला सामने आया। इसके बाद वीसी ने तुरंत जांच कमेटी गठित कर मामले के खुलासे का आदेश दिया था।

हाईपावर कमेटी भी करेगी जांच

मामले के खुलासे के बाद निलंबित कर्मचारियों के जेल जाने की तैयारियां शुरु हो गई हैं। रजिस्ट्रार ने बताया कि मामले की जांच के लिए हाईपावर कमेटी बनाई जाएगी।

वीके पांडेय, रजिस्ट्रार

कार्य परिषद समिति ने तीन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। तीनों कर्मचारी चार्टों में गड़बड़ी करने के दोषी पाए गए हैं। फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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