- सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विस क्षेत्र में निगम के 7 वार्ड

- रायपुर विस क्षेत्र में सबसे ज्यादा 24 वार्ड, उमेश काऊ हैं विधायक

देहरादून, निकाय चुनाव के चंद घंटे शेष रहे गए हैं। लेकिन सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के सभी विधायकों व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। देहरादून नगर निगम क्षेत्र में 7 विधायक ऐसे हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्र में निगम के वार्ड शामिल हैं। अकेले सीएम के विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनाव में सात वार्ड हैं। साफ है कि सत्ताधारी पार्टी के लिए ये चुनाव साख का सवाल बने हुए हैं।

पहले थे 60 वार्ड, अब हो गए 100

2013 के निकाय चुनाव में दून नगर निगम क्षेत्र में केवल 60 वार्ड थे। लेकिन, निगम के विस्तारीकरण के बाद 60 वार्ड और बढ़ गये हैं। निगम के दायरे में अब ज्यादा विधानसभा क्षेत्र आ गए हैं। ऐसे में सभी विधायकों की साख दांव पर है। खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र में 7 वार्ड हैं, जाहिर है कि इन वार्डो में मेयर के साथ पार्षद प्रत्याशियों की जीत को लेकर उनकी प्रतिष्ठा भी जुड़ी है।

विधायक उमेश काऊ की भी परीक्षा

नगर निगम के सबसे ज्यादा वार्ड रायपुर विधानसभा क्षेत्र में हैं। यहां 24 वार्ड हैं। सत्ताधारी पार्टी से यहां के विधायक उमेश काऊ हैं। वे दो बार विधायक रह चुके हैं और दून नगर निगम के डिप्टी मेयर भी रहे हैं। अपने इलाके के वार्डो में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी उनके ऊपर है।

विस क्षेत्रों के अंतर्गत इतने वार्ड

रायपुर-24

धर्मपुर-22

राजपुर-18

कैंट--15

मसूरी--11

डोईवाला--7

सहसपुर--3

विनोद चमोली से करिश्मे की उम्मीद

धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के 22 वार्ड शामिल हैं। धर्मपुर से पूर्व मेयर विनोद चमोली विधायक हैं। निकाय चुनावों को लेकर उनकी समझ ज्यादा है। उनसे भी पार्टी को काफी उम्मीद है। इसके बाद राजपुर विधानसभा क्षेत्र में 18 वार्ड हैं। यहां से पहले कांग्रेस के विधायक जीते थे, लेकिन इस बार पूर्व काबिना मंत्री खजान दास विधायक हैं। जबकि कैंट विधासनसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा बार विधायक निर्वाचित हुए हरबंस कपूर विधायक हैं और उनके विधानसभा क्षेत्र में 15 वार्ड, मसूरी विस क्षेत्र में 11 और आखिर में सहसपुर विस क्षेत्र में 3 वार्ड शामिल हैं। कुल मिलाकर निगम क्षेत्र के दायरे में जितने भी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। उनमें सभी विधायक सत्ताधारी पार्टी के हैं और निकाय चुनावों में उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर है।