सच्चाई मामलों की जांच के बाद ही सामने आएगी
भोपाल  (पीटीआई) । इन दिनों एक जून से मध्यप्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब समेत देश के विभिन्न राज्यों के किसान ऋण छूट को लेकर हड़ताल पर हैं। ऐसे में इस बीच मध्यप्रेदश में किसानों की मौत की खबर ने किसानों का गुस्सा और ज्यादा बढ़ा दिया।पुलिस के मुताबिक कथित तौर पर दो किसानों के कर्ज से परेशान होकर जान देनी की सूचना मिली है। इसके अलावा एक किसान की  कृषि उपज मंडी में अव्यवस्थाओं की वजह से मौत हो गई है। हालांकि सच्चाई मामलों की जांच के बाद ही सामने आएगी।   

लाखों के कर्ज में डूबे दो किसानों ने गंवाई जान
इस मामलों में बालाघाट जिले के वारासिवनी पुलिस थाना प्रभारी महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि सूचना के आधार पर 70 साल के किसान छन्नुलाल बोपचे ने जहर खाकर जान दे दी है।परिजनों के मुताबिक छन्नुलाल 1,50,500 रुपये का बैंक कर्ज था।फसल अच्छी न होने की वजह से वह कर्ज नहीं चुका पा रहा था। इससे काफी परेशान था। वहीं दूसरी ओर शुजालपुर तहसील के ग्राम ऊगली में 60 साल के किसान गोरधन अहिरवारका शव कुएं में तैरता हुआ पाया गया। परिजनों ने बताया कि इन  2 लाख रुपये का कर्ज था।

कृषि उपज मंडी में चना बेचने आए  किसान की मौत
इसके अलावा सिमरिया कृषि उपज मंडी में चना बेचने आए 48 वर्षीय किसान सोहनलाल अहरवाल की भी मौत हो गई। इनकी मौत को लेकर कहा जा रहा है कि उनके सीने में दर्द था। गर्मी अधिक होने और संसाधनों की कमी के चलते इनकी मौत हुई है। वहीं, इस संबंध में सिवनी कलेक्टर गोपालचंद डाड का कहना है कि अब तक मिली जानकारी के मुताबिक किसान को सीने में दर्द हुआ था। उसके बेटे संजय अहरवाल ने जानकारी मिलते ही उसे अस्पताल भी पंहुचाया था।हालांकि हार्ट अटैक पड़ने की वजह से मौत हो गई है।

दूसरे दिन सब्जियों और दूध की किल्लत होने लगी
वहीं कल दूसरे दिन भी सरकारी नीतियों के खिलाफ किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले हड़ताल जारी रही। आंदोलन का असर शनिवार को दूसरे दिन विभिन्न राज्यों में दिखना शुरू हो गया है। राजधानी दिल्ली के आजादपुर मंडी में जहां टमाटर की आवक में कमी आई है। वहीं दूसरे राज्यों में दूध व सब्जियों को बाजारों तक नहीं पहुंचने दिया गया।किसान संगठनों की हड़ताल के दूसरे दिन सब्जियों और दूध की किल्लत होने लगी। सभी बड़े शहरों  में सब्जियों व दूध के दाम में भारी उछाल दिखने लगा है।

स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू किया जाए

बता दें कि देश भर में किसानों ने कुछ खास मांगों को लेकर यह रास्ता अपनाया है। किसानों का कहना है कि वे इस बार बिना अपनी मांगे मनवाएं चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने शहरी इलाकों में दूध, फल, सब्जी और बाकी दूसरे पदार्थेां की सप्लाई बंद कर रखी है।किसानों की मांग है कि कृषि कर्ज माफ हों जिससे कि वे खुदकुशी करने को मजबूर न हों। इतना ही नहीं किसानों को सभी फसलों का सही मूल्य मिले-न्यूनतम आय गारंटी योजना लागू हो।इसके साथ ही किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू किया जाए।

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