- रोजी-रोटी बचाने को मशक्कत कर रहे व्यापारी

-आधी उम्र की मेहनत का नतीजा है सेंट्रल मार्केट

-बुल्डोजर चला तो स्वाहा हो जाएगी अरबों की संपत्ति

Meerut: हाईकोर्ट से आए ध्वस्तीकरण के निर्णय के बाद जहां सेंट्रल मार्केट पर संकट का काला बादल मंडराने लगा है, वहीं खौफजदा व्यापारियों में अपने प्रतिष्ठानों को बचाने के लेकर चहलकदमी शुरू हो गई है। व्यापारियों ने रविवार को एकजुट होकर कोर्ट के आदेश का पुरजोर विरोध करते हुए पुलिस प्रशासन से टकराव की बात कही।

क्98म् से ख्0क्ब् तक

बात की तह में जाएं तो विवाद पूरे सेंट्रल मार्केट पर नहीं, बल्कि इसके एक अहम हिस्से म्म्क्/म् पर है। हाई कोर्ट से भी ध्वस्तीकरण को लेकर इसी पार्ट मार्केट को हिट लिस्ट में रखा गया है। इस मार्केट की नींव क्98म् में तब पड़ी जब काजीपुर निवासी वीर सिंह ने आवास-विकास से ब्ब्म् वर्ग मीटर एक भूखंड ख्.क्9 रुपए में खरीदा। इसके बाद क्989 में वीर सिंह को भूखंड पर कब्जा दिया गया। कब्जा मिलने के बाद क्990 में आवंटी ने इस जमीन पर बारह दुकानों का निर्माण कर दिया और फिर शुरू हुआ सिलसिला दुकानों को बेचने का। कथित तौर पर क्990 से लेकर 98 तक बीर सिंह ने सारी दुकानें और प्रॉपर्टी व्यापारियों को पूरी तरह से बेच डाली व कुछ दुकानों की पॉवर ऑफ अटार्नी व्यापारियों के नाम कर दी। कुछ इस तरह से मूल आवंटी ने भूखंड से अपने स्वामित्व से पल्ला झाड़ लिया। इस बीच खरीददार बने व्यापारियों ने उन दुकानों का प्रारूप बदल उनको प्रतिष्ठानों में तब्दील कर लिया। कुछ व्यापारियों ने मुनाफे के फेर में अपने प्रतिष्ठानों को अन्य व्यापारियों को बेच डाला, कुछ ने अपनी पॉवर ऑफ अटार्नी का इस्तेमाल कर उसको अन्य व्यापारियों के नाम रजिस्ट्री कर दी। आज उन्हीं एक दर्जन से निकली दो दर्जन दुकानें न केवल सेंट्रल मार्केट के नाम से जानी जाती हैं, बल्कि आधे शहर की आबादी के लिए शॉपिंग का एक चुनिंदा स्पॉट भी बनी हुई हैं।

रेजीडेंशियल बनाम कमर्शियल

व्यापारियों की मानें तो सेंट्रल मार्केट का निर्माण कुछ इस तरह से हुआ कि विशेषज्ञ भी मात खा जाएं। दरअसल, आवास-विकास की ओर से वीर सिंह को आवासीय भूखंड आवंटित किया गया था, लेकिन उसने आवासीय भूखंड पर कमर्शियल निर्माण कर एक दर्जन दुकाने खड़ी कर दी। इसके बाद जब वीर सिंह ने उन दुकानों को व्यापारियों को बेचा तो उसकी रजिस्ट्री कमर्शियल में की गई। व्यापारियों ने भी अपना कुछ फायदा देखते हुए खुशी-खुशी रजिस्ट्री करा ली।

सरकारी विभाग भी बने मददगार

रजिस्ट्री के बाद व्यापारियों ने अपने कागजों के बल पर बिजली व नगर निगम से कनेक्शन व टैक्स आदि भी कमर्शियल यूज के करा लिए, जिसके बाद मार्केट एक के बाद एक बढ़ता गया और आज उसी जगह व्यापारियों के बेशकीमती प्रतिष्ठान खड़े हो गए। व्यापारियों ने जहां सरकारी प्रक्रिया के नाम पर पूरी ईमानदारी बरती वहीं मार्केट से जुडे़ सरकारी विभाग भी इसमें कुछ कम दोषी नहीं हैं।

सेंट्रल नहीं, गारमेंट्स मार्केट

गारमेंट्स मार्केट से मशहूर इस सेंट्रल मार्केट में छोटी-बड़ी लगभग फ्00 दुकानें हैं, जिनमें से ख्00 दुकानें केवल गारमेंट्स की ही हैं। इसी का नतीजा है कि पूरे शहर में यह मार्केट गारमेंट्स मार्केट के नाम से मशहूर है। व्यापारी नेताओं की अगर मानें तो इस मार्केट में हर माह चार से पांच करोड़ रुपए की सेल होती है, जबकि मार्केट में बने सभी प्रतिष्ठानों की कीमत का अंदाजा ब्0 से भ्0 करोड़ तक आंका जा सकता है।

ये हैं टारगेट कस्टमर

यह मार्केट हापुड स्टैण्ड, नौचंदी, शास्त्रीनगर, जाग्रति विहार और मेडिकल क्षेत्र के आवासीय इलाके से जुड़े कस्टमर को अट्रैक्ट करता है। यहां के प्रतिष्ठानों को उच्च वर्ग के लिए ही डिजाइन किया गया है।

क्या कहते हैं व्यापारी

सेंट्रल मार्केट का यह हिस्सा कमर्शियल यूज के लिए ही बनाया गया है। आवास-विकास के मानचित्र के मुताबिक भी इस जगह एक धार्मिक स्थल पर पार्क छोड़ा गया है।

अजय जैन, पब्लिक कलेक्शन

यह मार्केट हमारी आधी उम्र की मेहनत का परिणाम है। इसको इस तरीके से ध्वस्त नहीं किया जा सकता। सरकार को कोई न कोई बीच का रास्ता निकालना होगा।

रजत आरोड़ा, व्यापारी

कोर्ट ने बिना व्यापारियों का पक्ष जाने अपना निर्णय सुना दिया है। इस मसले में पहले एक जांच कमेटी का गठन होना चाहिए थे, जिसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कोई निर्णय लिया जा सकता था।

विनोद अरोड़ा, महामंत्री, व्यापार संघ

कोर्ट की ओर से उनको कोई नोटिस नहीं दिया गया है। ऐसे में एका एक निर्णय आ जाना लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर प्रहार है।

शिखर वाधवा, व्यापारी

मार्केट हमारे परिवार की अन्न दाता है। इसको किसी भी कीमत पर नहीं गिरने दिया जाएगा। अगर प्रशासन को कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना है तो उसको बुल्डोजर हमारी लाश के ऊपर से ले जाना होगा।

महिपाल सिंह, कोषाध्यक्ष व्यापार संघ

हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है। कोर्ट व्यापारियों का पक्ष जानें बिना कोई निर्णय नहीं सुना सकती। अगर ऐसा हुआ तो व्यापारी टकराव की मुद्रा में आ जाएंगे।

किशोर वाधवा, अध्यक्ष व्यापार संघ

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हाई कोर्ट का जो निर्णय आया है, उसकी स्टडी की जा रही है। व्यापारियों की समस्याओं को देखते हुए एक्सपर्ट से कानूनी राय भी ली जा रही है। जहां तक लैंड यूज का सवाल है वह पूरा आवासीय है।

उमेश मित्तल, एसई आवास विकास