-सैकड़ों प्राइवेट हॉस्पिटलों में आने वाले डेंगू पेशेंट्स की जांच का जिम्मा मलेरिया विभाग को

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क्कन्ञ्जहृन्: तीन लैब टेक्निशियनों के कंधों पर शहर में डेंगू के सैंपल की जिम्मेदारी मलेरिया विभाग की ओर से सौंप दी गई है। इन लैब टेक्निशियनों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे प्राइवेट हॉस्पिटलों से डेंगू संदिग्ध मरीजों से ब्लड का सैंपल कलेक्ट करेंगे और पीएमसीएच, आरएमआरआई, एनएमसीएच आदि सरकारी हॉस्पिटलों में जांच के लिए पहुचाएंगे। ताकि रोग का सही जांच हो सके। हलांकि कुछ लोग इसे महज खानापूर्ति ही बता रहे हैं क्योंकि इतने बड़े शहर में जहां डेंगू के डंक से अभी हर कोई पेरशान है ऐसे में सिर्फ तीन कर्मी इस काम को कैसे कर पाएंगे। विभाग का प्रयास यह भी है कि इससे शहर में डेंगू को लेकर फैलने वाली अफवाह पर भी रोक लगेगी।

बड़े तक सिमटी व्यवस्था

सिविल सर्जन के निर्देशानुसार मलेरिया विभाग में तीन लैब टेक्निशियनों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे शहर के प्रमुख उन प्राइवेट हॉस्पिटलों से डेंगू संदिग्ध मरीजों के ब्लड का सैंपल कलेक्ट करें जो इलाज के लिए उन हॉस्पिटलों में मौजूद हैं। इन हॉस्पिटलों में मुख्य रूप से पारस, रूबन, जगदीश साई, कुर्जी आदि हॉस्पिटलों से रोगियों के ?लड सैंपल कलेक्ट करने के निर्देश दिए गए हैं। दूसरे हॉस्पिटलों को भी मलेरिया विभाग ने निर्देशित किया है कि वे डेंगू के इलाज के लिए आने वाले मरीजों का ब्लड सैंपल उपलब्ध कराएं ताकि उनके रोग का सही जांच हो सके।

आधे से अधिक मामले अफवाह

शहर में तेजी से फैल रहे डेंगू में से 50 परसेंट से अधिक मामले को विभाग अफवाह बता रहा है। विभागीय अधिकारी और स्टेट प्रोग्राम अफसरों का मानना है कि सही उपकरण और कीट के माध्यम से ट्रेंड लैब टेक्निशियनों के हाथों जांच नहीं होने की वजह से डेंगू का अफवाह राजधानी में फैला है। प्राइवेट हॉस्पिटलों में लोगों को गुमराह करते हुए हजारों, लाखों की कमाई की जा रही है। वहीं, शहर में डेंगू की अफवाह भी फैलायी जा रही है। इस वजह से रोग की सही पुष्टि किए बिना बुखार पीडि़त और उनके परिजनों में खौफ का माहौल है।

कर्मचारियों के लिए चुनौती

ज्ञात हो कि शहर में कितने प्राइवेट हॉस्पिटल हैं। इसकी पूरी जानकारी भी कर्मियों के पास नहीं है। 40 परसेंट से अधिक हॉस्पिटल डेंगू का इलाज करने का दावा कर रहा है। ऐसे में मलेरिया विभाग से तैनात तीन कर्मियों के सहारे सैंपल कलेक्शन न सिर्फ चुनौती वाला काम है बल्कि विभाग के लिए यह महज खानापूर्ति ही कहा जाएगा। अभी तक मुश्किल से एक दर्जन हॉस्पिटलों से ही विभाग ब्लड सैंपल कलेक्ट कर सका है।

किट की पेंच में फंसा मामला

स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि अधिकांश हॉस्पिटल और पैथोलॉजी सेंटरों में महंगी एलाइजा रीडर मशीन उपलब्ध नहीं है। इस वजह से कुछ प्राइवेट हॉस्पिटलों में मामूली रैपिड डायग्नोस्टिक किट से ही जांच कर लोगों को डेंगू का पेशेंट बता दिया जा रहा है। वास्तव में कई मामलों में पेशेंट्स में डेंगू की शिकायत रहती ही नहीं है। इसका खुलासा शहर में कुछ ऐसे जन प्रतिनिधियों के ब्लड की पुन: जांच में मलेरिया विभाग ने किया जिन्हें प्राइवेट हॉस्पिटलों ने खुद के स्तर पर किए गए जांच में डेंगू का पेशेंट घोषित कर दिया था।

लैब टेक्निशियनों की ओर से बहुत सारे सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेजा जा चुका है। शहर के मुख्य दो दर्जन प्राइवेट हॉस्पिटलों में ही डेंगू का इलाज किया जाता है। जिस पर फोकस है। दूसरे हॉस्पिटल भी डेंगू की इलाज से पहले सैंपल उपलब्ध कराएंगे।

-रामानुज शर्मा, मलेरिया इंस्पेक्टर, मलेरिया विभाग, पटना