-शिक्षक दम्पति ने 12 साल की मासूम को सिगरेट और मोमबत्ती से दागा

-अच्छी जिंदगी का सपना दिखा ले गए बिजनौर और बना दिया बंधुआ मजदूर

-छोटी-छोटी गलती पर ढाते थे नाजुक बच्ची पर जुल्म

-जिंदगी और मौत से जूझ रही मासूम, इंसाफ को भटक रहा परिवार

VARANASI : एक 12 साल की बच्ची। गरीबी से जूझ रहे उसके मां-बाप ने बच्ची को ये सोच कर दूसरे के घर भेजा कि वहां काम करते हुए घर की कुछ मदद करेगी और पढ़े-लिखों के बीच कुछ पढ़-लिख भी लेगी। लेकिन जब बच्ची सामने आई तो हर किसी आंखें फटी की फटी रह गई। उसके रोम-रोम पर दरिंदगी का दाग साफ नजर आ रहा था। मानो वह नर्क की यातनाएं रहती रही हो। क्या कुछ हुआ बच्ची के साथ, कौन है उसे बेशुमार दर्द देने वाले और कैसे इंसाफ के लिए जूझ रहा है परिवार, पढि़ये अंदर के पेज पर

रोम रोम में दरिंदगी का दाग

बहराइच में अपनी बच्ची के बीमार पड़े होने की खबर सुन पति-पत्‍‌नी मुश्किलें सहते हुए उस घर तक पहुंचे जहां उन्होंने अपनी क्ख् साल की लाडली को बड़े उम्मीदों से भेजा था। मगर घर में बेटी नजर नहीं आई। एक मरियल सी जिंदा लाश एक कोने बैठी थी। उसने भरी आंखों से आवाज थी। अब्बू, पहचानो, मैं ही तुम्हारी बेटी हूं। इतना सुनते ही पति-पत्‍‌नी को मानो ब्ब्0 वोल्ट का झटका लगा। वो बेटी को वापस तो ले आएं हैं लेकिन अब उन्हें इंसाफ चाहिए। उस एक-एक दर्द और दाग का हिसाब चाहिए जिसकी तड़प में आज भी उनकी लाडली रो रही है।

पहले दिखाए हसीन सपने

लोहता थाना एरिया के कोटवां के रहने वाले मो। युसुफ की जिंदगी तंगहाली से गुजर रही है। पत्नी शमीना बानो, पांच बेटी एक बेटा के साथ एक कमरे में रहता है। बुनकरी से मिलने वाले रुपयों से परिवार की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं। इसके बावजूद हर मां-बाप की तरह युसुफ और उसके पत्नी बच्चों की अच्छी जिंदगी के सपने बुनते हैं। इस बात का एहसास सपने लूटने वालों को बखूबी थी।

ईद पर मिला ऑफर

इस साल ईद में उनके बच्चों में दूसरे नम्बर की बेटी मोमिना (क्ख् वर्ष) अशफाक (कमच्छा नगर) में रहने वाली मौसी के घर गयी थी। बजरडीहा के रहने वाले एक शख्स का मौसी के रिश्तेदार के जरिए उनके घर आना-जाना था। वह शख्स और उसकी बीवी बहराईच के नानपारा में टीचर हैं। दोनों की तीन साल की बेटी है। शिक्षक दम्पति ने मोमिना तो देखा तो उसे साथ बहराईच ले जाने का प्लैन किया। उसके बाप युसुफ को झूठा सपना दिखाया कि वह बेटी को अच्छी तालीम दिलाएगा, उसकी जिंदगी बेहतर बनाएगा। बदले में उसे सिर्फ तीन साल की बेटी को देखरेख करनी होगी। यूसुफ राजी हो गया और बेटी को उनके साथ बहराईच भेज दिया।

शुरू हो गया यातनाओं का दौर

मोमिना शिक्षक दम्पति के साथ बहराईच गयी तो कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक था लेकिन उसके बाद हालात बद से बदतर होने लगे। क्ख् साल की बच्ची से झाड़ू-पोछा से लेकर बर्तन-बिस्तर तक सभी काम कराए जाने लगे। इसके साथ तीन साल के बच्चे की देखभाल की करनी थी। दुनिया के दस्तूरों से अनजान मोमिना से गलती होना लाजमी था। लेकिन यह शिक्षक दम्पति को बर्दाश्त नहीं था। छोटी गलती पर भी लाठी-डण्डों, जूतो-चप्पल से पिटायी करने थे। इससे भी जी नहीं भरा तो सिगरेट और मोमबत्ती से नाजुक बदन को दागने लगे। दर्द से चीखती नाजुक बच्ची को नहीं बख्शा। इसके बाद उसे जूते और चप्पल चाटने को मजबूर कर दिया। मोमिना इन जुल्मों की वजह पूछती तो जुल्म करने वाले कहते कि तुमने गुनाह किया है, हम तुम्हे सजा देकर गुनाहों से आजाद कर रहे हैं।

हालत बिगड़ने पर बुलाया

नन्ही जान पर जुल्म का सिलसिला लम्बे समय तक चलता रहा। बीते शुक्रवार को उसकी हालात बिगड़ने लगी। इस पर शिक्षक दम्पति ने उसे बाप मो। युसुफ को फोन करके बिजनौर बुलाया। इतनी दूर जाने के लिए उसके पास इतने रुपये नहीं थे। पड़ोसियों और दोस्तों से रुपये लेकर वह शिक्षक दम्पति के घर पहुंचा। नजरें बेटी को ढूंढने लगीं। तभी सामने खड़ी से एक मरियल से बच्ची ने आवाज दी अब्बू मैं हूं आपकी मोमिना। उसे देखकर बाप की तो जैसे सांसें थम गयीं। डण्डों के चोट की बदन काला पड़ चुका था। बदन पर दर्जनों जगह जलाने के जख्म थे। किसी तरह से लड़खड़ाती वह बाप के गोद तक पहुंची। शिक्षक दम्पति ने दोनों को बिना किसी मदद के वहां से भगा दिया।

रिपोर्ट तक नहीं की दर्ज, किससे मांगें इंसाफ?

किसी तरह बेटी को लेकर मो। युसुफ रविवार को कोटवां स्थित घर पहुंचा। मोमिना की हालत देखकर पूरा परिवार बदहवास हो गया। पास के हॉस्पिटल में उसका इलाज शुरू हुआ। शिक्षक दम्पति की हरकत से नाराज परिवार शिकायत करने पुलिस के पास पहुंचने की तैयारी करने लगे। इसकी भनक शिक्षक दम्पति के दबंग रिश्तेदारों को हुई तो वह मामले के सेटलमेंट का दबाव बनाने लगे। पुलिस भी उनके साथ हो गयी। कोटवां चौकी पर कई राउंड पंचायत हुई। पीडि़त बच्ची के परिवार को रुपयों का लालच भी दिया गया। लेकिन वह अपनी बच्ची के गुनहगारों को सजा दिलाने की जिद पर कायम रहे। मोमिना के मां-बाप ने लोहता थाने पर शिकायत की लेकिन पुलिस को उन पर तरस नहीं आयी। उसे यह कहकर बैरंग वापस भेज दिया कि मामला बहराईच का है वहीं मुकदमा दर्ज होगा। जिंदगी और मौत सो जूझ रही मोमिना को मो। युसूफ उसकी पत्नी शमीना बानो ने मंडलीय हॉस्पिटल में एडमिट कराया है। इंसाफ के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं।