-क्राइसिस होते ही शुरू हुआ खरीद फरोख्त का गेम

-5 से 7 हजार में बेचे जा रहे हैं शौचालय, मजबूरी में खरीद रहे हैं लोग

PRAYAGRAJ: कुंभ में शौचालय की शॉर्टेज ने ब्लैक मार्केटिंग का रूप ले लिया है। कई सेक्टर्स में बिचौलिए हजारों रुपए में शौचालय का पूरा स्ट्रक्चर बेच रहे हैं। यह वह लोग हैं जिन्होंने शुरुआत में अधिक संख्या में शौचालय पास करा लिया था। अब जब वेंडर सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं, तो ऐसे में उन्होंने ब्लैक मार्केटिंग शुरू कर दी है। हालांकि यह मेला प्रशासन के लिए चिंता का विषय है कि कैसे इस गोरखधंधे को रोका जाए।

बिना जांच कैसे इश्यू कर दी किट

मेले में शौचालय की जबरदस्त क्राइसिस चल रही है। विभिन्न सेक्टर्स में लोग मेला प्रशासन विभाग का चक्कर काट रहे हैं लेकिन एलॉटमेंट नहीं हो पा रहा है। ऐसे में जिन्होंने शुरुआत में ही जुगाड़ से अधिक संख्या में शौचालय एलॉट करा लिए थे उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। यह लोग 5 से 7 हजार में एक शौचालय स्ट्रक्चर सहित बेच रहे हैं। यह हाल सभी सेक्टर्स का है। जिनको अधिक जरूरत है वह पैसे देकर अपने यहां शौचालय लगवा रहे हैं। सवाल उठता है कि इन संस्थाओं को इतनी बड़ी संख्या में कैसे शौचालय किट इश्यू कर दी गई।

जैसे-तैसे कर रहे इंतजाम

सेक्टर नंबर 13 में प्रतापगढ़ से कल्पवास करने आए राकेश कुमार (बदला हुआ नाम) को जब सेक्टर के मेला प्रशासन ने शौचालय उपलब्ध कराने से मना कर दिया तो उन्होंने एक दलाल के माध्यम से पांच हजार रुपए में किट खरीदी। पहले यह किट उन्हे सात हजार में दी जा रही थी। इसी तरह सेक्टर 14 में रायबरेली से आए दीनू पांडेय (बदला हुआ नाम) को भी सात हजार में शौचालय लेना पड़ा। इनको सेक्टर कार्यालय से शौचालय नहीं होने की दलील दी गई थी। इसी तरह सेक्टर 14 में ही एक कल्पवासी ने दारागंज से शौचालय शीट लगाकर जैसे-तैसे लगवाया। उन्होंने शौचालय के चारों ओर कपड़े से कवर किया है। उन्हें लकड़ी का स्ट्रक्चर तक नहीं मिला।

बॉक्स

मनचाहे दाम पर बेच रहे शीट

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नियमों के विरुद्ध बाजार से लाकर महंगे दाम पर मेले में शौचालय किट बेच रहे हैं। दारागंज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो 500 रुपए तक के सस्ते शौचालय को चार से पांच गुना दाम पर बेच रहे हैं। जबकि यह पूरी तरह गैरकानूनी है। हालांकि वेंडर्स ने शौचालय की सप्लाई के लिए 31 जनवरी तक का समय मांगा है जिसे देने से मेला प्रशासन ने मना कर दिया है। फिर भी रविवार तक क्राइसिस बनी हुई थी। ठेकेदारों का कहना था कि वह इतनी बड़ी संख्या में सप्लाई नहीं कर सकते हैं। उधर, 15 जनवरी को पहला स्नान पर्व होने की वजह से अचानक हजारों की संख्या में शौचालय की ओवश्यकता पड़ रही है।

वर्जन बाकी है