-कैपिटल में यूथ को नशे की लत से बचाना बड़ा चैलेंज

-कानून का सख्ती से पालन कराएं जाने की बढ़ गई जरूरत

-जिला तंबाकू नियंत्रक प्रकोष्ठ शुरू कर रहा बड़ा अभियान

DEHRADUN : तंबाकू को न कहना है तो देर न करें क्योंकि देर फिर सच में बहुत देर हो जाती है। तंबाकू के दुष्प्रभाव के चलते देश में हर दिन ख्ख् सौ से अधिक लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, जिसमें अच्छी खासी संख्या यूथ की है। पूरी दुनिया में तंबाकू का शौक या लत दुनिया में सालाना करीब भ्0 लाख लोगों की मौत की वजह बन रहा है। एक सर्वे की माने तो क्ब्.म् प्रतिशत स्टूडेंट किसी न किसी तरीके से तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। राजधानी दून का हाल भी कुछ ऐसा ही है, जहां यूथ नशे के सौदागरों का बड़ा टारगेट बनता जा रहा है।

जानलेवा बीमारी को जन्म देता है तंबाकू

तंबाकू न सिर्फ जिंदगी तबाह कर रहा है, बल्कि जिस अंदाज में तंबाकू जीवन को खत्म करता है वह बेहद भयानक है। तंबाकू में निकोटीन होता है, जिसके सेवन से शरीर में उत्तेजना पैदा हो जाती है व अधिक मात्रा में लेने से शरीर में शिथिलता पैदा हो जाती है। धूम्रपान व तंबाकू युक्त पान, खैनी, गुटके से लंग्स में कैंसर, हार्ट की प्रॉब्लम, आई साइट कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है। परेशान करने वाली बात यह है कि, तंबाकू की लत को छोड़ने के बाद भी इसके साइड इफेक्ट को लंबे समय तक देखा जाता है।

क्या कहते हैं आंकड़े

ग्लोबल अडल्ट टुबैको सर्वे द्वारा राज्य के अलग-अलग एरिया और डिफरेंट एज ग्रुप पर किए गए व्यापक सर्वे में कई हैरान करने वाले तथ्य सामने आए। सर्वे में पाया गया कि, म्क्.9 प्रतिशत लोग सुबह उठने के महज आधे घंटे में ही तंबाकू का सेवन कर लेते हैं। स्टेट में करंट स्मोकर्स का ओवरऑल परसेंट ख्ख्.क् है, जिसमें सिगरेट के शौकीन ब्.क् प्रतिशत जबकि, बीड़ी पानी वालों का परसेंटेज क्9.ख् प्रतिशत आंका गया। युवाओं को तंबाकू से दूर रखने के लिए स्वास्थ्य महकमे द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं।

कानून तो है लेकिन पालन नहीं

वर्ष ख्00फ् में भारत सरकार ने कंट्रोल ऑफ टुबैको प्रोडक्ट एक्ट (कोटपा) बनाया। कोटपा की धारा चार के तहत पब्लिक प्लेस पर धूम्रपान करना प्रतिबंधित है, इसके तहत व्यक्तिगत अपराध पर ख्00 रुपए तक का जुर्माना तय किया गया है। शैक्षणिक संस्थानों के आसपास सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध है, जिसकी धज्जियां सिटी के कई स्कूल, कालेजेज के आस-पास उड़ती हुई आसानी के साथ देखी जा सकती है। कोटपा की धारा छह में स्पष्ट है कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान के क्00 गज की परिधि में सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री वर्जित है।

शॉप पर लगने वाले बोर्ड पर सख्ती

स्वास्थ्य महकमा तंबाकू उत्पाद को लेकर कितनी भी सख्ती क्यूं न कर लें, लेकिन इस धंधे के खिलाड़ी हर दांव का तोड़ निकाल ही लेते हैं। पहले जब गुटका बैन हुई तो तंबाकू और सुपारी को अलग-अलग कर बेचा जाने लगा। अब जिला तंबाकू नियंत्रक प्रकोष्ठ एक और सख्ती करने जा रहा है। पान, सिगरेट की दुकान पर लगने वाले बोर्ड पर अब किसी भी तंबाकू उत्पाद की तस्वीर नहीं लग पाएगी। शाप के बोर्ड पर सबसे उपर क्भ् सीएम में तंबाकू से कैंसर होता है लिखना होगा। इसके अलावा केवल सिगरेट, बीड़ी , तंबाकू यहां मिलता है ही लिखा जाएगा। किसी भी ब्रांड को दुकानदार अब अपने बोर्ड पर डिस्प्ले नहीं कर पाएंगे। नो व‌र्ल्ड टुबैको डे पर विभाग की टीम कैपिटल के अलग-अलग एरिया में पब्लिक को अवेयर करने का काम करेगी।

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युवाओं को तंबाकू के सेवन से बचाने के लिए व्यापक स्तर प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए अलग-अलग टीम यूथ के बीच जा रही हैं। जिला तंबाकू नियंत्रक प्रकोष्ठ एक्ट के पालन को लेकर गंभीर है।

-डा। अनुराधा, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट