JAMSHEDPUR: डॉक्टर को अगर मरीज की बीमारी का पता ना हो फिर सटीक इलाज कैसे हो और बीमारी अगर स्वाइन फ्लू हो फिर तो बगैर इस बात की जानकारी के किया गया इलाज मरीज के लिए कितना घातक हो सकता है इस बात को समझा जा सकता है। जमशेदपुर में अब तक स्वाइन फ्लू के क्7 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से म् में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई। इन छह मरीजों में तीन दम तोड़ चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ये मरीज स्वाइन फ्लू से पीडि़त थे या नहीं इस बात का पता या तो मरीज की मौत या हॉस्पिटल से उनके डिस्चार्ज हो जाने के बाद चला। इसकी वजह है राज्य में स्वाइन फ्लू के जांच की व्यवस्था ना होना।

देर से पहुंची रिपोर्ट

अगर किसी बीमारी के पहचान के लिए किए गए जांच की रिपोर्ट मरीज के मौत या उसके स्वस्थ्य हो जाने के बाद डॉक्टर को मिले तो फिर उस रिपोर्ट का फायदा क्या। स्वाइन फ्लू की जांच रिपोर्ट के मामले में कुछ ऐसा ही रहा है। राज्य में स्वाइन फ्लू की जांच की व्यवस्था नहीं होने की वजह से जमशेदपुर से सभी संदिग्ध पेशेंट का सैंपल जांच के लिए कोलकाता स्थित एआईसीईडी लैब भेजा जाता है। अब तक जितने भी सैंपल भेजे गए हैं उन सब की रिपोर्ट देर से पहुंची है।

रिपोर्ट आने में लगते हैं ब् से भ् दिन

स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी के मामले में समय पर मरीज का इलाज जरूरी है। जमशेदपुर में अब तक स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव पाए गए पेशेंट्स का इलाज बीमारी की पुष्टि होने से पहले अंदाज पर ही किया गया है। डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस ऑफिसर डॉ शाहिर पाल ने बताया कि जांच के लिए कोलकाता सैंपल भेजने पर रिपोर्ट आने में ब् से भ् दिन लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यहां जांच की व्यवस्था होती, तो अगले दिन रिपोर्ट मिल जाती। समय पर रिपोर्ट मिलने से इलाज में भी आसानी होती।

दो तोड़ चुके थे दम

हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से पांच मार्च को स्वाइन फ्लू से संबंधित चार संदिग्ध मरीजों के नमूने लेकर जांच को कोलकाता भेजा गया था। रिपोर्ट दस मार्च को पहुंची। तब तक दो मरीज दम तोड़ चुके थे। कदमा की रहने वाली एक 7भ् वर्षीय महिला की मौत भी स्वाइन फ्लू के वजह से ख्0 मार्च को हुई थी। स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर क्9 मार्च को हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा जांच के लिए सैंपल कोलकाता भेजा गया था। रिपोर्ट ख्फ् मार्च को मिली। स्वाइन फ्लू के अन्य मामलों में भी रिपोर्ट मिलने में देरी हुई है। हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा भ् मार्च को ब् और 7 मार्च को ख् सैंपल जांच के लिए भेजे गए इनकी रिपोर्ट क्0 मार्च को मिली। वहीं क्ख् और क्म् मार्च को भेजे गए दो सैंपल्स की जांच रिपोर्ट क्भ् और क्8 मार्च को आई। क्9 मार्च को भेजे गए सैंपल्स की जांच रिपोर्ट ख्फ् मार्च को पहुंची।

मांगी जांच की परमिशन

शहर में भी स्वाइन फ्लू की जांच शुरू हो सकती है। डॉ शाहिर पाल ने बताया कि शहर के एक डायग्नोस्टिक लैब ने जांच के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट से परमिशन मांगी है। उन्होंने कहा कि लैब में स्वाइन फ्लू की जांच की पर्याप्त सुविधा मौजूद है या नहीं इसके लिए वे एमजीएम के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ एसी अखौरी के साथ जाकर शनिवार को लैब की जांच करेंगे। उन्होंने कहा कि प्राइवेट लैब में जांच करवाने पर उसके लिए पैसे खर्च करने पड़ेंगे, लेकिन इससे उन लोगों को सुविधा मिलेगी जो खुद से जांच करवाना चाहते हैं।

स्वाइन फ्लू की जांच के लिए कोलकाता सैंपल भेजने पर रिपोर्ट आने में ब् से भ् दिन लग जाते हैं। अगर यहां जांच की व्यवस्था होती, तो अगले दिन रिपोर्ट मिल जाती। समय पर रिपोर्ट मिलने से इलाज में भी आसानी होती।

-डॉ शाहिर पाल, डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस ऑफिसर