क्या है टिश्यू कल्चर

किसी छोटे से पौधे का कोई भाग लेकर उसे फलास्क में रखकर टेंपरेचर, लाइट और माइश्चर को कंट्रोल करते हुए इनक्युबेट करना टिश्यू कल्चर है। इसमें पौधे की संरचना के विकास पर नजर रखी जाती है। वहीं विकास के लिए जरुरी कारणों का अध्ययन किया जाता है। इसका सबसे पहले उपयोग 1902 में गाटलीब हैबरलैंड ने किया था।

ऐसे किया प्रयोग

स्टूडेंट्स पीलू और शतवारी पौधों के कुछ भाग को लेकर एक फलास्क में इकट्ठा किया। उन्होंने फलास्क में ऑक्सिन और जिब्बरलिंस जैसे कई ग्रोथ  हॉर्मोंस को मिलाया। इसके बाद फलास्क को सही टेंपरेचर में कुछ दिन के लिए रख दिया। करीब एक से डेढ़ महीने के बीच फलास्क में जड़ें और तना आना शुरु हो गया।

इन स्टूडेंट्स ने किया इंप्लीमेंट

लाइफ साइंस के बॉटनी डिर्पाटमेंट के  डायरेक्टर राजेंद्र शर्मा और प्रोफे सर आरसी अग्निहोत्री की देखरेख में एमफिल स्टूडेंट शौकत अहमद, गुरप्रीत सिंह और रश्मि ने रिसर्च की है। उन्होंने बताया कि वे पिछले चार साल से इस पद काम कर रहे थे। अब जाकर प्रयोग सफल हो पाया है।

प्रो। राजेंद्र शर्मा, डायरेक्टर

स्टूडेंट्स ने टिश्यू कल्चर का प्रयोग करके रिसर्च की है। ताकि विलुप्त होते जा रहे प्लांट्स को जिंदा रखा जा सके। इस रिसर्च को चार साल में पूरा किया जा सका है.

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