- बिहार सरकार के अनुरोध पर यूपी सरकार ने दी अभियोजन स्वीकृति

- बिहार पुलिस ने केस में चार्जशीट दाखिल होने के बाद मांगी थी स्वीकृति

- लंबे समय से एफएसएल के डायरेक्टर हैं एसबी उपाध्याय, कई जांचों के दायरे में

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LUCKNOW :विवादों में घिरे रहने वाले सूबे की फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएलल) के डायरेक्टर डॉ। श्याम बिहारी उपाध्याय की मुसीबतों में इजाफा होने लगा है। बिहार सरकार के अनुरोध पर राज्य सरकार ने डॉ। एसबी उपाध्याय के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह मामला लंबे समय से गृह विभाग में लंबित था, सूबे में सरकार बदलने के साथ ही बिहार सरकार की इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया। अब बिहार पुलिस डॉ। उपाध्याय के खिलाफ कानूनी शिकंजा कस सकेगी, साथ ही उनका डायरेक्टर एफएसएल के पद पर बने रहना भी मुश्किल होगा।

वित्तीय अनियमितता और आपराधिक साजिश का मामला

बिहार में एफएसएल के डायरेक्टर रहे डॉ। एसबी उपाध्याय के खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही है। इनमें से एक मामला एफएसएल के डायरेक्टर रहने के दौरान वित्तीय अनियमितताओं और फॉरेंसिक सुबूतों से छेड़छाड़ से जुड़ा है जिसकी जांच बिहार लोकायुक्त और विजिलेंस ने की थी और बाद में अदालत में डॉ। उपाध्याय के खिलाफ वर्ष 2013 में चार्जशीट भी दाखिल की थी। बाद में डॉ। उपाध्याय ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगाने का अग्रिम जमानत का आदेश हासिल कर लिया। इससे पहले वह वर्ष 2010 में राजधानी के महानगर इलाके में स्थित यूपी स्टेट फॉरेंसिक लैब के डायरेक्टर बन गये और बीते सात सालों से इस पद पर काबिज हैं। इस अहम पद पर तैनाती की वजह से बिहार सरकार ने यूपी सरकार ने डॉ। उपाध्याय के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी थी, लेकिन पिछली सरकार में गृह विभाग के अफसर बार-बार विधिक राय मांगे जाने का बहाना बनाते हुए इसे टालते रहे।

नई सरकार में शुरू हुई जांच

वहीं डॉ। उपाध्याय के खिलाफ यूपी में लगे तमाम आरोपों की जांच भी शुरू हो गयी और इसका जिम्मा डीजी ट्रेनिंग सुलखान सिंह को सौंपा गया। दरअसल डॉ। उपाध्याय का शासन में इतना प्रभाव था कि पहले जांच अधिकारी बनाए गये एडीजी तकनीकी सेवा आरके विश्वकर्मा ने उनके खिलाफ जांच करने से मना कर दिया और किसी वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराने की आग्रह शासन से कर दिया। वहीं इससे पहले एडीजी तकनीकी सेवा रहे सुब्रत त्रिपाठी ने भी डॉ। उपाध्याय के खिलाफ जांच शुरू कराई थी, लेकिन बाद में उन्हें ही पद से हटा दिया गया। वहीं योगी सरकार आने के बाद बिहार सरकार के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया गया और अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी गयी।

बिहार सरकार को हुआ 17 करोड़ का नुकसान

दरअसल फरवरी 2008 से अगस्त 2010 तक बिहार फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी का मुखिया रहने के दौरान डॉ। उपाध्याय पर करीब 17 करोड़ रुपये की हेराफेरी से जुड़ा है। डॉ। उपाध्याय द्वारा नियमों को दरकिनार कर तमाम वित्तीय स्वीकृतियां दी गयी जिससे बिहार सरकार को 17 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। बिहार पुलिस ने नवंबर 2012 में पटना के शास्त्री नगर थाने में इसकी एफआरआर दर्ज की थी। यह मामला बिहार लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट के बाद दर्ज किया गया था और जांच विजिलेंस के सुपुर्द कर दी गयी। इसके बाद बिहार पुलिस ने यूपी सरकार ने अभियोजन स्वीकृति मांगी लेकिन चार साल से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा।

कोट

बिहार सरकार ने एफएसएल डायरेक्टर डॉ। श्याम बिहारी उपाध्याय के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी थी, न्याय विभाग से विधिक राय लेने के बाद बिहार सरकार की अभियोजन स्वीकृति दिए जाने के आग्रह को मंजूर कर लिया गया है।

- अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव, गृह