ब्लैक फ्राइडे 18 नवंबर 1910:

आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज ब्लैक फ्राइडे 18 नवंबर 1910 अपनी एक अलग कहानी बयां करता है। इस दिन महिलाओं के लिए आगे आने वाली वूमेन एक्टिविस्ट ने महिलाओं के हकों के लिए आवाज उठाई थी। इस दिन हर्बर्ट Asquith में उन्होंने महिलाओं के मताधिकार की मांग की। प्रधानमंत्री खिलाफ मार्च निकालकर पुरुषों की हिंसा का विरोध किया। इस दिन वहां पर घरों से काफी संख्या में महिलाएं निकल पड़ी थी। इस मोर्चे में महिलाओं को पीटा गया और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। ऐसे में उनकी ओर से उठाए गए इस कदम को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सक्रियता के इस पर मंथन किया गया। इसके बाद 1918 में सीमित शर्तों के साथ महिलाओं को मतदान का पूरा अधिकार प्राप्त हुआ।

महिलाओं के 10 कदम जिन्‍होंने बदल दी दुनिया...

मिस अमेरिका, 7 सितम्बर 1968:

यह दिन अमेरिका के लिए एक यादगार दिन है। अटलांटिक सिटी में सैंकड़ो अमेरिकी महिलाएं एक साथ एकत्र होकर अपनी आजादी की मांग की। इस दौरान उन्होंने खुद को बंधन में रखने वाली ब्रा को भी जला दिया। इतना ही नहीं उन्होंने बाजार में महिलाओं को खूबसूरत बनाने वाले सारे आइटम भी कूड़े के डिब्बे में फेक दिए थे। इसके साथ ही सौंदर्य प्रतियोगिताओं के खिलाफ भी आवाज उठाई। उनका कहना था कि उनका सौंदर्य किसी बाजार की सजावट नहीं हैं। उन्हें अपने मुताबिक जीने का अधिकार है। आज ये पुरूष सत्ता उन्हें कास्मेटिक और नकली सुंदरता से बांधकर बाजार को बढाने की कोशिश में है।

आइसलैंड, 24 अक्टूबर 1975:

आइसलैंड में इस दिन लाल मोज़ा कट्टरपंथी महिलाओं के समूह की सक्रियता से काफी तेजी से फैल गई। यहां पर आइसलैंड की करीब 90% महिलाएं इनके साथ हो गई। यहां पर महिलाएं पुरूषों के अत्याचार, कार्यक्षेत्र में असमानता, दासता वाले जीवन से मुक्ति पाने के लिए हड़ताल पर चली गई। इस पूरे दिन उन्होंने ऐलान किया कि आज पुरुष काम पर नहीं जाएंगे। वे पूरे बच्चे की देखभाल, पाक कला, सफाई और परिवार के लिए हर व्यवस्था करेंगे। जिससे पूरे दिन पुरुषों को काम करना पड़ा। इसके बाद यहां पर महिलाओं की स्थिति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला।

विल्स्डेन, उत्तरी लंदन, 1976-1978:

विल्स्डेन में 1976-1978 का दौर काफी चर्चित रहा। इस दौरान यहां पर महिलाओं ने अपने और पुरुषों के काम में फैली असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। इतना ही नहीं यहां पर ट्रेड यूनियन आंदोलन के साथ-साथ आप्रवासी मजदूरों के औद्योगिक शोषण ओर नस्लवाद के मामले भी उठाए गए। जिसमें उनकी मदद की जयाबेन देसाई ने उनका नेतृत्व किया। जिससे लंबे समय तक एशियाई महिला मजदूरों ने ट्रेड यूनियन आंदोलन को चुनौती दी है। इस दौरान पुलिस के साथ उन्हें हिंसक घटनाओं को सामाना करना पड़ा।

अफगानिस्तान मई 2007:

अफगानिस्तान की मशहूर राजनीतिज्ञ मलालई जोया ने संसद में बैठने के लिए आगे आई थीं। इस दौरान उन्हें काफी विरोध झेलना पड़ा। उन्हें वहां सरदारों और युद्ध अपराधियों के खिलाफ में सामने आई। इस दौरान उन्हें हामिद करजई के नेतृत्व वाले पश्चिमी सहयोगी दलों का सहयोग मिला। इस दौरान उन्हें अपने इस संघर्ष में काफी कुछ झेलना पड़ा। ऐसे में इसके बाद ही वहां पर महिलाओं की एक विस्तृत छवि उभरकर सामने आई। इसके बाद ही वहं जोया अफगान यहां पर एक महिला रोल माडल के रूप में पहचानी गई। इसके बाद महिलाओं की यहां पर सक्रियता काफी बढ गई।

महिलाओं के 10 कदम जिन्‍होंने बदल दी दुनिया...

मंगलोर इंडिया फरवरी 2009:

यहां पर वेलेंटाइन डे पर समाज की ओर से लगाई जाने वाली बंदिशों का खुलेआम विरोध हुआ। यहां पर खुद को समाज का ठेकेदार समझने वाले लोग वैलेंटाइन डे पर लोगों को लात मारते थे। कई बार वह कपल को बेहद दर्दनाक सजा देने से भी नहीं चूकते थे। ऐसे में महिलाओं ने वहां पर इसके खिलाफ आवाज उठाई और 2009 की फरवरी में करामात दिखाई। वहां पर पिंक चड्ढी अभिचान चलाया और महिलाए दरिंदों के खिलाफ एक जुट हो गईं। इतना ही नहीं इन्होंने ढ़िवादी समूह श्री राम सेना जैसे कई समूहों को इस दिन फूल आदि भेजे। आज यह समूह करीब 30 हजार महिलाओं का हो गया।

कंपाला, युगांडा, फ़रवरी 2014:

युगांडा की सरकार ने मिनी स्कर्ट को प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस नए कानून में मिनी स्कर्ट को 'अश्लील' की श्रेणी में रखा गया था।  सरकार के इस कदम से युगांडा की प्रगतिशील विचारों वाली महिलाओं में काफी नाराजगी है। वे इसके विरोध में सड़क पर उतर आई हैं। उनका कहना था कि उनके कपड़ो से नहीं बल्कि पुरुषों की गंदे कारनामों से समाज गंदा हो रहा है। उकना कहना था कि उनका शरीर, उनके कपड़े, उनके पैसे वे जैसे चाहे वैसे जिंदगी जी सकती हैं। इसके बाद उनका विरोध बढ़ गया।

लीमा, पेरू, 7 मार्च 2014:

पेरू में 7 मार्च 2014 को महिलाएं लाल रंगे कपड़े पहनकर सरकार के विरोध में उतर आई थीं। इस दौरान महिलाएं मंत्रालय के बाहर फुटपाथ पर लेट गई। वे अन्याय के खिलाफ अब खुलकर विरोध कर रही थीं। उनका कहना था कि सरकार की ओर से महिलाओं के अधिकारों को कुचलती जा रही है। ऐसे में उन्होंने इस प्रदर्शन से इशारा किया कि उनका ये उनके शरीर नहीं बल्कि उनके शव पड़ें हैं। इसके बाद ही महिलाओं के अधिकारों के लिए वहां पर सरकार जागरूक हुई।

बीजिंग, चीन, मार्च 2015:

चीन के बीजिंग में हाल ही महिलाओं ने जमकर विरोध किया। इतना ही नहीं महिलाओं ने वहां 'फ्री चीनी नारीवादियों'के नाम से फेसबुक पेज भी बनाया है। इसमें वहां पर महिलाओं ने पांच "गुरिल्ला आतंकवादियों" समूह के खिलाफ अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर आवाज उठाई। यह समूह वहां पर अत्याचार बढाता जा रहा है। जिससे वहां पर हिंसा, यौन शोषण आदि से से भयभीत रहती हैं। ऐसे में महिलाओं ने वहां पर शादी के सफेद कपड़े खून से रंगे हुए पहने और इन अत्याचारो के खिलाफ आवाज उठाई। इतना ही नहीं उन्होंने अपने मौलिक मानवाधिकारों के अलावा कॉर्पोरेट क्षेत्र में अपनी भागीदारी की मांग की।

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लंदन, 7 अक्टूबर 2015:

हाल ही में फिल्म आन्दॉलनकर्त्री के प्रीमियर पर वहां पर बहनों ने घरेलू हिंसा और पुरुष यौन हिंसा का खुलेआम विरोध किया।

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