-हाईकोर्ट में याचिका नागरिक अधिकार मंच की ओर से दायर

क्कन्ञ्जहृन्: बिहार में मानव श्रृंखला करने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। मंगलवार को चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश डॉ.अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ सुनवाई करेगी। याचिका नागरिक अधिकार मंच की ओर से अधिवक्ता रीतिका रानी ने हाईकोर्ट में दायर की है।

21 को है मानव श्रृंखला

याचिकाकर्ता का कहना है कि 11 जनवरी को शिक्षा विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी ने दहेज उन्मूलन और बाल विवाह के विरोध में बननेवाले मानव श्रृंखला में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को छोड़कर शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं को इसमें शामिल होने के निर्देश दिए। 21 जनवरी के इस आयोजन में बच्चों को लाने और घर पहुंचाने की जिम्मेदारी शिक्षकों की होगी। शिक्षकों को वजीफा दिया जाएगा।

याचिकाकर्ता ने उठाए सवाल

याचिकाकर्ता ने पूछा है कि इस कड़ाके की सर्दीे में बच्चों को घर से निकलने के लिए कैसे बाध्य किया जा सकता है। छात्र-छात्राओं को नए सत्र के लिए किताबें नहीं दी गई है। इन्हें गर्म कपड़े भी नहीं दिए गए हैं। शिक्षकों से पठन-पाठन के अलावा अन्य कार्य लिया जाना भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा है कि बाल विवाह अधिनियम 1973 और दहेज उन्मूलन एक्ट 1961 का है। इसमें नया क्या है? इसे राजनीतिक लाभ के लिए नाहक नयी बात बनायी जा रही है। पिछले साल भी शराबबंदी कानून के समर्थन में मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया था। यह सब राजनीतिक के सिवा कुछ नहीं है।