व‌र्ल्ड ब्लड डोनेट डे

रोजाना दर्जनों लोगों को जरूरत पर नहीं मिलता ब्लड

डोनर्स की कमी से जूझ रहे ब्लड बैंक, जागरुकता का है अभाव

एक यूनिट ब्लड से बचाई जा सकती है तीन लोगों की जान

ALLAHABAD: शहर में चार ब्लड बैंक हैं। इनमें एक प्राइवेट और तीन सरकारी हैं। सभी संसाधन से युक्त हैं लेकिन फिर भी रोजाना दर्जनों लोग ब्लड नही मिलने से निराश घर लौट जाते हैं। क्योंकि, ब्लड की जितनी डिमांड है। उतनी आपूर्ति नही हो पाती है। कारण साफ है। लाखों की आबादी वाले जिले में ब्लड डोनेट करने वालों की संख्या काफी कम है। जबकि लोगों को नही मालूम कि उनके एक यूनिट ब्लड से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है। डॉक्टर्स का कहना है कि लोगों की जागरुकता ही मरीजो की जान बचा सकती है।

दो सौ लोगों को होती है आपूर्ति

रोजाना औसतन ढाई यूनिट ब्लड की डिमांड होती है और इसके बदले में लगभग दो सौ यूनिट ब्लड ही उपलब्ध हो पाता है। बाकी बचे लोगों को अगले दिन अपने नंबर का इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान मरीज को भी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। सर्वाधिक आपूर्ति इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के ब्लड बैंक के जरिए होती है। इसके अलावा बेली, कॉल्विन और एसआरएन हॉस्पिटल के ब्लड बैंक भी अपना योगदान देते हैं। इसके बावजूद ब्लड की कमी बनी ही रहती है।

फंसते हैं दलालों के जाल में

ब्लड की कमी का लाभ उठाने वालों की संख्या भी कम नही है। लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने वाले दलाल एक यूनिट के बदले हजारों रुपए ऐंठ लेते हैं। ऐसे लोग प्रोफेशनल डोनर्स की तरह होते हैं और यह थोड़े समय के अंतराल में ब्लड देकर पैसे कमाते हैं। दलालों की वजह से मरीजों में संक्रमित ब्लड के जरिए घातक रोगों के फैलने का खतरा भी बना रहता है। इनकी धरपकड़ में पुलिस और प्रशासन हमेशा से ढुलमुल रवैया अपनाता रहा है।

फैक्ट फाइल

250

यूनिट ब्लड की आवश्यकता पड़ती है प्रतिदिन

200

यूनिट ब्लड की ही प्रतिदिन हो पाती है सप्लाई

किस ब्लड ग्रुप के कितने लोग

ओ पाजिटिव- 33 फीसदी

बी पाजिटिव- 8 फीसदी

एबी पाजिटिव- 4 फीसदी

ए पाजिटिव- 33 फीसदी

ए निगेटिव- 6 फीसदी

एबी निगेटिव- 0.6 फीसदी

बी निगेटिव- 1.5 फीसदी

कौन दे सकता है ब्लड

उम्र- 18 से 20 साल

हीमोग्लोबिन- 12.5 ग्राम

पल्स- 50 से 100

ब्लड प्रेशर- नार्मल

वजन- 45 केजी से अधिक

अंतर- तीन माह में एक बार डोनेशन

प्लेटलेट्स डोनेशन- स्वस्थ व्यक्ति सात दिन के फासले पर प्लेटलेट्स डोनेट कर सकता है, बशर्ते साल में इसकी संख्या 24 से अधिक न हो।

रौशन किया शहर का नाम

रक्तदान किसी जुनून से कम नहीं है। रिसर्च स्कालर राजीव मिश्रा रिटायर्ड कैप्टन बालेश्वर मिश्रा के बेटे हैं और अब तक इसी जुनून के चलते 38 बार ब्लड दे चुके हैं। उनका सपना ब्लड डोनेशन के जरिए गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराना है। पिछले दिनों उनको डीएम संजय कुमार ने सम्मानित किया था। इन्होंने एक ग्रुप बनाया है जिसका नाम यूथ फार ब्लड डोनेशन है। इसमें कुल 137 मेंबर हैं। राजीव के भाई की मौत ब्लड की कमी से हुई थी। इसके बाद उन्होंने खुद को ब्लड डोनेशन को समर्पित कर दिया है। 16 जून को इस उपलब्धि के लिए उन्हें यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने बुलाया है।