बाल संरक्षण गृह में सुरक्षा के दावे फेल, देर रात छत पर चढ़ ड्रेनेज पाइप के सहारे पलायन कर गए 3 बालक

विभागीय लापरवाही हुई उजागर, घटनाक्रम के दौरान गृह में नहीं था अधीक्षक

डीपीओ ने दर्ज कराया मुकदमा, शासन को दी प्रकरण की जानकारी

Meerut. एक बार फिर मेरठ के सूरजकुंड स्थित बाल संरक्षण गृह से 3 बालक शुक्रवार रात्रि पलायन कर गए. एक बालक ने सभी के पलायन में मदद भी की. इस दौरान बालकों की देखभाल के लिए तैनात अधीक्षक समेत सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी भी नदारद थे.

डंके की चोट पर

शुक्रवार रात्रि करीब 3 बजे 3 बालक सूरजकुंड स्थित बाल संरक्षण गृह से पलायन कर गए. सभी बालक परिसर की दीवार के सहारे छत पर चढ़े और छत से कूदकर परिसर से बाहर चले गए. सीसीटीवी में पूरा घटनाक्रम रिकार्ड हो गया जिसे देखकर साफ है कि पलायन से पहले बालकों ने पूरी प्लानिंग बनाई थी. यहां स्पष्ट कर दें कि जिस समय बालक, संरक्षण गृह से पलायन कर रहे थे उस समय गृह में एक ही कर्मचारी मौजूद था, जिसने पूछताछ के दौरान बताया कि वो मंद बुद्धि बच्चों के बीच विवाद निपटा रहा था. जबकि दो होमगार्ड परिसर के बाहर थे. परिसर में अधीक्षक मौजूद नहीं था. डीपीओ शत्रुघ्न कनौजिया ने बताया कि देर रात्रि संरक्षण गृह परिसर में खिड़की और ड्रेनेज पाइप के सहारे 3 बालक छत पर पहुंचे और वहां से पाइप के सहारे नीचे उतर गए.

दर्ज कराया मुकदमा

घटनाक्रम की जानकारी पर प्रभारी डिप्टी सीपीओ महेश कुमार कंडवाल, डीपीओ शत्रुघ्न कनौजिया ने मौका मुआयना किया. घटनाक्रम की रिपोर्ट थाना नौचंदी में दर्ज कराई और एडीएम सिटी महेश चंद्र शर्मा को प्रारंभिक सूचना दी. इसके अलावा डीपीओ ने शासन को भी घटनाक्रम की जानकारी देते दी है. संरक्षण गृह में तैनात कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के बयान भी दर्ज कराए गए. फिलहाल संरक्षण गृह में 25 बालक रह रहे हैं.

भगवान भरोसे बाल गृह

मेरठ का बाल संरक्षण गृह भगवान भरोसे चल रहा है. गौरतलब है कि गत दिनों मासूम के साथ केयर टेकर द्वारा कुकुर्म, अधीक्षक द्वारा मारपीट से चर्चा में आने के बाद भी संरक्षण गृह में अव्यवस्थाएं काबिज हैं. आलम यह है कि प्रभारी अधीक्षक अबरार मियां ईद की छुट्टी पर गए थे, तब से वापस ही नहीं आए हैं. अबरार के छुट्टी पर जाने के बाद चार्ज केयर टेकर तेज प्रताप को दिया गया, वो भी छुट्टी पर है. जिसके बाद फिलहाल अधीक्षक का चार्ज एक अन्य केयर टेकर प्रकाश पर है, वो भी घटनाक्रम के दौरान परिसर में नहीं था. जबकि प्रावधान यह है कि अधीक्षक को 24 घंटे संरक्षण गृह में ही रहना होता है.