- बहुत कम स्पेस में लग जाएगा एरोबिक बॉयो टॉयलेट

- एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किए जाने की सुविधा

- बचे पानी का खेती के काम में होगा उपयोग

- टॉयलेट में आसानी से लग जाता है सोलर पैनल

- त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, झारखंड, प। बंगाल में हो रहा है यूज

- शहर में जल्द आ सकता है एरोबिक बॉयो टॉयलेट कॉन्सेप्ट

- एक निजी कंपनी से मेयर ने की चर्चा, टॉयलेट के कई फायदे

abhishekmishra@inext.co.in

LUCKNOW बस कुछ दिन का इंतजार, फिर शहर में ऐसे टॉयलेट का कॉन्सेप्ट आने जा रहा है, जिसमें बिना सीवर लाइन के ही ह्यूमन वेस्ट नष्ट किया जा सकेगा। यही नहीं, वेस्ट नष्ट होने के बाद बचे पानी को एग्रीकल्चर फील्ड में यूज भी किया जा सकेगा। हम बात कर रहे हैं, एरोबिक बॉयो टॉयलेट की। इस टॉयलेट को तैयार करने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों ने मेयर से मुलाकात कर उन्हें इसका मॉडल दिखाया। मेयर ने भी संकेत दिए हैं कि जल्द ही शहर में एरोबिक बॉयो टॉयलेट की व्यवस्था कराई जाएगी।

ये है एरोबिक बॉयो टॉयलेट

इस टॉयलेट के लिए स्पेस की ज्यादा जरूरत नहीं है। मूवेबल होने के कारण इन्हें आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले भी जाया जा सकता है। एसएमबी प्लस सॉल्यूशन के ओनर संदीप बनर्जी ने बताया कि इस टॉयलेट में नीचे छह चैंबर वाला बॉयो डायजेस्टर टैंक होता है। जैसे ही इन चैंबर में ह्यूमन वेस्ट जाता है, एरोबिक बैक्टिरिया की मदद से वेस्ट को डायजेस्ट कर लिया जाता है। इसके बाद बचे पानी के लिए जमीन के नीचे एक पाइप डाल दिया जाता है, जिससे वह पानी जमीन में संग्रहित हो जाता है। इस प्रक्रिया में किसी तरह की जहरीली गैस भी नहीं निकलती।

भूगर्भ जल संरक्षण भी

इस पानी में किसी तरह की गंध भी नहीं होती है और यह जहरीला भी नहीं होता है। ऐसे में इसका प्रयोग खेती के काम और भूगर्भ जल संरक्षण के लिए किया जाता है।

सोलर पैनल भी

इस टॉयलेट में सोलर पैनल भी लगाया जा सकता है। जिससे इससे एनर्जी सेविंग भी की जा सकती है। इसके साथ एक एक हजार लीटर क्षमता तक का टैंक भी लगाया जाता है। लोग इसका आसानी से यूज करें इसलिए इसमें स्टेयर्स भी लगी होती हैं।

अभी तक कई जगह

एरोबिक बॉयो टॉयलेट का यूज अभी त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, झारखंड और वेस्ट बंगाल आदि में हो रहा है। हाल ही में इसे बनाने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों ने मेयर से मुलाकात कर इसका डेमो दिया था। यही नहीं इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में भी इस टॉयलेट का मॉडल रखा गया है। दूसरे शहरों से आए मेयर ने भी इस मॉडल को देखा है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि लखनऊ छोड़कर और किस शहर में इसका उपयोग किया जाएगा।

कुंभ मेले में लगेगा

इलाहाबाद में होने वाले कुंभ मेले में भी एरोबिक बॉयो टॉयलेट कॉन्सेप्ट लाये जाने की तैयारी है। कंपनी के प्रतिनिधियों की माने तो इसके लिए डीएम इलाहाबाद से वार्ता चल रही है। जल्द ही फैसला सामने आ सकता है।

वर्जन

शहर को स्मार्ट बनाने के लिए इस तरह की टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने की जरूरत है। कंपनी से एक सैंपल मंगवाया गया है। पूरे प्रोजेक्ट की स्टडी और जनता को होने वाले फायदे को देखते हुए इस सुविधा को शहर में क्रियांवित किया जाएगा।

संयुक्ता भाटिया, मेयर