नंबरगेम

वर्तमान में मौजूद ट्रैफिक पुलिस

- 393 ट्रैफिक कांस्टेबल

- 09 ट्रैफिक इंस्पेक्टर

- 20 ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर

- 57 ट्रैफिक हेड कांस्टेबल

- 526 चौराहे शहर में

- 67 ट्रैफिक सिग्नल

- 4 ट्रैफिक सिग्नल वर्किंग में

हजरतगंज, सिकंदर बाग, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान और 1090 चौराहे

- झाडि़यों के पीछे साइनबोर्ड, टूटी पड़ी हैं ट्रैफिक लाइट्स

- पांच से बन रहा वाहन फिटनेस सेंटर अब तक नहीं हुआ पूरा

LUCKNOW: राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त होने के कारणों का पता लगने के बाद भी सरकारी विभागों की नींद नहीं टूट रही है। दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (डिम्स) की रिपोर्ट आने के बाद उन कमियों को दूर नहीं किया जा रहा है जिसके चलते ना केवल एक्सीडेंट हो रहे हैं बल्कि शहर में दिनभर जाम लगा रहता है। कहीं साइन बोर्ड झाडि़यों के पीछे गुम हो गए हैं तो कहीं ट्रैफिक सिग्नल ही गिर गए हैं। वहीं ट्रैफिक पुलिस के लिए बॉडी वार्न कैमरे नदारद हो चुके हैं। चौराहों पर लगे सीसीटीवी से चालान घरों में नहीं भेजे जाते हैं। इतना ही नहीं तीसरी बार ट्रैफिक रूल्स के नियमों की अनदेखी पर लाइसेंस निरस्त करने का मामला भी ठंडे बस्ते में है। स्कूली बसों की जांच का अभियान रिफ्लेक्टर टेप तक सीमित है। वाहनों की फिटनेस के लिए बन रहा फिटनेस सेंटर पिछले पांच सालों से अधूरा पड़ा है।

विभागों ने अपना रखा है उदासीन रवैया

डिम्स की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि प्रदेश में वाहन फिटनेस के लिए एकलौता फिटनेस सेंटर राजधानी में बन रहा है। यह पिछले पांच वर्षो से तैयार किया जा रहा है। ऐसे में वाहनों और सीएनजी किट की फिटनेस मशीन से नहीं बल्कि विभागीय अधिकारियों के माध्यम से पूरी की जा रही है। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार आरटीओ ऑफिस के प्रवर्तन दस्ते और ट्रैफिक पुलिस ही राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था से डायरेक्ट जुड़ी रहती है, लेकिन दोनों ही जगह जहां पर मैन पॉवर की कमी है। वहीं ट्रैफिक सुधारने को लेकर इन विभागों ने उदासीन रवैया अपना रखा है। डिम्स की रिपोर्ट में नगर निगम और वन विभाग के अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया है जबकि रास्तों पर लगी अधिकांश होर्डिग्स पेड़ों की डाल की वजह से टूटती है।

आवारा जानवर बन रहे दुर्घटना की वजह

नगर निगम रोड पर घूम रहे आवारा जानवरों की तरफ ध्यान नहीं देता है। इनसे भी दुर्घटनाएं होती हैं। राजधानी में कई जगह ट्रैफिक पुलिस को रोड से आवारा जानवरों को हटाते हुए देखा जा सकता है। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार रोड सेफ्टी सेल में कई अधिकारियों को मिल कर एक साथ बैठक करनी होगी, तभी इसके सार्थक परिणाम सामने आ पाएंगे।

कोट

सड़क सुरक्षा के लिए इंफोर्समेंट ही सबसे अच्छा उपाय है। ऐसे में आरटीओ के प्रवर्तन दस्तों और ट्रैफिक पुलिस को कई बार निर्देश दिए गए हैं। कुछ दिन अभियान चलता है, उसके बाद फिर से वहीं स्थितियां हो जाती हैं।

गंगाफल

एडीशन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर

रोड सेफ्टी सेल, आईटी

उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग

बाक्स

डिम्स ने रिपोर्ट के दौरान इन विभागों के अधिकारियों के साथ इंट्रैक्शन किया

पि्रंसिपल सेक्रेटरी-ट्रांसपोर्ट

रोड सेफ्टी सेल- एडीशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (ट्रांसपोर्ट)

ट्रैफिक पुलिस डिपार्टमेंट- डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल

एनएचएआई-आरओ ईस्ट एंड डिप्टी मैनेजर, वेस्ट यूपी

पब्लिक व‌र्क्स डिपार्टमेंट- सुपरिटेडिंग इंजीनियर

एजूकेशन डिपार्टमेंट- असिस्टेंट डायरेक्टर

हेल्थ डिपार्टमेंट- डायरेक्टर (मेडिकल एंड हेल्थ)

स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो- इंस्पेक्टर

यूपीएसएचए- जनरल मैनेजर (टेक्निकल)

यूपीईआईडीए- एक्सक्यूटिव इंजीनियर

वाईईआईडीए- सीनियर मैनेजर (प्रोजेक्ट)

यूएलबीएस-डायरेक्टर

यूपीएसआरटीसी- चीफ जनरल मैनेजर (एडमिन)

आरटीओ में प्रवर्तन की स्थिति

लोगों से बातचीत

राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ प्रवर्तन दस्ते को नियमों का पालन कड़ाई से कराना होगा। राजधानी में तो हर दूसरे कदम पर लोग यातायात नियमों के विपरीत गाड़ी चलाते देखे जा सकते हैं।

हरीश पाल, डॉलीबाग

कई बार यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए कवायद होती है, लेकिन चार दिन बाद फिर वहीं स्थितियां हो जाती हैं। जाम तो अब शहर में आम बात हो गई है। सिग्नल और जेब्रा क्रासिंग तो सिर्फ देखने भर को है।

सौमित्र, गोमती नगर

शहर के मुख्य चौराहों पर यदि ट्रैफिक कर्मी ना हो तो लोग सिग्नल को भी नहीं देखते हैं। वे अपनी मर्जी से ही गाड़ी चलाते हैं। भले ही उनकी जल्दबाजी के चलते किसी और की जान खतरे में पड़ जाए।

फहीम, चौक

आए दिन एक्सीडेंट में लोगों की मौत हो जाती है फिर भी लोग यातायात नियमों की अनदेखी करते हैं। हेलमेट और सीटबेल्ट ना लगाने पर दुर्घटना में अधिक मौत होती है। इसके बावजूद चालक नहीं मानते। रही सही कसर मोबाइल पर गाने सुनते हुए वाहन चलाने वाले पूरी कर देते हैं।

देवेंद्र गुप्ता, इंदिरा नगर