-मशीन से निकली पर्ची की इंक अच्छी नहीं होने के चलते एक माह में ही उड़ने लगती है प्रिंट

-प्रिंट उड़ने और अधूरे भरे चालान या अस्पष्ट राइटिंग होने से कोर्ट से जारी नहीं हो पाते समन

-2000 चालान हैं पेंडिंग

-1500 चालान करीब एक महीने में कटते हैं

-15 दिन बाद कोर्ट भेज दिए जाते हैं चालान

-6 महीने के अंदर कोर्ट को लेना होता है संज्ञान

केस 1

बदायूं रोड निवासी सुरेन्द्र कुमार की बाइक का मार्च में चालान हो गया था. चालान छुड़ाने गए तो बताया चालान कोर्ट पहुंच गया है. वहां पता किया तो बताया कि कोर्ट के समन आएगा लेकिन अभी समन आया नहीं. चालान की पर्ची भी खराब हो चुकी है.

केस 2

शहर के पीलीभीत रोड निवासी सतीश ने बताया कि चालान फरवरी में कटा था.वह एसपी ट्रैफिक ऑफिस गए तो पता चला कि चालान कोर्ट चला गया. मार्च में लगी लोक अदालत में भी पहुंच नहीं पाया अब पेपर्स कब मिलेंगे पता नहीं.

बरेली:

सुरेंद्र और सतीश की तरह कई व्हीकल ओनर चालान कटने के बाद अपने वाहन के पेपर्स हासिल करने के लिए ट्रैफिक पुलिस के ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं, जहां उन्हें चालान कोर्ट भेज दिए जाने की बात कह कर वापस कर दिया जा रहा है. कोर्ट पहुंचने पर भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. असल में चालान करते समय अधूरी डिटेल फिल करने या खराब प्रिंटिंग के कारण कोर्ट से इन व्हीकल ओनर को समन ही जारी नहीं हो पा रहे हैं, इसके चलते वह न तो कोर्ट में जुर्माना जमा कर पा रहे हैं और न ही उन्हें चालान के समय जमा हुए वाहन के पेपर्स वापस मिल पा रहे हैं.

अब लोक अदालत का इंतजार

चालान होने के बाद जो व्हीकल ओनर 15 दिन के अंदर अपना चालान छुड़वाने के लिए एसपी ट्रैफिक के ऑफिस नहीं पहुंचते हैं उनके चालान कोर्ट भेज दिए जाते हैं. मार्च से अब तक करीब दो हजार चालान कोर्ट भेजे जा चुके हैं. इसमें से कई चालान में प्रिंट क्लीयर न होने के चलते अब तक व्हीकल ओनर को कोर्ट से समन ही नहीं भेजे जा सके हैं. इन मामलों का निपटारा लोक अदालत के जरिए किया जाना है, लेकिन लोक अदालत भी अब जुलाई में लगेगी. ऐसे में व्हीकल ओनर्स को अपने वाहन के पेपर्स वापस लेने के लिए जुलाई तक इंतजार करना पड़ेगा.

चालान की वजह स्पष्ट नहीं

परिवहन विभाग ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत चालान सिस्टम को ऑनलाइन करने के लिए मशीनों के जरिए चालान काटने की व्यवस्था कर दी है. लेकिन इन मशीनों से निकलने वाली प्रिंट कई बार एक माह में ही फीकी पड़ जाती है या फिर धुंधली होने से पढ़ने में ही नहीं आती है. ऐसे में पता ही नहीं चल पाता है कि चालान ट्रिपल राइडिंग, रेड सिग्नल जंप करने या फिर हेलमेट न लगाने पर काटा गया है. इस कारण चालान कटने के बाद वाहन ओनर को कोई समन नहीं जारी हो पाता है. राष्ट्रीय लोक अदालत में इस तरह के मामलों को निपटाया जाता है.

टारगेट के दबाव होता है

ज्ञात हो मार्च परिवहन विभाग और पुलिस के अफसर टारगेट पूरा करने के लिए चालान से वसूली का दबाव पुलिस पर बढ़ाते हैं. पुलिस भी अधिक चालान संख्या और जुर्माना राशि वसूलने की जल्दबाजी में अस्पष्ट और अधूरे चालान कभी-कभी भर देती हैं.

राजकार्य में व्यस्त पुलिस

कोर्ट की एक परेशानी यह भी है कि चालान के मामले में समन की तामील पुलिस को करानी होती है. लेकिन पुलिस कभी वीआईपी मूवमेंट, कभी किसी की रैली तो कभी इलेक्शन में बिजी रहती है. इन कार्यो का हवाला देकर कोर्ट से समय ले लेती है. कोर्ट भी पुलिस कर्मियों की व्यस्तता देखकर केस की डेट दे देते हैं. इससे वाहन ओनर का चालान छूटने में और भी देरी होती चली जाती है.

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वर्जन

जो लोग चालान छुड़ाने नहीं आते हैं तो चालान कोर्ट भेज दिए जाते हैं. चालान तो ज्यादातर तो ठीक ही फिल किए जाते हैं लेकिन किसी में कमी न रहे इसका ध्यान दिया जाता है.

सुभाष चन्द्र गंगवार, एसपी ट्रैफिक