बायोमैट्रिक सिस्टम

आरटीओ में बनने वाला डीएल पहले मैनुअल था, जिसे हाल ही में बायोमैट्रिक में तब्दील किया गया। इस सुविधा के बाद डीएल की सूरत तो बदली ही साथ ही बदल गया बनने का तरीका। लेकिन, इसके घर पहुंचाने  का प्रोसेस मैनुअल था। इसकी एक डेट दे दी जाती थी। लेकिन, बिना किसी  गारंटी के। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इंडिया पोस्ट की मदद से आरटीओ डीएल ट्रैक करने की व्यवस्था दे रहा है। इसके अलावा इसे अपनी वेबसाइट पर भी जनरेट कर रहा है।

एक हफ्ता या 10 दिन

आरटीओ के अनुसार डीएल एक हफ्ता या दस दिन में एप्लीकेंट के घर पहुंचता हैं। इसकी लेटलतीफी की जानकारी के लिए एप्लीकेंट को आरटीओ कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते। समय खराब होता लेकिन उन्हें जवाब एक ही मिलता। आज- कल में आ जाएगा। सही जानकारी उन्हें नहीं मिल पाती। अब वह जारी जानकारी वेबसाइट के जरिये आसानी से पता कर सकेगें।

होगा लेट पर एक्शन

डीएल वर्क को लेकर होने वाली लेटलतीफी को खत्म करने के साथ आरटीओ कंप्लेन पर एक्शन लेगा। ऑनलाइन होने वाली कंप्लेन नंबर से डीएल बना रही कंपनी की खबर ली जाएगी। इसके अलावा संबंधित डिपार्टमेंटल कर्मचारियों से भी सवाल-जवाब किया जाएगा।

यह बेहतर प्रयास है। डीएल ट्रैक होने पर किसी भी गड़बड़ी का पता बिना आरटीओ जाने से हो सकेगा।

संजय कुमार, स्टूडेंट

ट्रैकिंग होने से डीएल की खबर पल पल में मिलती रहेगी।

विकास गुप्ता, स्टूडेंट

डीएल को लेकर की जाने वाली मनमानी इसके चलते थम जाएगी।

राजेश, स्टूडेंट

डीएल के टै्रकिंग व्यवस्था को लागू किया जाएगा। इसमें पोस्टल डिपार्टमेंट की भूमिका भी होगी।

संजय माथुर, आरटीओ

आगरा