सीएम आवास के अंदर-बाहर फूटा गुस्सा

- जेडीयू कार्यकताओं ने शरद यादव की गाड़ी को पीटा, रमई राम के साथ धक्का-मुक्की

- संजय सिंह को उल्टे पांव लौटना पड़ा, धूप, तपिश और गुस्से के बीच मेले जैसा नजारा

PATNA: नीतीश कुमार के सीएम पोस्ट से रिजाइन देने के दूसरे दिन संडे को उनके आवास के बाहर सत्ता का मेला लगा रहा। आइसक्रीम की बिक्री भी होती रही और नीतीश कुमार के फेवर में नारे भी लगते रहे। शरद यादव और आरसीपी सिन्हा के खिलाफ नारे भी कम नहीं गूंजे। जेडीयू की महिला कार्यकर्ताओं ने भी नारों में खूब गुस्सा उतारा। सत्ता के संग्राम में ख्0 सीट से ख् सीट पर सिमट जाने को अपनी नैतिक जवाबदेही माना था नीतीश कुमार ने और सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनका ये फैसला उनकी पार्टी का कार्यकर्ता मानने को तैयार नहीं। ये सत्ता संग्राम से जुड़ा दूसरा हाई वोल्टेज मेला था। सुबह से ही जेडीयू कार्यकर्ता सीएम हाउस के बाहर जुटने लगे। पूरे दिन धूप की धधक तेज रही और राजनीति की गर्मी भी खूब महसूस की गई। शरद यादव और रमई राम जैसे नेताओं ने भी कार्यकर्ताओं की गर्मी महसूस की। आखिरकार जेडीयू विधायक दल की बैठक में आर-पार का फैसला नहीं हो पाया। पार्टी प्रवक्ता के अनुसार अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए सोमवार तक का समय लिया नीतीश कुमार ने। इस बीच, पूरे दिन बिहार का नया सीएम कौन होगा, इसकी चर्चा होती रही। कभी नरेंद्र सिंह के नाम की चर्चा सुनी जाती रही, तो कभी विजेंद्र प्रसाद यादव और उदय नारायण चौधरी के नाम की।

शरद यादव की गाड़ी को पीटा

जेडीयू के शरद यादव क्:ख्0 बजे के लगभग नीतीश कुमार के आवास पर पहुंचे। गेट में प्रवेश के पहले ही कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेरा। उनकी गाड़ी पर खूब मुक्के मारे उनकी ही पार्टी जेडीयू के कार्यकर्ताओं ने। साथ में नारे लगाए-बिहार को नीतीश चाहिए, शरद जी समझिए। शरद को खूब कोसा कार्यकताओं ने। किसी तरह शरद यादव नीतीश कुमार के आवास में प्रवेश पा सके। शरद यादव के खिलाफ बैठक में भी खूब नारे लगे।

कार्यकर्ताओं ने कईयों को गाड़ी से उतारा

जेडीयू की बैठक ब् बजे से शुरू हुई। इससे पहले ही एमएलए- एमएलसी पहुंचने लगे। इसमें पहुंचने वाले ज्यादातर विधायकों-पार्षदों को कायकर्ताओं ने गाड़ी से उतरने पर मजबूर किया और नीतीश कुमार के पक्ष में नारे लगाए। कार्यकर्ताओं ने मीटिंग में पहुंचने वाले हर नेता को नीतीश कुमार के फैसले को बदलने का दबाव देने का संकल्प दिलवाया। शाहिद अली जैसे कुछ नेता ही कार्यकर्ताओं के दबाव में गाड़ी से नहीं उतरे, बाकी सब ने कार्यकर्ताओं की बात मानी या माननी पड़ी।

नरेन्द्र सिंह निकले, तो झेला विरोध

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह दोपहर दो बजे नीतीश कुमार के आवास से निकल रहे थे। निकलते ही उन्हें कार्यकर्ताओं का भारी विरोध झेलना पड़ा। उनके खिलाफ खूब नारेबाजी भी हुई। नरेन्द्र सिंह ने किसी तरह से कार्यकर्ताओं को समझा पाए। नरेन्द्र मोदी पर गुस्सा बरसने की वजह ये रही कि इसकी चर्चा दिनों से है कि नीतीश विरोधी धारा को ताकत देने में सबसे ताकतवार नाम नरेन्द्र सिंह का ही है।

बाहर हंगामा, अंदर हंगामा

सीएम आवास के बाहर कार्यकर्ताओं का हंगामा लगातार जारी रहा। बैठक शुरू होने से पहले ही नारेबाजी शुरू हो गई और बैठक खत्म होने के बाद तक ये जारी रही। बैठक खत्म होने के बाद सबसे पहले सवा म् बजे एमएलसी राजकिशोर कुशवाहा बाहर निकले, लेकिन कार्यकर्ताओं ने उनसे पूछा क्या हुआ अंदर? जवाब मिला- नीतीश कुमार मान नहीं रहे, उन्हें मनाने की कोशिशें जारी हैं। इतना सुनना था कि कार्यकर्ताओं के गुस्से की गर्मी तेज हो गई। उनकी गाड़ी पर मुक्का मारा जाने लगा। विरोध इतना तीखा हुआ कि उन्हें अपनी गाड़ी को उल्टा चलाते हुए सीएम हाउस लौैटना पड़ा। इसके बाद साढ़े म् बजे प्रवक्ता संजय सिंह बाहर निकले। कार्यकर्ताओं ने इनसे भी सवाल दागा और वही जवाब पाने के बाद उनका भी विरोध किया कार्यकर्ताओं ने। आखिरकार उन्हें भी उल्टे पांव सीएम हाउस लौटना पड़ा। हालांकि उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार ने कल तक का समय लिया है।

रमई राम के साथ हुई मारपीट

रमई राम म्:ब्0 बजे सीएम हाउस की बैठक से बाहर निकले। वे मोटरसाइकिल की पीछे की सीट पर बैठ कर बाहर आए। कार्यकर्ता उन्हें रोकते रहे पर वे आगे बढ़ते रहे। उनकी जिद्द पर सेक्यूरिटी ने उन्हें किसी तरह दूर तक बचते-बचाते बाहर निकाला, लेकिन थोड़ी ही दूरी पर गुस्साए कार्यकर्ताओं ने उनके साथ खूब धक्कामुक्की कर दी। कुछ ने हाथ भी चला दिया।

नीरज व संजीव साथ निकले

नीरज कुमार व संजीव कुमार सिंह दोनों एमएलसी म्:भ्0 बजे मीटिंग से बाहर आए। सीएम हाउस के बाहर कार्यकताओं ने इन्हें भी घेरा, लेकिन दोनों नेताओं ने जब विस्तार से लोगों को बैठक की जानकारी दी और बताया कि नीतीश कुमार ने कल तक का समय मांगा है और जब तक वे अपना फैसला वापस नहीं लेते हैं तब तक जेडीयू का कोई एमएलए-एमएलसी मानने को तैयार नहीं हैं, तब जाकर कार्यकर्ताओं का गुस्सा थोड़ा ठंडा हुआ।

नीतीश कुमार अपना फैसला वापस नहीं लेते हैं, तो पूरे बिहार में बंद का आह्वान किया जाएगा। बीजेपी सरकार बना कर दिखाए। सुशील मोदी का दावा कहां गया?

- नीरज कुमार, एमएलसी

बैठक में विधायकों का गुस्सा देखने लायक था। कई विधायक तो जमीन पर धरना पर बैठ गए। नीतीश कुमार का तर्क है कि मुख्यमंत्री पद संभालते हुए पार्टी को ताकतवर बनाने का काम वे नहीं संभाल सकते, लेकिन हमलोगों ने उनसे कह दिया है कि आपको अपना निर्णय वापस लेना ही होगा।

- संजीव कुमार ंिसंह, एमएलसी