- फिश प्वॉइंट शॉप्स पर मिलता है कछुआ

- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने किया खुलासा

आगरा। अंधाधुध शिकार के कारण संरक्षित किए गए वन्य जीव प्राणी अब भी सुरक्षित नहीं है। वन विभाग और कई ऐसी संस्थाएं हैं जो विलुप्त होते प्राणियों के संरक्षण में काम कर रहे हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहे। लेकिन कुछ रुपयों के लालच कि खातिर कुछ लोग अब भी प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने शहर के कुछ फिश प्वॉइंट्स पर स्टिंग ऑपरेशन किया जहां आसानी से वन विभाग द्वारा संरक्षित बेजुबान प्राणी आसानी से बेच रहे हैं। ताजनगरी में एक्वेरियम में रखने के बहाने कछुओं की तस्करी हो रही है।

फिश प्वॉइंट्स पर मिल रहा कछुआ

आगरा के कई फिश प्वॉइंट्स पर कछुओं की तस्करी हो हो रही है। दुकानों पर एक्वेरियम में रखने के लिए मछली बेचने के साथ कछुए भी बेच रहे हैं। डिमांड के मुताबिक कछुओं की खूब बिक्री हो रही है। जरा से लालच के लिए प्रकृति के संतुलन में बेहद अहम कड़ी कछुओं की कीमत सिर्फ 300 से 700 रुपए ही लगाते हैं। शहर के लगभग सभी फिश प्वॉइंट्स पर कछुओं की एक्वेरियम में रखने के बहाने तस्करी हो रही है। ऐसे में वन विभाग और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी संशय होता है। विभागों की मदद के बिना इतने बड़े स्तर पर यह काम मुमकिन नहीं।

संविधान में वन्य जीव प्राणियों के लिए अलग से कानून

लालच के लिए प्रकृति की अहम कडि़यों का अंधा-धुंधु दोहन रोकने के लिए भारतीय संविधान में भी लोगों के लिए अलग से कानून बनाया गया है। भारतीय वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित वन्य जीव प्राणियों की बिक्री और खरीदारी गैर कानूनी है। इसमें संरक्षित वन्यजीवों की लिस्ट बनाई गई है। इसमें हर प्रजाति का कछुआ भी शामिल है। अधिनियम का उल्लंघन करने पर कम से कम तीन साल की जेल और 25 हजार रुपए का जुर्माना है।

इंडियन टेंट टर्टल की होती है बिक्री

बिकने वाले कछुए ज्यादातर इंडियन टेंट टर्टल प्रजाति के होते हैं। इनके खोल पर लाल रंग का मार्क होता है और ये ज्यादातर उत्तर भारत, पश्चिमी बांग्लादेश और नेपाल में पाए जाते हैं। इस प्रजाति के नर कछुए 3.5 इंच से 5 इंच तक जबकि मादा 5 से 9 इंच तक होती है। इनका प्राकृतिक आवास नदी के किनारे, तालाब और चट्टानों की बीच की जगह में होता है।

घर में शुभ और तांत्रिक गतिविधियों में काम आता कछुआ

घर में कछुआ रखना वास्तु के हिसाब से बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि घर में कछुआ रहने से धन की कभी कमी नहीं रहती। कछुओं को तांत्रिक गतिविधियों में भी उपयोग में लिया जाता है। तांत्रिक 18 या 20 नाखून वाले कछुओं से तंत्र-मंत्र कर धन की वर्ष करने का दावा करते हैं। इसके अलावा कुछ दवाइयां बनाने में भी कछुआ उपयोग में आता है।