नहीं टूटा हौसला

क्लास एड्थ तक गवर्नमेंट की ओर से मिलने वाले फ्री एजुकेशन से यहां तक की नैया पार हो गयी। लेकिन नाइंथ में पहुंचते ही रोहित के सामने आगे की पढ़ाई जारी रखने का संकट खड़ा हो गया। स्कूल की फीस, कोचिंग और किताबों पर खर्च होने वाले पैसे का जुगाड़ उसके परिवार के वश में नहीं था। इसके बावजूद रोहित और उसके घर वालों के हौसले टूटे नहीं। पिता ने रोहित का सिटी के अच्छे स्कूल में शुमार सनातन धर्म इंटर कॉलेज में एडमिशन कराया। फीस और कोचिंग का भी इंतजाम किया।

सीनियर्स ने दी किताबें

एडमिशन और फीस के बाद एक बार फिर रोहित के सामने संकट खड़ा हो गया। लंबे चौड़े खर्च वाली किताबें कहां से आएंगी। उनका बोझ कौन उठाएगा। ऐसे समय में मददगार बने सीनियर्स। जिन्होंने होनहार रोहित को अपनी किताबें दी। हालांकि इसके बाद भी उसे कई किताबें खरीदनी पड़ी। लेकिन किसी तरह उसका भी इंतजाम हो गया। जिससे उसकी पढ़ाई शुरू हो गयी। समय समय पर स्कूल ने भी इसमें उसकी मदद की। इसी का नतीजा रहा कि रोहित ने नौवीं में 89 परसेंट माक्र्स गेन किया।

चार घंटे करता है पढ़ाई

ऐसा नहीं कि रोहित दिन रात किताबों में ही डूबा रहता है। वह आम बच्चों की तरह टीवी भी देखता है और अपना फेवरेट गेम क्रिकेट भी खेलता है। इसके साथ ही डेली स्कूल और कोचिंग भी पढऩे जाता है। खास बात यह कि वह हर दिन चार घंटे घर पर भी पढ़ाई करता है। एक कमरा होने के कारण रोहित को पढ़ाई में डिस्टर्बेंस न हो इसलिए टीवी बंद रहता है। फैमिली मेंबर्स अपना फेवरेट प्रोग्राम भी नहीं देखते। यहां तक कि क्लास नाइंथ में पढऩे वाली छोटी बहन भी उसके साथ बैठकर पढ़ाई करती है।

अपने काम में जुटे रहे पिता

किसी बाप के लिए इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है कि उसके कलेजे का टुकड़ा डिस्ट्रिक्ट का टॉपर हो। पर पैसे की जरूरत इसपर भारी पड़ गयी। पिता विजय शर्मा डेली की तरह शनिवार को भी अपने काम पर जुटे रहे। सुबह ग्यारह बजे घर से निकले विजय हर दिन की तरह रात में ही घर लौटे। उनको डिस्ट्रिक्ट में टॉप किए अपने लाडले की खुशी तो थी पर पैसों की जरूरत ने उनके पैरों में बेडिय़ां डाल दी थीं। जिससे वो चाहकर भी घर नहीं आ पाए। अंतत तब आए जब बेटा सोने की तैयारी कर रहा था।

लगा रहा बधाइयों का तांता

दोपहर में जैसे ही रिजल्ट डिक्लेयर हुआ। वैसे ही रोहित के टॉप करने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी। देखते ही देखते रोहित हीरो हो गया। खुशी के मारे मां अनुराधा शर्मा की आंखें भर आयीं। छोटी बहन भी भाई की इस सफलता पर इठलाने लगी। इसके बाद फोन के घनघनाने का जो सिलसिला स्टार्ट हुआ वो देर रात तक चलता रहा। फोन करने वालों में रिलेटिव्स, फ्रेंड्स व जानने वाले ही नहीं आसपास रहने वाले भी शामिल रहे। बहुत सारे लोग घर भी पहुंचे थे। स्कूल के प्रिंसिपल डॉ। हरेंद्र राय सहित टीचर्स ने भी रोहित को बधाई दी।

इंजीनियर बनने की चाहत

इस सफलता को रोहित शुरुआत भर मानता है। उसका कहना है कि मंजिल अभी काफी दूर है। उसकी इंजीनियर बनने की चाहत है। मैथ में इंट्रेस्ट रखने वाले रोहित ने बताया कि वह इंजीनियर बनकर सोसाइटी को कुछ देना चाहता है। पैसे कमाकर माता पिता के लिए अच्छा घर और बहन की पढ़ाई का बोझ भी उठाने की उसकी तमन्ना है। इंजीनियर बनने के लिए भारी भरकम पैसों के इंतजाम के बाबत उसने कहा कि मां कुछ पैसे रखी है और स्कूल ने भी भरोसा दिया है।