- मेडिकल कॉलेज में नहीं बन पाया फायर फाइटिंग वाटर स्प्रिंकलर सेफ्टी सिस्टम

- बेहद पुरानी वायरिंग के चलते हो रहे शार्ट सर्किट से लोगों की जान को खतरा

>Meerut मेडिकल कॉलेज में मंगलवार को शार्टसर्किट से आग लगने के दो मामले हुए। दरअसल यहां बिजली की वायरिंग बेहद पुरानी और जर्जर है। उधर आग बुझाने के लिए 6 करोड़ की लागत से बन रहा फायर फाइटिंग वाटर स्प्रिंकलर सेफ्टी सिस्टम का प्रोजेक्ट भी 'धुआं-धुआं' हो गया है। कई एकड़ में फैले इस कॉलेज में फिलहाल आग बुझाने के इंतजाम नाकाफी हैं।

प्रोजेक्ट लटका, कंपनी गायब

मेडिकल कॉलेज में फायर फाइटिंग वॉटर स्प्रिंकलर सेफ्टी सिस्टम को बनाने का काम करीब दो साल पहले कार्यदायी कंपनी सिडको को दिया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत पूरे कॉलेज व अस्पताल को कवर किया जाना था। प्रोजेक्ट के तहत काफी संख्या में पाइप मंगाए गए लेकिन आधी पाइपलाइन बिछाकर ही इसे बीच में ही अधूरा छोड़ दिया गया। खुले में पड़े पाइपों में जंग लग चुकी है जबकि कई पाइप चोरी भी हो गए हैं। हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े प्रोजेक्ट पर कॉलेज व अस्पताल प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है।

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200 अग्निशमक सिलेंडर

यहां के सभी विभागों में पुरानी वायरिंग होने से तार गलने लगे हैं। लगातार शार्ट सर्किट हो रहे हैं। 155 एकड़ में फैला मेडिकल कॉलेज सिर्फ 200 अग्निशमक यंत्रो के भरोसे चल रहा है। इसमें करीब 150 सिलेंडर एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक व पुरानी बिल्डिंग में लगे हैं, जबकि 50 के करीब नई इमरजेंसी में लगे हैं। हर जगह फायर अलार्म भी खराब हैं। 1966 के बाद से एक बार भी यहां री-वायरिंग का काम नहीं हुआ है। खास बात यह है कि विभागों में पुराना कंडम लकड़ी का फर्नीचर इधर-उधर पड़ा हुआ है।

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10-12 हजार जान खतरे में

कॉलेज व अस्पताल दोनों को मिलाकर कम से कम 10-12 हजार लोगों का रोजाना आना-जाना होता हैं। 3 हजार से ज्यादा लोग सिर्फ ओपीडी में ही रोजाना आते हैं। इसके अलावा एडमिट मरीज, तीमारदार, मेडिकल स्टूडेंट्स, फैक्लटी, स्टॉफ व अन्य कर्मचारी भी यहां मौजूद रहते हैं।

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कंपनी बीच में ही प्रोजेक्ट का काम छोड़कर गायब हो गई है। उनके कई और प्रोजेक्ट भी अधूरे हैं। इस संबंध में हमने शासन को अवगत कराया गया है। री-वायरिंग की प्रस्ताव भेजा जा चुका है। फिर भी हमारे पास आग बुझाने के पूरे संसाधन हैं।

डॉ। एस.के गर्ग, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज