ऐसी है आगे की जानकारी
नॉर्थ ईस्ट के हिस्सों में सबसे लंबा ग्रहण देखा गया। कोलकाता में सुबह 5.51 बजे से लेकर 6.06 बजे तक आंशिक ग्रहण देखने को मिला। इन सब बातों के साथ मन में एक सवाल उठना तो लाजमी है। वह ये कि आखिर ये तो मालूम हो कि क्यों होता है ये सूर्यग्रहण।
320 साल बाद बना ये योग
बता दें कि पूर्ण सूर्यग्रहण उस समय होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है। इस वजह से दिन में भी अंधेरा छा जाता है। उज्जैन के एक ज्योतिषी इस बारे में और जानकारी देते हुए बताते हैं कि इस बार 320 साल बाद कुंभ राशि पर पंचग्रही योग में सूर्य ग्रहण लगा है।
ज्योतिषाचार्यों ने बताया
सूर्य ग्रहण का सूतक 8 मार्च को ही शाम 5.04 बजे से शुरू हो गया था। ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि सूर्यग्रहण के समय पांच ग्रह (केतु, बुध, सूर्य, शुक्र और चंद्र) कुंभ राशि में रहेंगे। इस तरह से एक ही राशि में पांच ग्रहों के होने से पंचग्रही योग बना रहा है। बताया गया है कि इन ग्रहों पर शनि-युत मंगल की दृष्टि भी है। ऐसे में सिंह राशि में राहु के साथ होने से गुरु ग्रसित रहेगा। इसको लेकर बताया गया है कि ग्रहों की ऐसी स्थिति बहुत दुर्लभ होती है।
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