- रोड्स पर ट्रैफिक रंगबाजी करते हुए दिखते हैं वीआईपी नंबर्स वाले वाहन

- वीआईपी नंबर्स के लिए खर्च करते हैं मोटी रकम

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KANPUR। अगर आप सिटी की किसी रोड से जा रहे हैं और आपको सामने से किसी वीआईपी नंबर लिखी गाड़ी आती दिखे तो होशियार हो जाईए, ये गाड़ी आपको हिट करके रन कर सकती है। रविवार को तिलक नगर में हुए एक्सीडेंट व सोमवार को वीआईपी रोड पर हुए एक्सीडेंट में जो गाडि़यां थीं वो दोनो ही वीआईपी नंबर की थीं। सिटी में लगभग रोज ही वीआईपी नंबर वाली गाडि़यों से हादसे होते हैं। जब नंबर वीआईपी है तो गाड़ी के अंदर बैठा आदमी भी तो वीआईपी ही होगा। तभी रोड पर चलते समय वीआईपी कल्चर की ऐंठ दिखती है। आई नेक्स्ट की टीम ने जब रियलिटी चेक किया तो ये तथ्य सामने आए।

हम वीआईपी हैं भाई

रिपोर्टर दोपहर 1 बजे परेड चौराहे पर पहुंचा तो वहां कुछ देर ही रुकने पर वीआईपी कल्चर समझ में आ गया। ये ऐसा स्थान हैं, जहां पास ही में सपा नगर व ग्रामीण कार्यालय के अलावा भाजपा कार्यालय स्थित हैं। जिसकी वजह से वीआईपी लोगों का आना जाना भी लगा रहता है। नवीन मार्केट में गाड़ी पार्क करना एलाउड नहीं है लेकिन रिपोर्टर ने देखा कि वीआईपी गाड़ी वालों ने पूरी रोड को ही पार्किौंग बना डाला। सपा का झण्डा लगी वीआईपी नंबर लिखी एक गाड़ी नवीन मार्केट के अंदर दाखिल हुई। ड्राइवर ने सड़क के बीच में ही गाड़ी खड़ी कर दी। जिससे वहां जाम की स्थिति क्रिएट हो गई लेकिन गाड़ी के ड्राइवर ने जरा भी ध्यान नहीं दिया।

चौराहा क्रास कर बढ़ी आगे

रिपोर्टर दोपहर 2 बजे बड़ा चौराहा पर खड़ा हुआ। यहां भी कुछ ही देर में वीआईपी नंबर लिखी गाडि़यों की वीआईपी रंगबाजी देखने को मिल गई। चौराहे पर परेड की ओर से आ रही एक वीआईपी नंबर की गाड़ी ट्रैफिक सिपाही के हाथ देने के बावजूद भी नहीं रुकी और फूलबाग की ओर बढ़ती चली गई। ट्रैफिक सिपाही ने उसे रोकने का प्रयास किया तो बस एक बार शीशा उतरा और सिपाही चुपचाप पीछे हट गया।

ये है वीआईपी रंगबाजी

रिपोर्टर दोपहर 3 बजे कचहरी रोड पर पहुंचा तो वहां भी वीआईपी नंबर की गाडि़यों की वही रंगबाजी देखने को मिली। जागृति होटल के ठीक सामने एक गाड़ी बीच रोड पर खड़ी थी। जिसके चलते वहां जाम लग रहा था। थोड़ी देर बाद जब गाड़ी वहां से निकली तो आगे भी जगह घेरकर ही खड़ी हो गई। पुलिस ऑफिस के ठीक सामने गाड़ी से एक बाइक वाले की टक्कर हो गई तो फिर से गाड़ी का शीशा उतरा और दो चार अपशब्द कहने के बाद गाड़ी आगे बढ़ गई।

एक तो वीआईपी नंबर ऊपर से पुलिस का लोगो

परेड स्थित शिक्षक पार्क के सामने एक कार पार्किंग न होते हुए भी खड़ी थी। जब रिपोर्टर उसके पास गया तो देखा कि गाड़ी का नंबर वीआईपी था और उस पर पुलिस का स्टीकर भी लगा हुआ था। जाहिर सी बात है कि अब भला कौन इस गाड़ी को रोकेगा।

क्या है वीआईपी नंबर

वीआईपी नंबर वे नंबर हैं। जिनकी जबरदस्त डिमांड रहती है या जिन्हें कोई भी पाना चाहता है। ये ऐसे नंबर होते हैं जो आसानी से याद हो जाते हैं। आरटीओ के एक लिस्ट में 397 वीआईपी नंबर्स की लिस्ट होती है। जैसे 0001, 1111, 5555, 5000, 7860, 0786. ये नंबर थोड़ा युनिक और हटकर होते हैं।

लगती थी बड़ी बोली

वीआईपी नंबर्स की बुकिंग के लिए पहले बड़ी बोली लगती थी। आरटीओ सूत्रों ने बताया कि एक वीआईपी नंबर के लिए लोग अलग से पैसा खर्च करने के लिए तैयार रहते थे। एक-एक नंबर कई-कई हजार रुपये में बिकता था। जिसके कारण आरटीओ विभाग के अंदर व बाहर दलालों ने इन नंबर्स को बेचने का एक अलग धंधा बना लिया था। ज्यादातर बड़े घरों व पैसे वाले लोग ही वीआईपी नंबर खरीदते थे। इसे देखते हुए ही करीब एक साल पहले सरकार ने वीआईपी नंबर की बुकिंग ऑनलाइन कर दी। यानी विभाग की वेबसाइट पर जाकर वीआईपी नंबर बुक कराए जाने लगे।

ऑनलाइन पर हैकर्स का कब्जा

ऑनलाइन वीआईपी नंबर के रजिस्ट्रेशन वाली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की वेबसाइट में कई लूपहोल है। जिनका फायदा उठाकर हैकर्स बड़े आराम से साइट हैक कर सकते हैं। दलाल बड़े आराम से इन हैकर्स के संपर्क में रहते हैं और वीआईपी नंबर्स को अपने हिसाब से बेचते हैं। ऑनलाइन वीआईपी नंबर्स की बुकिंग शुरू करने से इनके रेट पहले से ज्यादा बढ़ गए हैं। वर्तमान में चल रही सीरीज के आगे की सीरीज में भी वीआईपी नंबर बुक हो जाते हैं।

ज्यादातर आते हैं बड़े घरों के लोग

आरटीओ के एक दलाल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वीआईपी नंबर लेने के लिए भी ज्यादातर वीआईपी लोग ही आते हैं। वीआईपी नंबर के मनचाहे दाम भी देते हैं। इसमें ज्यादातर पुलिस, नेता, बिल्डर्स, वकील आदि होते हैं। उसने बताया कि वीआईपी नंबर से एक अलग चार्म गाड़ी के लिए आता है, इसलिए लोग ऐसे नंबर बुक कराते हैं। वहीं एक अन्य दलाल ने बताया कि ज्यादातर वीआईपी नंबर आपको महंगी गाडि़यों में ही मिलेंगे। खासकर वो गाडि़यां जो रईसी व रूआब की निशानी बन गई हैं। जैसे एक्सयूवी, सफारी, स्कॉरपियो, हाण्डा सिटी आदि। अब रुतबे वाला आदमी गाड़ी चलाएगा तो रोड पर एक्सीडेंट तो होंगे ही।

ऑनलाइन वीआईपी नंबर रजिस्ट्रेशन का प्रॉसेस

1. परिवहन विभाग की वेबसाइट https://vahan.up.nic.in/UP_fancynumberbid/ पर लॉग इन करें।

ख्। लेफ्ट हैंड साइड पर बनी विंडो पर सेलेक्ट अट्रैक्टिव नंबर्स पर क्लिक करें।

फ्। फिर अपने शहर के आरटीओ यानि जैसे कानपुर, लखनऊ, आगरा आदि पर क्लिक करें।

ब्। सेलेक्ट व्हीकल्स और फिर सीरीज पर क्लिक करें।

भ्। क्लिक करते ही आपकी स्क्रीन पर अवेलेवल वीआईपी नंबर आ जाएंगे। फिर अपना नंबर सलेक्ट कर निर्धारित पेमेंट अदा करें।

रूल्स के मुताबिक इसी क्रम में ऑनलाइन फॉर्म फिल करने पर आपको नंबर एलॉट हो जाना चाहिए लेकिन दलालों के नेटवर्क और हैकिंग के मास्टर की वजह से नंबर पर क्लिक करने के बाद भी आपको नंबर एलॉट नहीं होगा। बार-बार एरर लिखकर आएगा लेकिन दलाल को पैसे देते ही आपको नंबर एलॉट हो जाएगा।

'बॉस' की बात ही अलग है

आरटीओ की लिस्ट में कुछ ऐसे नंबर भी हैं। जो वीआईपी नहीं हैं फिर वे वीआईपी नंबर से अधिक लोकप्रिय हैं। इसमें सबसे ज्यादा नंबर बॉस का है। बॉस यानी की 80भ्भ् जिसे लोग गाडि़यों में बॉस की तरह लिखवा लेते हैं। इसके अलावा 80ब्भ् भी है। जिसे लिखवाने में लोग ब्याय की स्टाइल में लिखवाते हैं।

नंबर प्लेट लिखवाने के नियम:

- प्राइवेट वाहनों में नंबर प्लेट में प्लेट सफेद व नंबर काले रंग से लिखे होने चाहिए।

- कामर्शियल वाहनों में पीले रंग की प्लेट में काले से लिखे होने चाहिए।

- नंबर रोमन में या हिंदी में लिखे होने चाहिए।

- नंबर बिल्कुल साफ लिखे होने चाहिए व सीधे होने चाहिए। उसमें किसी तरह की डिजाइन नहीं होनी चाहिए।

- सभी नंबर सामान आकार के होने चाहिए व बीच में बराबर गैप होना चाहिए।

- नंबर प्लेट में न तो नंबर के अलावा कुछ और लिखा होना चाहिए और न ही कोई डिजाइन बनी होनी चाहिए।

वीआईपी नंबर के रेट

गवर्नमेंट दलाल

क्भ्000 ख्भ्00

7भ्00 क्ख्000

म्000 क्0000

फ्000 7000

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नोट-गवर्नमेंट रेट की कैटेगिरी ट्रंासपोर्ट डिपार्टमेंट की वेबसाइट के मुताबिक हैं और दलाल के रेट उससे बातचीत के आधार पर दिए गए हैं।

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वीआईपी नंबर्स की बुकिंग ऑनलाइन कर दी गई है। ऐसे में कोई गड़बड़ी होने की संभावना नहीं है। अगर ऐसा है तो जांच कराई जाएगी।

- एसके सिंह, एआरटीओ

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वाहनों में मोटर वेहिकल एक्ट के मुताबिक ही नंबर लिखाए जा सकते हैं, अगर कोई गलत तरीके से लिखाता है तो ये नियम का उल्लंघन है। पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करती रहती है।

- अंबरीश सिंह भदौरिया, सीओ ट्रैफिक