- आग लगने की कंडीशन में सेफ्टी प्रिकॉशन लेकर बचा सकते हैं जान

- अनऑथराइज सेंटर और अनट्रेंड मैकेनिक से सर्विसिंग भी बढ़ा सकती है परेशानी

GORAKHPUR : कड़ी धूप और लू से बचने के लिए इन दिनों कार बेस्ट ऑप्शन है। मगर पिछले कुछ दिनों से गाडि़यों में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं। राह चलते गाडि़यों में आग लग जा रही है। मंडे नाइट ऐसा ही नजारा गोरखपुर जंक्शन के पास देखने को मिला। जहां स्टेशन से बाहर निकली एक सेंट्रो कार धू-धू कर जलने लग गई। इस गर्मी में कार में आग लगने की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? आखिर क्या वजह है कि गाडि़यों में आग लग जा रही है? जब आई नेक्स्ट ने इन सवालों के जवाब ढूंढने शुरू किए, तो काफी चौंका देने वाले रिजल्ट सामने आए। कार जलने के पीछे कुछ मामलों को छोड़ दें, तो ज्यादातर के जिम्मेदार हम खुद हैं। हमारी जरा सी लापरवाही, हमारी ही जान पर भारी पड़ जा रही है।

अनऑथराइज सर्विस सेंटर पर सर्विसिंग

कार में करीब 20 हजार पुर्जे फिट होते हैं। इनकी हेल्प से वह सड़क पर फर्राटा भरती हैं। ऐसा अक्सर देखा जाता है कि फ्री सर्विसिंग तक तो लोग ऑथराइज सर्विस सेंटर का सहारा लेते हैं, लेकिन जब पैसे लगने लगते हैं तो पास के किसी मैकेनिक से औने-पौने दाम पर सर्विस कराने में वह गुरेज नहीं करते। इससे उनके कहने के बाद भी ओरिजनल पुर्जे गाडि़यों में नहीं लग पाते। लोकल पा‌र्ट्स होने की वजह से हल्का सा शार्ट सर्किट भी आग लगने की वजह बन जाता है।

मैकेनिक कर जाते हैं गलतियां

ऑटोमोबाइल फील्ड के एक्सप‌र्ट्स की मानें तो बाहर सर्विस कराने का एक और बड़ा ड्रॉ बैक है। वह यह कि अगर बाहर जो भी मिस्त्री होते हैं, उन्होंने कहीं से भी ऑटोमोबाइल से रिलेटेड कोर्स नहीं किया होता। लोगों के साथ रहते-रहते वह ट्रेंड होते जाते हैं और खुद की सर्विस शॉप खोलकर बैठ जाते हैं। ऐसी कंडीशन में कई बार वह इधर के वायर उधर जोड़ देते हैं। गलत वायरिंग की वजह से न सिर्फ शॉर्ट सर्किट के चांसेज बन जाते हैं, बल्कि इससे आग लगने का भी डर बना रहता है।

बैटरी ओवरलोड की वजह से लग सकती है आग

गाडि़यों में 12 वोल्ट की बैटरी लगी होती है। लाइट्स, हॉर्न, इग्निशन में कितनी बैटरी खर्च होगी, कंपनी उसके अकॉर्डिग कैपासिटी डिस्ट्रिब्यूशन भी कर लेती है। मगर लोग शौक में कार खरीदने के बाद खुले बाजार से एक्सेसरीज खरीदकर कार में फिट कराते हैं। इनमें स्टीरियो सिस्टम, सिक्योरिटी सिस्टम, हेड लैंप और रिवर्स पार्किंग सेंसर्स होते हैं। मार्केट में अवेलबल मैकेनिक्स अनट्रेंड होने की वजह से जैसे-तैसे जुगाड़ से उनकी फिटिंग कर देते हैं। ऐसे में बैटरी पर बोझ बढ़ जाता है। इसकी वजह से शॉर्ट सर्किट और फिर आग लगने के चांसेज बढ़ जाते हैं।

4 नॉट गैसकिट है खतरनाक

गोरखपुर में फर्राटा भरने वाली कई गाडि़यों में मैन्युफैक्चरर कंपनी फिटेड सीएनजी/एलपीजी किट अवेलबल नहीं करातीं। ऐसी कंडीशन में कार ओनर्स ऑनऑथराइज डीलर्स से यह किट परचेज कर लेते हैं। रेनॉल्ट के ऑटोमोबाइल इंजीनियर जीशान की मानें तो बाहर से किट लगवाने की कंडीशन में लीकेज की शिकायत हो सकती है। कंपनीज 3 नॉट गैसकिट लगवाकर देती हैं, जबकि मार्केट में 4 नॉट गैसकिट लगाकर मिलता है। कार का फ्यूल काफी ज्वलनशील होता है, तो ऐसी कंडीशन में लीकेज होने पर कार में भी आग लग सकती है।

कूलेंट की अनदेखी भी बढ़ा सकती है प्रॉब्लम

कार में सबसे अहम रोल कूलेंट का होता है। चलने के दौरान कई बार ऐसा होता है कि गाडि़यां हीट कर जाती हैं और ओवर हीटिंग की वजह से आग लगने के चांसेज कम हो जाते हैं। जीशान की मानें तो ऐसी कंडीशन में कूलेंट का रोल शुरू होता है और वह टेंप्रेचर को नॉर्मल कंडीशन में लाने का वर्क करते हैं। मगर कार ओनर्स इस ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं। कूलेंट रेग्युलर चेक न होने, कम होने और न होने की कंडीशन में भी आग लगने के चांसेज बढ़ जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि कूलेंट को रेग्युलर चेक कराएं।

क्या है बचाव के तरीके

- टाइमली सर्विसिंग

- इंजन सर्विस पर ध्यान

- ऑयल फिल्टर, एयर फिल्टर, इंजन कूलेंट और इंजन ऑयल को टाइमली चेंज करें।

- कार में कभी भी सिर्फ जरूरत भर की एसेसरीज ही लगवाएं।

- बैटरी पर मिनिमम लोड डालें।

- अनऑथराइज डीलर से एलपीजी/सीएनजी किट न लगवाएं।

- कार में मॉडिफिकेशन से बचें।

क्या हैं खतरे -

- कार में आग लगने की कंडीशन में उसमें लगे इलेक्ट्रिकल यूनिट सीज हो जाती है। पॉवर विंडो, सीट बेल्ट और सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम भी फेल हो जाते हैं।

- कार में आग लगने की इंफॉर्मेशन वक्त पर न मिलने की कंडीशन में कार्बन मोनो ऑक्साइड की चपेट में आ सकते हैं, जो जानलेवा हो सकता है।

मस्ट कैरी -

1. हैमर - आग लगने की कंडीशन में शीशे तोड़कर बाहर आ सकें।

2. सीजर - सीट बेल्ट जाम हो गए हो तो उसे काटकर बाहर निकला जा सके।

3. फायर एक्सटिंग्विशर - पोर्टेबल फायर एक्सटिंग्विशर जरूर रखें, ताकि छोटी-मोटी आग बुझाई जा सके।

यह हैं आग लगने के मेन रीजन -

- ओवर हीटिंग

- वायर शॉर्ट

- कूलेंट लीकेज

- कूलेंट ओवर

- शॉर्ट सर्किट

- ओवर ड्राइव

- रांग वायरिंग

- लो क्वालिटी वायरिंग

- 4 नॉट गैसकिट

अनऑथराइज प्लेसेज और अनट्रेंड मैकेनिक से सर्विसिंग कराने पर प्रॉब्लम हो सकती है। कई बार गलत वायरिंग की वजह से भी आग लगने के चांसेज बढ़ जाते हैं।

- नीरज श्रीवास्तव, ऑटोमोबाइल इंजीनियर, रेनॉल्ट

कूलेंट की कमी या उसे नजरअंदाज करने पर भी गाडि़यों में आग लग सकती है। इसलिए जरूरी है कि गाडि़यों का रेग्लयुर रूटीन चेकअप और सर्विस कराते रहें।

- रवि, ऑटोमोबाइल इंजीनियर, बीआईटी