DEHRADUN: फॉरेस्ट फायर सीजन में देहरादून जिले के जंगलों को आग से बचाने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इस काम में ग्रामीणों को भी जोड़ा गया है। ट्यूजडे को डीएम एसए मुरुगेशन ने फॉरेस्ट फायर कंट्रोल के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी दी। मुख्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों में किये गये सुरक्षा इंतजामों की जानकारी ले रहे थे।

 

दून में 5 मास्टर कंट्रोल रूम

डीएम और डीएफओ ने मुख्य सचिव और उनके साथ वीसी में बैठे प्रमुख मुख्य वन संरक्षक को बताया कि देहरादून जिले में सभी पांच डिवीजनों में एक-एम मास्टर कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसके अलावा 116 क्रू स्टेशन बनाये गये हैं। हर क्रू स्टेशन में 5 से 7 कर्मचारी तैनात रहेंगे। मास्टर कंट्रोल रूम को जिला आपदा कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। वनों में आग की किसी भी सूचना पर जिला प्रशासन भी हर संभव मदद के लिए तैयार रहेगा।

 

ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता

डीएम और डीएफओ ने बताया कि वन क्षेत्र से जुड़े ग्रामीणों को वनों को आग से बचाने की मुहिम से जोड़ा जा रहा है। वन पंचायत और ग्राम पंचायतों में कमेटियों को गठन करके लोगों को वनों की सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है। स्कूली बच्चों की जागरूकता रैलियां भी निकाली गई हैं।

 

ये की गई व्यवस्थाएं

वीसी में बताया गया कि राज्य में 8700 फॉयर लाइन की क्लीनिंग कर ली गयी है। 40 मास्टर कंट्रोल रूम, 1437 क्रू स्टेशन, 174 वॉच टॉवर सक्रिय कर दिए गए है। डेढ़ लाख हेक्टेयर वनों के नीचे पड़े सूखे पत्तों और कूड़े को साफ कर दिया गया है। उपकरण और औजारों की व्यवस्था कर ली गयी है। आग बुझाने वाले कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया गया है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अलर्ट, अर्ली वार्निंग सहित सभी सिस्टमों को ऑनलाइन किया गया है।

 

सीएस ने दिये जरूरी निर्देश

मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने सभी डीएम को निर्देश दिए कि जिला वनाग्नि सुरक्षा योजना के अनुसार पहले से ही तैयारी कर लें। सभी क्रू स्टेशन पर कर्मी तैनात कर दें। संचार व्यवस्था की जांच करें। वनों की आग रोकने के लिए नियंत्रित आग लगाने का काम जल्द पूरा कर लें।

 

 

पिछले सालों की घटनाएं

- वर्ष 2016 में 4433 हेक्टेयर वन क्षेत्र में आग लगने की 2074 घटनाएं हुई।

- वर्ष 2017 में 1244 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 804 घटनाएं हुई.