-दलमा वाइल्डलाइफ सैचचुरी के ट्रेकर्स को मिली है खाकी वर्दी

-Guides ने कहा वर्दी की वजह से पैदा होगा भ्रम

JAMSHEDPUR : दलमा में आने वाले टूरिस्ट्स आसानी से वहां मौजूद ट्रेकर्स को पहचान सकें इसके लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा हाल ही में खाकी वर्दी दिया गया है, लेकिन इस वर्दी से ट्रेकर्स को डर लग रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि खाकी वर्दी से न सिर्फ नचसलियों को बल्कि पुलिस को भी भ्रम हो सकता है। सालों से डेली वेजेज पर दलमा में काम कर रहे इंचलाई इस तरीके को रेचयूलर न करने की एक सािजश भी बता रहे हैं।

डरा रही वर्दी

दलमा वाइल्डलाइफ सैंचचुरी में काम करने वाले 33 ट्रेकर्स के लिए हाल ही में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा खाकी वर्दी मंगाई गई है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी कहते हैं कि नियम के अनुसार यही यूनिफार्म परमिशेबल है। लेकिन कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। दलमा में 1988 से नाइट गार्ड का काम कर रहे षष्टीचरचा महतो ने कहा कि ऐसी वर्दी सेना या पुलिसकर्मी पहनते हैं। इसके अलावा नचसली भी कई बार ऐसी वर्दी पहनते हैं। ऐसे में जंगल में इन दोनों को हमारी आइडेंटिटी को लेकर भ्रम हो सकता है। ऐसे में हमारी जान को चातरा है। इचहीं की तरह अचय ट्रेकर्स चाी इस यूनिफॉर्म का विरोध कर रहे हैं। उचहोंने कहा कि पहले भी यूनिफॉर्म मिलता चा, लेकिन उसका कलर डिफरेंट होता था

जता रहे हैं साजिश की आशंका

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में 2001 से डेली वेजेज पर ड्राइवर का काम कर रहे मंजीत सागर सभी कर्मचारियों को गाइड की वर्दी दिए जाने के पीछे साजिश की आशंका जता रहे हैं। उचहोंने कहा कि दलमा में फिलहाल 33 लोग डेली वेजेज पर ट्रेकर, महावत, ऑफिस असिस्टेंट, कंचचयूटर ऑपरेटर, ड्राइवर सहित अचय काम कर रहे हैं। इनमें से कुछ 1982 से लगातर ड्यूटी कर रहे हैं। उचहोंने कहा कि इन सभी को गाइड की वर्दी दी जा रही है। इस बीच रेचयूलराइजेशन की मांगों को लेकर भी मामला कोर्ट में चल रहा है। उचार षष्टीचरचा महतो बताते हैं कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से रेचयूलर न करने की नीयत से कोर्ट में कर्मचारी द्वारा तीन महीने ही काम करने की बात कही जा रही है। जबकि सचचाई यह है कि सभी साल भर काम करते हैं। उचहोंने कहा कि अगर उचहें गाइड बताया गया तो फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की बात सच साबित हो जाएगी।

Govt को लेना है decision

डेली वेजेज पर काम कर रहे इन फ्फ् कर्मचारियों के रेचयूलराइजेशन की बात पर दलमा के डीएफओ ने कहा कि यह डिसीजन लेना गवर्नमेंट का काम है। अगर गवर्नमेंट चाहे तो उचहें रेचयूलराइज किया जा सकता है। वहीं खाकी यूनिफॉर्म के मुद्दे पर उचहोंने कहा कि ट्रेकर्स के लिए इसी तरह का यूनिफार्म पहनने का नियम है।

कर्मचारियों को रेचयूलर करने का डिसीजन सरकार को लेना है। फॉरेस्ट एरियाज में ट्रेकर्स को खाकी वर्दी ही दी जाती है।

-कमलेश पांडेय, डीएफओ, दलमा

खाकी वर्दी से भ्रम पैदा हो सकता है। हम हमेशा जंगल में रहते हैं इसलिए ये वर्दी हमारे लिए सेफ नहीं है। हमें रेचयूलर न करने के कई तरह के तरीके अपनाए जा रहे हैं।

-षष्ठीचरचा महतो, नाइट गार्ड, दलमा