- डीएम के साथ बैठक में अधिकारियों ने मेट्रो निर्माण के अगले चरण पर की विशेष चर्चा

- मई मंथ के फ‌र्स्ट वीक से शुरू होना है यूगार्डर रखने का काम

LUCKNOW: मेट्रो रेल परियोजना के कार्य के दौरान ट्रैफिक डायवर्जन को प्रभावी बनाने के लिए डीएम की अध्यक्षता में थर्सडे को अधिकारियों के साथ विशेष मीटिंग हुई। इस बैठक में अपर जिलाधिकारी (नगर पूर्वी), एसपी पूर्वी, एसपी ट्रैफिक, निदेशक मेट्रो परियोजना और अपर नगर मजिस्ट्रेट तृतीय मौजूद रहे।

सड़क किनारे न खड़ी रहें बसें

मीटिंग में कहा गया कि रोडवेज बस स्टेशन, चारबाग में ज्यादातर बसें रोड पर ही खड़ी रहती हैं और बसों में सवारियां बैठाने और उतारने का काम रोड पर ही किया जाता है। जिसके कारण यातायात ट्रैफिक की प्रॉब्लम को फेस करना पड़ता है। इस संबंध में मुख्य प्रबंध निदेशक, सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज को निर्देश दिया गया कि बसों को बस स्टेशन के परिक्षेत्र में ही व्यवस्थित ढंग से पार्किग एवं सवारियों को भी बस स्टेशन परिक्षेत्र में ही बसों की एंट्री कराएं।

ट्रैफिक रोकने की पड़ेगी जरूरत

मेट्रो कार्य के लिए यूगार्डर की लॉचिंग मई मंथ के फ‌र्स्ट वीक में प्रस्तावित है। जिसके संचालन में क्0 से क्ख् घंटे का समय लगता है। इसके लिए रोड के एक साइड जिस पर ट्रैफिक कम हो, उसे दो से तीन घंटे के लिए रोके जाने की आवश्यकता होगी। इस संबंध में एसपी ट्रैफिक को निर्देश दिए गए कि वह एलएमआरसी और एलएंडटी के अधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुए एक टीम गठित करें। इसके अलावा फरवरी मंथ में ट्रैफिक डायवर्जन के जो आदेश निर्गत किए गए थे, उसे यथावत रखा जाए और सख्ती से इसका पालन कराया जाए। इसके अलावा मेट्रो कार्य के सुचारु रूप से संचालन के लिए जगह-जगह रम्बल स्ट्रिप का निर्माण कराया जाना आवश्यक है। इस मामले में जिन स्थलों पर दुर्घटना होने की अत्याधिक संभावना हो या फिर अधिक ट्रैफिक हो उन स्थानों पर रम्बल स्ट्रिप्स का निर्माण भ् मई तक कराया।

दूसरे फेज में भूमिगत रूट

चारबाग से केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक भूमिगत मेट्रो रूट के लिए टेंडर तीन महीने में होंगे। टेंडर फाइनल होने के बाद दिसंबर तक निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। तीन साल में रूट बनकर तैयार हो जाएगा। जबकि इस फेज के पूरी तरह से कंप्लीट होने में पांच साल का समय लगेगा। फ्.ब्ब्0 किमी का इस रूट का निर्माण टर्न-की पद्धति पर होगा। परियोजना के पहले चरण के दूसरे फेज में भूमिगत रूट के लिए डिटेल डिजाइन कन्सल्टेंसी (डीडीसी) का चयन किया जाएगा। चयन करने वाली एजेंसी टर्न-की के आधार पर डिजाइन व कंस्ट्रक्शन का काम करेगी। चयनित एजेंसी हुसैनगंज, सचिवालय और हजरतगंज स्टेशनों के डिजाइन व कंस्ट्रक्शन का भी काम करेंगी। अगले तीन महीने में इसके लिए टेंडर निकाले जाएंगे। लगभग म्भ्0 करोड़ का यह कार्य तीन साल में पूरा होगा जबकि रोलिंग स्टाक एंड सिग्नलिंग व इलेक्ट्रिकल सहित पूरी तरह से कॅम्प्लीट होने में पांच साल लगेंगे। टेंडर फाइनल होने के बाद दिसंबर ख्0क्भ् से काम शुरू होने की उम्मीद है। वह यहां परियोजना के अभी तक के कार्याे की समीक्षा करने आए थे। उन्होंने बताया कि भूमिगत रूट और स्टेशन का काम सबसे कठिन होता है। जिस कंसल्टेंट को यह काम दिया जाएगा, वह उक्त स्टेशनों का काम भी पूरा करेगा। नार्थ साउथ कॉरिडोर में चारबाग से मुंशीपुलिया के बीच भूमिगत और एलिवेटेड रूट का काम एक साथ शुरू किया जाएगा। ऐलिवेटेड रूट की डिजाइनिंग फ्रांस की कंपनी सिस्ट्रा ही करेगी।

इलेक्ट्रिकल का टेंडर अगले महीने

प्राथमिक सेक्शन का काम सही समय पर पूरा होगा। डीएम राजेशखर ने बताया कि रोलिंग स्टॉक एंड सिग्नलिंग के टेंडर की तकनीकी निविदा खुलने के बाद मई के अंत तक फाइनेंशियल बिड खोलकर एजेंसी का चयन कर लिया जाएगा। इसके अलावा इलेक्ट्रिकल का टेंडर अगले महीने के मध्य तक जारी कर दिया जाएगा। टैक्शन व ट्रैक के टेंडर हो चुके हैं। अब इस रूट में कोई भी बड़ा टेंडर नहीं होना है। रेल कोच को लेकर मेट्रोमैन ने बताया कि कोच आने के बाद टै्रक पर लाने में लगभग एक महीने का समय लगेगा। प्रधान सलाहकार ने बताया कि केंद्र सरकार से धन मिलने के लिए पब्लिक इंवेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) की मंजूरी जरूरी है। इसके लिए पत्राचार चल रहा है। अगले महीने तक पीआईबी की मंजूरी मिल जाने की पूरी उ मीद है।

तीन भागों में बांटा गया है रूट

अमौसी से मुंशीपुलिया तक पहले चरण में रूट तय है। एलएमआरसी के प्लान ऑफ एक्शन के आधार पर कार्य हो रहे हैं। डिपो निर्माण के लिए सेम इंडिया कंपनी का चयन किया गया है। प्रदेश के अन्य चार जिलों में मेट्रो कार्य को लेकर एलएमआरसी सुपरवाइज कर रही है। संबंधित जिले में डीपीआर बनाने के बाद ही काम शुरू हो सकेगा। परियोजना के नार्थ साउथ कॉरीडोर में अमौसी से मुंशीपुलिया तक पहले चरण में रूट तय है। इस रूट को तीन भागों में बांटा गया है। ख्ख्.878 किमी के रूट में क्9.ब्फ्8 किमी एलिवेटड और फ्.ब्ब्0 किमी भूमिगत है। पहले भाग में ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग तक मेट्रो दौड़ेगी। इसमें चारबाग से केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक मेट्रो रूट भूमिगत होगा। भूमिगत रूट का काम एक जटिल प्रक्रिया है। बीस मीटर गहराई में टनल मशीन के जरिए खुदाई के बाद टै्रक तैयार होने में लंबा समय लगता है। जबकि इस दौरान काफी खतरा भी होता है।