भारी बस्ते के कारण कुछ साल बाद क्या तस्वीर होगी

- देश को फौज के लिए अफसर नहीं मिलेंगे क्योंकि अधिकतर बच्चों को ये बोझ बचपन में ही आम्र्ड फोर्सेस के लिए मेडिकली अनफिट कर देगा।
- भारत में कम उम्र में ही हड्डियों से जुड़ी बीमारी के सबसे ज्यादा मरीज होंगे।
- बैग का ये बोझ बच्चों को अस्थमा या बॉनकाइटिस की बीमारी का मरीज बना रहा है, सोचिए हांफती हुई एक पूरी पीढ़ी के बारे में।

ये हम डरा नहीं रहे हैं। डॉक्टर्स बैग के बोझ को देखकर हैरान हैं। उनके निष्कर्ष सही मायनों में डरावने हैं। राउंड टेबल डिस्कशन में  फिजियोथेरेपिस्ट डॉ। केपी सैनी ने मौजूदा मरीजों और खतरों का जो खाका खींचा, वो आपके सामने है।

भारी बस्ता देता बीमारियां
अगर बच्चा अपने वजन के दस प्रतिशत तक के वजन का बैग उठाता है तो सही है, लेकिन अगर बैग का वजन कई गुना ज्यादा है तो बच्चे की स्पाइनल कॉर्ड में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। जो धीरे-धीरे उसे बीमारियों की तरफ ले जाते हैं।

ये हैं बीमारियां
- स्पाइनल डिफॉर्मिटी, जिसमें स्कॉलियोसिस और काइफोसिस की बीमारी होती है, जिसमें स्पाइनल कॉर्ड का स्ट्रक्चर बदल जाता है।
- गले में दर्द
- कमर में दर्द
- स्टूप पॉश्चर
- ट्रैपेजियस इस्पास्म
- ब्रीदिंग प्रॉब्लम
- राइनैक कॉमन
- हाइपर एक्सेटेंडिट बैक
- स्पाइनल ज्वाइंट्स एंड रिब केज इरिटेशन
- शोल्डर राउंडिंग
- बैलेंस डिफिकल्टी और प्रॉब्लम्स

ये हैं आम लक्षण
- सांस में तकलीफ
- चलने में लंगड़ाहट
- पैरों, कमर या गर्दन में दर्द होना
- बॉडी का स्ट्रक्चर बदल जाना।
- झुककर चलना

 ये आफतें भी हैं
घटती है लंग्स की क्षमता
भारी बैग उठाने से बच्चा झुककर चलने लगता है। जिसकी वजह से उसके फेफड़े पूरी तरह से काम नहीं कर पाते हैं और बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है। लंबे समय तक फेफड़ों का दबना उसकी वाइटल कैपेसिटी और ऑक्सीजन की क्षमता को कम करता है। जिससे और भी कई प्रॉब्लम्स को न्योता मिलता है।

आर्टरी पर दबाव पड़ता है
कई बच्चे जब अपना स्कूल बैग कैरी करते हैं, तो उसके स्ट्रैप उनकी कॉलर बोन को कवर करते हैं। स्ट्रैप की वजह से बच्चे के गले की नसें दबती हैं जिससे ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है और आर्टरीज पर भी दबाव पड़ता है। ज्यादा दबाव पडऩे से बच्चा बेहोश भी हो जाता है। साथ ही कई और खतरनाक परिणाम सामने आते हैं।

क्या करना चाहिए
- स्कूल बैग बिल के मुताबिक स्कूल में बच्चे को बैग उठाने का सही तरीका बताना चाहिए
- बच्चे को बताएं कि वो घुटने मोडक़र बैग उठाए न कि झुक कर बैग को उठाए।
- बैग कभी भी एक कंधे पर नहीं टांगना चाहिए। बैग जब भी कैरी करें उसे दोनों शोल्डर पर कैरी करें।
- स्कूल बैग में किताबें रखते समय ध्यान रखना चाहिए कि हेवी बुक्स को पहले रखनी चाहिए ताकि वो कमर से लगी रहें, इससे वजन कम महसूस होगा है।
- स्कूल बस का इंतजार करते हुए या जरूरत न होने पर बैग को कंधों उतार देना चाहिए।
- स्कूल बैग का वजन जितना कम होगा बच्चे के लिए उतना ही अच्छा रहेगा।

कैसा हो स्कूल बैग
अक्सर पेरेंट्स शो-ऑफ के चलते बच्चे के लिए ऐसा बैग खरीदते हैं, जो एक किलो या उससे ज्यादा वजन का होता है। ऐसे में बच्चे को किताबों के वजन के साथ बैग का वजन भी उठाना पड़ता है।
- बच्चे के लिए लाइट वेट का बैग होना चाहिए।
- बैग का स्ट्रैप स्पंजी और चौड़ा होना चाहिए।
- बच्चे को ऐसा बैग दिलाएं जिसके स्ट्रैप उसके गले को न दबाए।
- बैग में ज्यादा पॉकेट, हैवी चेन और लॉक उसे वजनी बनाते हैं। इसलिए कम पॉकेट वाला बैग लें।
- बैग में शो-ऑफ के लिए जितना ज्यादा मैटल का यूज होगा बैग उतना ही भारी होगा।

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