-ठंड में आर्टरी सिकुड़ने से आ रहे एंजाइना अटैक

-नसों में कलस्ट्रॉल का जमाव और हाई बीपी बढ़ा रहा प्रॉब्लम

Meerut। पिछले दिनों आई तापमान की गिरावट ने दिल की मरीजों के सामने भारी संकट खड़ा कर दिया है। यही कारण है कि पिछले 15 दिनों हार्ट फेल्योर के केस 30 प्रतिशत तक बढ़ गए है। ऐसे में डॉक्टर्स ने हार्ट पेशेंट्स व ऐसी किसी हिस्ट्री रखने वाले लोगों को एहतियात बरतने की सख्त हिदायत दी है।

क्या है मामला?

दरअसल, ठंड में तापमान कम होने से बॉडी का टेंप्रेचर मौसम से कोप-अप करता है। ऐसे में वस्क्यूलर प्रॉब्लम पैदा हो जाती है। चेस्ट रोग स्पेश्लिस्ट डॉ। वीरोत्तम तोमर ने बताया कि ठंड के कारण नसें सिकुडने लगती है, जिससे एनजाइना पेन व हार्ट स्ट्रोक का खतरा अधिक बढ़ जाता है। ठंड में दमा अटैक का भी खतरा बढ़ जाता है। खासकर रात में और सुबह इस बीमारी का खतरा अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चों और बुजुर्गो का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है।

कलेस्ट्रॉल पर रखें कंट्रोल

क्या न करें?

-बॉडी में शुगर की मात्रा न बढ़ने दें।

-मूंगफली अधिक मात्रा में न लें।

-फाइबर युक्त चीजों से परहेज रखें।

-डिनर में रोटी को अवॉयड करें।

-खाने में नमक की मात्रा कम कर दें।

-एल्कोहल से परहेज करें।

क्या करें?

-रेगुलर एक्सरसाइज कर कैलोरी बर्न करें।

-इंडियन डायट को ही तरजीह दें।

-फलों और सलाद की संख्या बढ़ाएं।

-वॉक पर जरूर निकलें।

-हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।

-धूप में बैठें, खूब पानी पिएं, नमक कम लें।

-सरसों के तेल का अधिक सेवन करें।

-3 से 4 घंटे में कुछ न कुछ खाते रहें।

-सर्दियों में दही जरूर खाएं।

-रोजाना पांच बादाम और दो अखरोट लें।

ब्लड प्रेशर पर रखें नजर

ब्लड प्रेशर के मरीजों को बीपी के उतार-चढाव को अधिक ध्यान रखने की जरूरत है। मेडिकल कॉलेज के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डॉ। तुंगवीर आर्य ने बताया कि कॉलस्ट्रोल के बढ़ने से हाई बीपी की समस्या आती है। ऐसे में बीपी के पेशेंट्स समय-समय पर अपना ब्लड प्रेशर चेक कराते रहें।

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सर्दियों में हार्ट पेशेंट्स को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। खानपान में बदलाव और कुछ एक्सरसाइज के माध्यम से बॉडी को फिट रखा जा सकता है।

-डॉ। वीरोत्तम तोमर, चेस्ट रोग स्पेशलिस्ट, अध्यक्ष आईएमए

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हाई बीपी के पेशेंट्स डायरेक्ट सर्दी से बचें। ठंड में बाहर न निकलें। बॉडी को पूरी तरह से कपड़े से कवर कर रखे। मॉरनिंग वॉक से परहेज करें।

-डॉ। तुंगवीर आर्य, प्रोफसर मेडिसन विभाग एलएलआरएम