फ़िशिंग स्कैम

फ़िशिंग क्रिसमस पर किया जाने वाला प्रमुख धोखा है. हम में से सभी ने कभी न कभी इसके किसी न किसी संस्करण को ज़रूर देखा है.

धोखाधड़ी करने वाले लोग ईमेल या संदेश भेजकर ऐसे लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जो या तो कंप्यूटर में वायरस छोड़ देता है या किसी फ़र्ज़ी संदेशों में न फँसे. ग़ैर अधिकारिक वेबसाइट पर ले जाता है. धोखाधड़ी का यह तरीका पुराना ज़रूर हुआ है लेकिन वक़्त के साथ इसमें नयापन आया है और कुछ स्कैम तो इतने शातिराना ढंग से किए जाते हैं कि इनके बारे में जानकारी रखने वाले लोगों के फँसने की संभावना भी बढ़ जाती है.

ज़रा सोचिए कि आप किसी चर्चित और विश्वश्नीय वेबसाइट से कुछ सामान ऑर्डर करते हैं और कुछ देर बाद आपको ईमेल मिलता है जो कहता है कि आपके ऑर्डर में कुछ दिक्कत है, कृपया दोबारा ऑर्डर करें. इस संदेश में आपको वेबसाइट का लोगो, ईमेल पता यहाँ तक की तस्वीरें सब वास्तविक लग सकता है. इसलिए क्लिक करने से पहले दो बार सोचें.

'फ़ेक वायरस चेकर'

वायरस को नॉकआउट करने वाले अलर्ट संदेशों से बचे. ये ख़तरनाक हो सकते हैं. आप किसी 'मायावी गिफ़्ट' की तलाश में ऐसी वेबसाइट पर पहुँचते हैं जहाँ आपके करीबियों को दिए जा सकने वाले गिफ़्ट उपलब्ध हैं. लेकिन इसी बीच आपकी स्क्रीन पर एक मैसेज आता है जो बताता है कि आपके कंप्यूटर में वायरस है. साथ ही कहा जाता है कि फ्री वायरस चेक सॉफ़्टवेयर डाउनलोड कीजिए, सब ठीक हो जाएगा. जैसे ही आप डाउनलोड बटन पर क्लिक करते हैं, आपकी मुसीबतों की शुरुआत हो जाती है.

नकली अपग्रेड

जिन अपग्रेड का वादा किया जाता है वो कई बार मिलते ही नहीं हैं.  क्रिसमस या त्यौहारों के मौसम में हम अपने दोस्तों को फ़ेसबुक, ट्विटर या अन्य सोशल मीडिया वेबसाइटों के ज़रिए चुटकुलों, मज़ेदार वीडियो या तस्वीरों के लिंक भेजते हैं. अब ज़रा सोचिए कि आप क्लिक करके ऐसी ही किसी वेबसाइट पर पहुँचें और आपको संदेश मिले कि आपके कंप्यूटर का फ्लैश प्लेयर अपडेट नहीं है इसलिए वीडियो नहीं चल सकता. वीडियो चलाने के लिए फ्लैश प्लेयर अपडेट करें. यह 'अपग्रेड' न सिर्फ़ मालवेयर होगा बल्कि जैसे ही आप अपग्रेड बटन पर क्लिक करेंगे ये संदेश आपके सभी दोस्तों को भी पहुँच जाएगा. यानी इस स्कैम में फँसते ही आपके दोस्तों पर भी ख़तरा मँडराने लगेगा.

आपदा में धोखाधड़ी

आपदाओं के नाम पर कोई आपको 'मदद' की गुहार लगाकर फँसा न ले. दुनिया की महत्वपूर्ण घटनाओं का इस्तेमाल भी आपको आर्थिक नुकसान पहुँचाने के लिए किया जा सकता है. फ़िलिपींस में समुद्री तूफ़ान हेयान के दौरान ऐसा ही हुआ था. यह यक़ीन करना भले ही मुश्किल हो, लेकिन मदद करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुँचने से पहले ऐसी फ़र्ज़ी संस्थाओं के ईमेल पहुँच जाते हैं जो दिखने में तो वास्तविक लगते हैं, लेकिन होते नहीं. इसलिए बेवकूफ़ न बनें. पैसा आपदा क्षेत्र में नहीं, धोखाधड़ी करने वालों की जेब में पहुँच जाता है.

पाइरेटेड सॉफ़्टवेयर डाउनलोड

बहुत से लोग अवैध तरीक़े से कंप्यूटर या लैपटॉप खरीदते हैं और फिर पाइरेटेड सॉफ़्टवेयर की तलाश में इंटरनेट पर आते हैं. बहुत सी वेबसाइट क्रैक किए हुए सॉफ़्टवेयर को डाउनलोड करने के लिए आकर्षित करती हैं. हो सकता है कि जो सॉफ़्टवेयर आप डाउनलोड करें उसकी 'की' न सिर्फ़ अवैध हो बल्कि इनके साथ वायरस भी कंप्यूटर में डाउनलोड हो जाए. इसलिए विश्वसनीय साइट से ही ख़रददारी करें. कई बार 'क्रैक' सॉफ़्टवेयर अपने साथ वायरस भी लाते हैं.

'अनजाने में डाउनलोड' हुआ धोखा

कभी-कभी ऑनलाइन गिफ़्ट की तलाश में आप ऐसी वेबसाइटों तक भी पहुँच जाते हैं जिनके बारे में आप पूरी तरह अनजान होते हैं. इनमें से कुछ वेबसाइटें ऐसी होती हैं जिनके पन्नों पर पहुँचने से भी कंप्यूटर में वॉयरस आ सकता है. इंटरनेट पर गिफ़्ट की तलाश में ज़्यादातर लोग स्वतंत्र होकर सर्च करते हैं इसलिए बहुत संभव है आप ऐसी वेबसाइट से बच न पाएं. इस मामले में बेहतर सुझाव यह है कि आप अपने कंप्यूटर की सुरक्षा प्रणाली को ऑन रखें और अपने एंटी वॉयरस सॉफ़्टवेयर और ब्राउज़र को पूरी तरह अपडेट रखें.

नकली फ़्री वाई-फ़ाई

क्रिसमस पर फ्री वाई फ़ाई के लालच से भी आपको चूना लगाया जा सकता है. फ्री मिलने वाले वाई फ़ाई को शक की निग़ाह से देखें. जब तक आप वाई फ़ाई उपलब्ध करवाने वाली कंपनी के बारे में पूरी तरह निश्चिंत न हो, फ्री वाई फ़ाई से कनेक्ट होने से बचें. कहीं वाई फ़ाई से स्कैमर आपके घर का पता न जान लें. यदि आप कनेक्ट कर भी लें तो फ्री वाई फ़ाई के ज़रिए किसी ऐसी वेबसाइट पर न जाएं जो आपके क्रेडिट कार्ड या बैंक अकाउंट की डीटेल माँगती हो. हो सकता है कि आपकी जानकारी ग़लत हाथों में पहुँच जाए.

वाई-फ़ाई जाँच स्कैम

बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि जब हम अपने मोबाइल को किसी वाई फ़ाई हॉटस्पॉट से जोड़ते हैं तब वह हमारे डिवाइस का रिकॉर्ड अपने पास रख लेता है. इसके बाद यदि हमारा डिवाइस उस हॉटस्पॉट से कनेक्ट नहीं होती है तो वह इसके लिए नोटिफिकेशन भेजती है साथ ही जिन वाई फ़ाई स्पॉट से आपकी डिवाइस पहले जुड़ी रही हो उनके बारे में जानकारी भी देती हैं. इसलिए ऐसी जानकारी न दें जिसका आपको ठगने के लिए किसी न किसी रूप में इस्तेमाल किया जा सके.

फ्री वाई-फ़ाई और वाई- फ़ाई जाँच स्कैम का मिश्रण

हमेशा वाई फ़ाई स्विच ऑन करने से बचें.  यदि आपके मोबाइल का वाई फ़ाई ऑन है तो हो सकता है कि कोई धोखाधड़ी करने वाला वही जाना पहचाना वाई फ़ाई बनकर आपकी डिवाइस से कनेक्ट हो जाए. आपकी डिवाइस पहले से परिचित कनेक्शन से जुड़ने की कोशिश करती है. ऐसे में स्पैमर को आपके वाई फ़ाई का पासवर्ड मिल सकता है. हो सकता है कि कनेक्शन को सुरक्षित मानकर मोबाइल स्पैमर को ऐसी जानकारी भी दे दे जो आपके लिए ख़तरनाक हो. वाई फ़ाई से जुड़े धोखों से सिर्फ़ तभी बचा जा सकता है जब आप अपरिचित हॉटस्पॉट पर अपने मोबाइल का वाई फ़ाई कनेक्शन बंद कर दें.

असुरक्षित वेबसाइट

असुरक्षित वेबसाइटें भी कई बार क्रेडिट कार्ड की जानकारी माँग लेती हैं. सतर्क रहें. कुछ वेबसाइटें बिना सुरक्षित कनेक्शन उपलब्ध करवाए आपके क्रेडिट कॉर्ड के बारे में या अन्य ज़रूरी जानकारी माँगती है. यदि कनेक्शन सुरक्षित न हो तो वेबसाइट पर भरोसा न करें. अगर ये कनेक्शन सुरक्षित हो तब भी ये ध्यान रखें कि आप पैडलॉक पर क्लिक करकें या ये ध्यान रखें कि ये वेबसाइट वहां रजिस्टर्ड है जहां आप चाहते हैं.

'द मैन इन द मिडल'

कहीं सुरक्षित कनेक्शन के बीच में ही तो कोई एप्लीकेशन आपकी जानकारी नहीं जुटा रही है. किसी वेबसाइट या ब्राउज़र से सुरक्षित कनेक्शन होने के तब कोई मायने नहीं रहते जब आपके कंप्यूटर पर कोई ऐसा सॉफ़्टवेयर चल रहा हो जो सुरक्षित कनेक्शन पर भेजे जाने से पहले सभी जानकारियों को पढ़ रहा हो.

सबसे चर्चित एमआईटीएम स्कैम ऐसी 'हेल्पर' एप्लीकेशन होती हैं जो कंप्यूटर पर आपके अनुभव को आसान बनाने के लिए इंस्टॉल की गई होती हैं. कई बार ये हेल्पर एप्लीकेशन आपसे ज़्यादा स्वयं अपनी मदद करती हैं. इनसे बचने का सबसे आसान तरीक़ा है कि आपके कंप्यूटर पर कोई 'एड इन' एप्लीकेशन न चल रही हो. आप अपने ब्राउज़र की सेटिंग बदलकर इनसे बच सकते हैं. कई बार बैंक भी इनसे बचने के लिए फ्री टूल उपलब्ध करवाते हैं.

फ़ोन कॉल से धोखाधड़ी

ज़रूरी नहीं कि हर 'हेल्प कॉल' मदद ही लेकर आए. आपने तोहफ़े में देने के लिए जो नया लैपटॉप खरीदा है उसमें आपको कुछ दिक्कतें आ रही हैं. आपने उसे ऑन तो कर लिया है लेकिन कैसे चलाए समझ में नहीं आ रहा है. और अचानक आपके पास फ़ोन आता है, "हम माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, डेल, एचपी या किसी और कंपनी से बोल रहे हैं. हम देख रहे हैं कि आप हमारी मशीन के ज़रिए इंटरनेट से जुड़े हैं. हमारी मदद से आप बेहतर तरीक़े से काम कर सकते हैं. हम यहाँ आपकी मदद के लिए ही हैं.."इस तरह की कॉल करने वाले लोग उस मौक़े की तलाश में रहते हैं जब लोग अपनी मशीन का इस्तेमाल कर रहे होते हैं. बहुत संभावना होती है कि झुंझलाहट में व्यक्ति कॉल करने वाले को अपनी लॉग इन संबंधी जानकारी उपलब्ध करवा दे.

गंभीर बात यह है कि ऑनलाइन धोखाधड़ी के सिर्फ़ ये 12 ही तरीक़े नहीं है. और भी बहुत से तरीक़े हैं जिनसे त्यौहारों के मौसम में ऑनलाइन शापिंग के लिए उत्साहित लोगों के साथ धोखाधड़ी की आशंका है.यदि कोई स्कैम प्रासंगिक, उपयोगी या व्यक्तिगत लगता है तो उसके कामयाब होने की संभावना ज़्यादा बढ़ जाती है.