-चौराहों पर चेकिंग कर ट्रैफिक को करते हैं डिस्टर्ब

-पीक ऑवर में चेकिंग से पब्लिक को होती है प्राब्लम

BAREILLY: यातायात माह में पुलिस टारगेट पूरा करने में लगी हुई है। टारगेट पूरा करने के लिए न तो स्थान का ध्यान दिया जा रहा है और न ही समय का, जिसकी वजह से आम पब्लिक को ही प्रॉब्लम हो रही है। यही नहीं जबरन डंडा लगाकर वाहन रोकने से एक्सीडेंट होने का भी खतरा बना रहता है। हमारा मकसद नहीं है कि कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई न हो और न ही पुलिस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं लेकिन हम सवाल इसलिए उठा रहे हैं कि जिस चौराहा पर ट्रैफिक कंट्रोल की जगह चालान काटे जाएंगे तो फिर ट्रैफिक स्लो ही होगा और सुबह स्कूल और ऑफिस टाइम चालान होंगे तो पब्लिक ज्यादा इफेक्ट होगी। आइए बताते हैं कि किस तरह से चल रहा टारगेट पूरा करने के लिए चालान का टार्चर---

प्रत्येक थाने को दो लाख का टारगेट

यातायात माह में अवेयरनेस के साथ-साथ अधिक से अधिक चालान कर पुलिस का रेवेन्यू बढ़ाने का अभियान चल रहा है। एसएसपी ने सभी थानों को महीने में दो लाख रुपए का टारगेट दिया है। इस बार महिला थाना को भी टारगेट दिया गया है। ट्रैफिक पुलिस को 10 लाख रुपए का टारगेट दिया गया है। इसी टारगेट पूरा करने के चक्कर में सुबह से ही चौराहों पर चेकिंग शुरू हो जाती है। ट्रैफिक पुलिस मेन चौराहों पर ही चेकिंग के लिए खड़े होते हैं, जिसकी वजह ट्रैफिक स्लो हो जाता है। जबकि ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी होती है कि चौराहों पर ट्रैफिक सही चले।

मॉर्निग टाइम में चेकिंग

पुलिस सुबह से ही चेकिंग अभियान शुरू कर देती है। जबकि सुबह के वक्त अधिकांश लोग ऑफिस जाते हैं। इसी तरह सुबह के वक्त स्कूल भी ओपन होते हैं। स्कूल जाने वाले पेरेंट्स और टीचर्स को भी इसकी वजह से प्राब्लम होती है। इस समय पर चेकिंग करने की वजह भी है कि क्योंकि पीक आवर में अधिक से अधिक चालान होंगे तो टारगेट पूरा होगा।

शाम को चौकियों पर चेकिंग

शाम के वक्त सिविल पुलिस चेकिंग अभियान तेज करती है। इस दौरान पब्लिक मार्केट या ऑफिस से घर लौट रही होती है। चेकिंग की वजह से उन लोगों को काफी देर हो जाती है। यही नहीं कई बार पुलिस महिलाओं के साथ जा रहे वाहन चालकों को भी परेशान करती है। इसके अलावा बुजुर्गो को भी परेशान किया जाता है। जबकि अधिकतर चेकिंग में निर्देश होते हैं, इन लोगों को ज्यादा परेशान न किया जाए और युवाओं पर ज्यादा फोकस किया जाएगा।

एक चौराहा पर डबल चेकिंग

फ्राइडे को चेकिंग के दौरान अजीब सा नजारा देखने को मिला। चौकी चौराहा पर ट्रैफिक पुलिस के चार-पांच जवान चेकिंग कर रहे थे। उनसे 10 कदम की ही दूरी पर दो लेडी कांस्टेबल डंडे से वाहन चालकों को रोक कर महिला थाना के अंदर भेज रही थीं। यहां पर महिला एसआई चालान काट रही थीं, जबकि एक ही जगह पर डबल चेकिंग नहीं होनी चाहिए और महिला एसआई को रोड पर आकर चेकिंग करनी चाहिए।

जरूरी काम से मिलिट्री हॉस्पिटल जा रहा था। जल्दबाजी में कागज भूल गया। चालान काटना चाहिए, लेकिन दूसरे की प्रॉब्लम समझना चाहिए।

अमित मिश्रा, दुकानदार

बेवक्त चेकिंग से प्रॉब्लम तो होती है। चौराहों पर चेकिंग की वजह से निकलने में प्रॉब्लम होती है। क्योंकि ट्रैफिक स्लो हो जाता है।

अनूप दास,

ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई जरूरी है, लेकिन चेकिंग चौराहों से हटकर करनी चाहिए, ताकि जाम की स्थिति न बनें।

अंजलि चड्ढा, हाउस वाइफ

चौराहों पर चेकिंग के लिए मना किया गया है। जो नियम तोड़ेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई तो की ही जाएगी। चालान प्रक्रिया में सुधार लाया जाएगा।

कमलेश बहादुर, एसपी ट्रैफिक