इंडिया vs इंग्लैंड: 6 फरवरी 1952
इस मैच में भारत का जीतना इसलिए खास था क्योंकि आजादी के बाद ये इंग्लैंड पर पहली जीत थी। 1952 में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ खेलने के लिए इंग्लैंड ने भारत का दौरा किया था।  2 नवंबर को दोनों टीमों के बीच पहला टेस्ट मैच दिल्ली में खेला गया और भारत पहली बार कोई टेस्ट मैच ड्रॉ करने में कामयाब हुआ था। इसके बाद दूसरा और तीसरा टेस्ट भी ड्रॉ रहा जबकि चौथा टेस्ट मैच इंग्लैंड जीत गया। अब सीरीज़ का आखिरी टेस्ट मैच 6, फरवरी 1952 चेन्नई में खेला जाने वाला था। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में सिर्फ 266 रन बनाये। वीनू माकड़ शानदार गेंदबाजी करते आठ विकेट लेने में कामयाब हुए। इसके बाद भारत ने अपनी पहली पारी में पंकज रॉय 111 और पल्ली उमरीगर 130 के शानदार शतकों के बदौलत 457 रन बनाए। दूसरी पारी में इंग्लैंड की पूरी टीम सिर्फ 183 रन पर सिमट गयी। इस तरह भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ एक पारी और आठ रन से अपनी पहली जीत दर्ज की।

इंडिया vs इंग्लैंड: 11 दिसंबर 2008
हालाकि आगे हम पुराने से नये की ओर चलेंगे पर चूंकि ये सिलसिला इंग्लैंड के साथ रही वर्तमान टेस्ट सीरीज से शुरू हुआ है इसलिए पहले बात इंग्लेंड के मैंचों की ही कर रहे हैं। दिसंबर की ठंड में इस मैच को गर्मी से भर दिया था सचिन, सहवाग और युवराज ने। इस मैच में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। कप्तान स्ट्रॉस (123), एलेस्टेयर कुक (52), मैट प्रायर (53) की पारियों के दम पर इंग्लैंड ने पहली पारी में 316 रन बनाए। भारत पहली पारी में कुछ खास रन नहीं बना सका और पूरी टीम 241 रनों पर ही ढेर हो गई। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 53 रनों की पारी खेली इसके अलावा हरभजन सिंह ने भी 40 रन बनाए थे। एंड्रयू फ्लिंटॉफ और पनेसर ने तीन-तीन विकेट लिए। दूसरी पारी में स्ट्रॉस ने फिर सेंचुरी जड़ी और उनके साथ पॉल कॉलिंगवुड के बल्ले से भी शतक बना। 9 विकेट पर 311 रनों पर पारी घोषित कर दी। भारत को 387 रनों का लक्ष्य और करीब डेढ़ दिन का समय मिला था। वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने पारी की शुरूआत की तो वीरू ने चौके छक्के की झड़ी लगा दी। उन्होंने एंडरसन, हार्मिसन और पनेसर किसी को नहीं बख्शा और 33 गेंद पर अर्द्धशतक पूरा कर लिया। देखते देखते सहवाग ने 68 गेंद पर 83 रन ठोक डाले। इसके बाद का काम सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह ने मिलकर निपटा दिया। तेंदुलकर ने जहां 103 तो युवी ने 85 रन बनाए और दोनों नॉटआउट लौटे थे। भारत ने ये मैच छह विकेट से जीत लिया था।

यह रहे चेन्‍नई के चेपॉक स्‍टेडियम में खेले गए पांच यादगार टेस्‍ट मैच

इंडिया vs वेस्टइंडीज: 11 जनवरी 1975
1975 में खेली गयी भारत और वेस्टइंडीज की सीरीज इस माने में खास थी क्योंकि इसी सीरीज में दो महान वेस्टइंडीज खिलाड़ियों गोर्डन ग्रिनिज और विवियन रिचर्डस ने अपना डेब्यु किया था। इस सीरीज के बंगलुरु में हुए पहले टेस्ट में विव के जबरदस्त नाबाद 192 रन की बदौलत वेस्ट इंडीज को एक पारी से जीत मिली थी। चेपॉक में 11 जनवरी को शुरू हुए मैच में भारत 100 रन से जीता था। इस मैच की हाईलाइट बने पहली पारी में गुंडप्पा विश्वनाथ के नाबाद 92 रन जो उन्होंने 228 गेंदों में 14 चौकों के साथ बनाये थे।  
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इंडिया vs पाकिस्तान: 15 जनवरी 1980
1980 में भारत और पाकिस्तान के बीच पांच टेस्ट मैच की सीरीज खेली गयी जिसमें से श्रंखला का आखिरी मैच चेपॉक में खेला गया और इसमें भारत को 10 विकेट से एतिहासिक जीत हासिल हुई। पहली पारी में बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान की टीम 272 पर ऑलआउट हो गयी। जिसके जवाब में भारत ने पहली पारी में 430 रन का स्कोर खड़ा किया और पाकिस्तान को 158 रन बनाने का लक्ष्य दिया। पाकिस्तान दूसरी पारी में 233 रन ही बना सकी। दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने आयी टीम इंडिया को 75 रन का छोटा टारगेट हासिल करना था जो सुनील गावस्कर और चेतन चौहान ने बिना अपना विकेट गवाये हासिल कर लिया।
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इंडिया vs ऑस्ट्रेलिया: 18 सितंबर 1986
ये इतिहासिक लम्हा था जिसका गवाह बना था चेपॉक स्टेडियम। 1986 में चेन्नई के मैदान पर खेला गया ये टेस्ट मैच क्रिकेट इतिहास के दूसरे टाई टेस्ट मैच के रूप में रिकॉर्ड बुक में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो गया।

यह रहे चेन्‍नई के चेपॉक स्‍टेडियम में खेले गए पांच यादगार टेस्‍ट मैच

ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए डीन जोंस के दोहरे शतक (210), डेविड बून के शतक (122) और कप्तान एलन बॉर्डर के शतक(106) की बदौलत 574 रनों पर 7 विकेट के साथ पहली पारी घोषित की थी। इसके बाद बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने कपिल देव के शानदार शतक 119 व अन्य तीन बल्लेबाजों के अर्धशतकीय पारियों की बदौलत 397 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी सेकेंड इनिंग्स 170/5 पर घोषित की और भारतीय टीम को 348 रनों का एक मुश्किल लक्ष्य दिया। जिसके जवाब में चौथी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने अपना पहला विकेट श्रीकांत(39) के रूप में 55 के स्कोर पर गंवा दिया। इसके बाद गावस्कर और मोहिंदर अमरनाथ ने जमकर बल्लेबाजी की और दूसरे विकेट के लिए शतकीय साझेदारी निभाई। अमरनाथ के आउट होने के बाद भारत ने 331 के स्कोर पर अपने 7 विकेट गंवा दिए। अब भारतीय टीम को जीतने के लिए 17 रनों की जरूरत थी और हाथ में थे तीन विकेट। उसके विकेट गिरना रुक ही नहीं रहे थे चेतन शर्मा के बाद किरन मोरे, शिवपाल यादव और मनिंदर सिंह स्पिन गेंदबाज ब्राइट की फिरकी में उलझते हुए आउट हो गए। इसके बावजूद भारतीय खिलाड़ियों ने 16 रन बना लिए और स्कोर 347 रन बना लिए। नतीजा ये रहा कि टेस्ट मैच टाई रहा। इसके बाद से अब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसा कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया गया।

क्रिकेट के इतिहास में आज ही के दिन हुआ पहला टाई टेस्ट मैच

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