माइक पोंपियो से की मुलाकात
सिओल (रॉयटर्स)।
साउथ कोरिया के योन्हाप न्यूज ने बताया कि किम जोंग उन का सबसे खास और उत्तर कोरिया का पूर्व जासूस प्रमुख किम योंग चोल बीजिंग के रास्ते होते हुए न्यू यॉर्क पहुंच चुका है। वहां उसने किम और राष्ट्रपति के बीच संभावित शिखर वार्ता को लेकर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो से मुलाकात की। बता दें कि पूर्व जासूस प्रमुख उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन का सबसे भरोसेमंद सहयोगी है और ये किम और ट्रंप के बीच एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

वार्ता की हो रही तैयारी
बता दें कि व्हाइट हाउस ने पिछले हफ्ते वार्ता रद करने के बाद से ट्रंप और किम जोंग उन के बीच प्रस्तावित जून शिखर सम्मेलन के बारे में अभी तक आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। इसके अलावा किम योंग चोल और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो के बीच मुलाकात के बाद प्रस्तावित शिखर सम्मेलन को लेकर क्या क्या बातें हुईं हैं, ये भी पता नहीं चल पाया है। बता दें कि पूर्व जासूस प्रमुख किम का अमेरिका दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब वाशिंगटन और प्योंगयांग शिखर सम्मेलन और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कार्य-स्तरीय वार्ता आयोजित कर रहे हैं।

दुनिया की निगाह वार्ता पर

दोनों नताओं के बीच जुबानी जंग के बाद वार्ता लगभग तय है और यह शिखर सम्मेलन 12 जून को सिंगापुर में होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि इस वार्ता पर पूरी दुनिया की निगाह लगी है और सभी देश यह चाहते हैं कि इसका सकारात्मक हल निकले। उत्तर कोरिया ने ट्रंप से होने वाली बैठक को लेकर परमाणु हथियारों से अलग होने के ऐवज में अपनी सुरक्षा की मांग की है। वहीं चीन ने उत्तर कोरिया और अमेरिका से अपील की है कि यह बातचीत दोस्ताना माहौल में हो और दोनों ही नेता पूरी तरह से संयम का परिचय दें जिससे शांति की राह बंद न हो सके।

वार्ता रद कर दी थी

बता दें कि ट्रंप ने उत्तर कोरिया द्वारा जारी किये गए हाल के बयानों को देखते हुए गुरुवार को वार्ता रद कर दी थी। उत्तर कोरियाई नेता को भेजे गए पत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति ने लिखा था, 'हाल के बयानों में आपने गुस्सा और दुश्मनी का इजहार किया है। इसी को देखते हुए इस समय हम दोनों की मुलाकात उचित नहीं है।' उन्होंने आगे लिखा 'कृपया इस पत्र को सिंगापुर शिखर वार्ता का प्रतिनिधित्व माना जाए। यह दोनों पक्षों की बेहतरी, लेकिन दुनिया के लिए अहितकर है। यह वार्ता नहीं होगी। आप अपनी परमाणु क्षमता की बात करते हैं, लेकिन हमारे पास उससे ज्यादा विनाशकारी और शक्तिशाली है। मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि इनका कभी इस्तेमाल ही नहीं हो।' हालांकि बाद में उत्तर कोरिया के सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद फिर से वार्ता को लेकर दोनों जगहों पर तयारियों शुरू कर दी गईं।

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