बेटी की शादी की वजह से लालू थोड़ा दूर
ऐसे में सबसे खास मजेदार बात तो यह है कि दोनों ही धुरंधर नेताओं ने अपने-अपने समर्थक विधायकों को अपने-अपने आवास पर शानदार दावत दी हैं. राजनीतिक उथल-पुथल के बीच गुरुवार शाम जदयू अध्यक्ष शरद यादव भी पटना पहुंच गए जबकि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव बेटी की शादी की तैयारी के चलते गहमागहमी से थोड़ा दूर हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक देर रात तक जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार के आवास पर नेताओं का मंथन चलता रहा और विश्र्वास मत को लेकर रणनीति पर विमर्श होता रहा. कहा गया है कि मांझी विश्र्वास मत हासिल करने के दूसरे ही दिन मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे.

बैठने को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं
वहीं कल गुरुवार दोपहर जदयू विधायक मो. शर्फुद्दीन के एक बयान ने सनसनी फैला दी. उन्होंने कहा कि उन्हें राजद सांसद पप्पू यादव ने ऊंचे पद का प्रलोभन दिया है. प्रमुख दल विधायकों के लिए ह्विप पहले ही जारी कर चुके हैं. उधर विधानसभा में नेता विपक्ष और विधायकों के बैठने की व्यवस्था को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. नीतीश कुमार ने विपक्ष में बैठने का आग्रह किया है, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने देर रात तक अपना फैसला नहीं सुनाया. हालांकि नीतीश कुमार का आग्रह माने जाने की संभावना प्रबल है और उसकी घोषणा आज शुक्रवार को सदन में भी हो सकती है.

तबादले बिना बताए किए जाते रहे
विधानमंडल में बहुमत के लिए प्रस्ताव पेश करने के एक दिन पहले कल गुरुवार को मांझी ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुली चुनौती दे दी. श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित गरीब स्वाभिमान सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने नीतीश कुमार और शरद यादव पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा कि नीतीश ने इशारे पर नचाने की मंशा से जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया. मंत्रियों के नाम बताए बगैर उनकी नियुक्ति की सूची पर दस्तखत करा लिए गए. अफसरों के तबादले बिना बताए किए जाते रहे. दो महीने बाद जैसे दलितों और गरीबों के लिए काम करना शुरू किया-वैसे ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की साजिश शुरू हो गई. नीतीश ने अभी झांकी देखी है, असली लड़ाई तो अभी बाकी है. मांझी अपने राज्य की जनता के लिए मर मिटने को तैयार है,लेकिन वह गलत के आगे कतई झुकने को तैयार नहीं हैं.

विश्र्वास मत में हिस्सा नहीं ले सकेंगे
वहीं जदयू के चार बागी विधायकों की सदस्यता के मसले पर पटना हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है. न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी एवं न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ के इस निर्णय के बाद विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज बबलू, रवींद्र राय और राहुल शर्मा आज सदन में विश्र्वास मत में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. जदयू के इन चार बागी विधायकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उनकी विधानसभा सदस्यता को एकल पीठ ने बहाल कर दिया है. इसलिए उन्हें विश्वास मत पर वोट देने का अधिकार भी दिया जाए. इस आदेश के खिलाफ विधानसभा सचिव ने अपील की थी. जिस पर कल यह आदेश हुआ है.

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