60 फीट गहराई में मिले
बड़ी बात ये है कि वैज्ञानिकों ने आयोवा के लगभग सभी जगहों में प्रागैतिहासिक गहराई के इन नए राक्षसों के लक्षण पाए हैं। आयोवा के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में भूवैज्ञानिकों ने एक सर्वे में जीवाश्मों के करीब 150 टुकड़े पाए हैं। ये टुकड़े ऊपरी आयोवा नदी में 60 फीट की गहराई में पाए गए हैं। इनके नमूनों को इकट्ठा करने की अनुमति देने से मना कर दिया गया है।

वैज्ञानिकों के अनुसार
इसके बाद येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विचार किया कि ये 460 मिलियन साल पहले की एक नई प्रजाति थे। ये उस समय हुआ करते थे जब आयोवा समुद्र के अंदर था। येल के जेम्स लैम्सडेल बताते हैं कि उस समय इनकी सारी गतिविधियां समुद्र के अंदर होती थीं। बताते चलें कि जेम्स बीएमसी विकासवादी जीवविज्ञान में सोमवार को प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक हैं।

खतरनाक साबित हो सकते हैं
जेम्स कहते हैं कि ये पहला असली बड़ा शिकारी है। वह कहते हैं कि उनको स्वीमिंग का शौक है, लेकिन वो उसके साथ स्वीमिंग नहीं कर सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि इन बग्स के बारे में कुछ खास सुना है। ये काफी खतरनाक होते हैं। तकनीकी तौर पर इस प्राणी को Pentecopterus decorahensis नाम दिया गया है। जेम्स कहते हैं कि ये यूरिपरिड परिवार का हिस्सा हैं, जो एक तरह के समुद्री बिच्छू होते हैं।

पूछ का इस्तेमाल करते थे इसलिए
प्राकृतिक इतिहास के क्लीवलैंड म्यूजियम में अकशेरुकी जीवाश्म विज्ञान के क्यूरेटर जोए हैनिबल कहते हैं कि इस तरह के प्राणी वास्तव में काफी कूल होते हैं। हालांकि हैनिबल इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उन्होंने इस अध्ययन की काफी तारीफ की। उन्होंने माना कि ये प्राणी वाकई काफी विचित्र और अजीबो-गरीब हैं। जेम्स कहते हैं कि जमीन पर रहने वाले बिच्छुओं की तरह इनकी पूछ में डंक नहीं था। ये प्राणी इसका इस्तेमाल बैलेंस बनाने और तैरने में करते थे। इसके बावजूद उनका कहना है कि ये काफी गुस्सैल और आक्रामक जानवर थे।

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