कुंभ मेला दौरान पर्यटन विभाग की ओर से बनवाया जाएगा एक से बढ़कर एक अस्थाई गेट

ALLAHABAD: भारत में हर प्रांत की अपनी अलग-अलग कला व संस्कृति होती है। इसके समग्र रुप के जरिए अतुल्य भारत की तस्वीर दिखाई देती है। देश की कला और संस्कृति की उसी महत्ता को साकार रूप देने की योजना संगम की रेत पर तीन महीने बाद आयोजित होने जा रहे कुंभ मेला के लिए बनाई गई है। यहां मेले के दौरान देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को एक ही जगह पर अतुल्य भारत की विहंगम संस्कृति का सुखद एहसास कराया जाएगा। इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से पूरे मेला क्षेत्र में एक या दो नहीं बल्कि तीस अस्थाई गेट बनाए जाएंगे।

प्रयाग की महिमा पर फोकस

यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक विरासत की सूची में कुंभ मेला को शामिल किए जाने के बाद खासतौर से प्रयाग की महिमा पर फोकस करते हुए गेटों को बनवाया जाएगा। इस बार मेला क्षेत्र को बीस सेक्टरों में बसाने की योजना बनाई गई है तो पंद्रह अस्थाई गेटों पर प्रयाग की आध्यात्मिक व पौराणिक महत्व की जानकारियां दर्शायी जाएगी। जबकि अन्य पंद्रह गेटों पर देश के कई प्रांतों की कला व संस्कृति के महत्व को दर्शाने की रणनीति तैयार की गई है।

आवंटन के साथ शुरू होगा कार्य

मेला प्रशासन ने आगामी कुंभ में जिन संस्थाओं को जमीन की सुविधा देने की तैयारी की है उसका आवंटन पंद्रह नवम्बर से मेला क्षेत्र में किया जाएगा। देश के तेरह अखाड़ों के अलावा जितनी भी संस्थाओं को जैसे-जैसे जमीन आवंटित की जाएगी। वैसे-वैसे उसी के अनुसार पर्यटन विभाग द्वारा अस्थाई गेट बनवाने का भी कार्य शुरू कराया जाएगा।

संपूर्ण मेला क्षेत्र में तीस अस्थाई गेटों का निर्माण कराया जाएगा। प्रत्येक गेट पर प्रयाग की धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत के साथ देश की कला व संस्कृति का नजारा दिखाया जाएगा। इसकी शुरुआत जमीन आवंटन के साथ की जाएगी।

अनुपम श्रीवास्तव, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी

30 गेटों का निर्माण कराया जाएगा कुंभ मेला के दौरान पहली बार। इसमें कुंभ के प्रतीक चिन्ह कलश से लेकर प्रयाग की महिमा की जानकारी श्रद्धालुओं के देखने के लिए होगी।

15 पंद्रह गेट प्रयाग के आध्यात्मिक व पौराणिक महत्व को बताएंगे।

15 गेटों पर देश की विरासत का नजारा दिखाया जाएगा। सभी गेटों पर रात के समय एलईडी लाइटिंग होगी।

प्रयाग के आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व के स्थलों को केन्द्रों लेजर शो के जरिए प्रदर्शित किया जाएगा।

शो का नजारा शाही स्नान पर्वो को छोड़कर पूरी मेला की अवधि के दौरान दिखाया जाएगा।